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दलहन-तिलहन का उत्पादन कम होने के आसार, 7 फीसदी घटी धान की बुआई


कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल दालों और तिलहन का उत्पादन घट सकता है। तिलहन में खासकर सोयाबीन की बुआई देर से हुई है जिसके कारण उत्पादकता घट सकती है। कृषि सचिव के मुताबिक अभी भी पिछले साल के मुकाबले बुआई का रकबा कम है। पिछले साल मानसून जल्दी आया और भारी बारिश हुई जिसके चलते किसानों ने रिकॉर्ड बुआई की लेकिन इस साल लेट मानसून बुआई में खलल डाल रहा है। पिछले साल 1050 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। उत्पादन घटने से दाल और सोयाबीन की कीमतों में तेजी आ सकती है।

कमजोर मानसून के बाद बुआई पर बाढ़ का कहर

कोसी नदी में जल स्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है जिससे धान की फसल बर्बाद हो सकती है। पूर्वी भारत में सबसे ज्यादा असर देखने को मिल सकता है। दरअसल पूर्वी भारत के खेत का काफी बढ़ा हिस्सा नदियों के किनारे है जिसके कारण अगर नेपाल में बांध टूटता है तो कोसी में बाढ़ आ सकती है।

सोयाबीन की कैसी हुई बुआई

मध्य प्रदेश में बुआई का रकबा बढ़ा है। हालांकि लगातार भारी बारिश की वजह से सोयाबीन की फसल खराब हो रही है। गुरुवार तक पूरे देश में 95.4 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है। जो कि पिछले साल के मुकाबले 18.8 फीसदी कम है। पिछले हफ्ते ये फासला 22.7 फीसदी था। सोयाबीन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश है जहां पिछले हफ्ते तक 56.2 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है। जो कि पिछले साल के मुकाबले 9.4 फीसदी कम है।

दलहन की कितनी हुई है बुआई

खरीफ दालों की बुआई 19 फीसदी घटकर 67.2 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल 83 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। तूअर की बुआई 25.4 लाख हेक्टेयर, उड़द 16.3 लाख हेक्टेयर और मूंग की बुआई 14.5 लाख हेक्टेर में हुई है। सबसे ज्यादा 25.3 फीसदी मूंग की बुआई घटी है।

बुआई और उत्पादन का लक्ष्य

11 जुलाई को खरीफ की बुआई 50 फीसदी कम हुई थी क्योंकि बारिश सामान्य से 41 फीसदी कम थी। इसके अगले हफ्ते बारिश अच्छी होने से बुआई का फासला घटकर 45 फीसदी रहा। 31 जुलाई को बुआई पिछले साल के मुकाबले 32.5 फीसदी कम रहा है। केंद्र सरकार ने जून 2015 तक का 2610 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है। 2013-14 में 2644 लाख टन उत्पादन हुआ था।

7 फीसदी कम होगी चावल की बुआई

धान की रोपाई पिछले साल के मुकाबले अब सिर्फ 7 फीसदी कम रह गया है। 28 जुलाई को खत्म हफ्ते में बुआई 34 फीसदी बढ़ा है। अब तक पूरे देश में धान की रोपाई 221.6 लाख हेक्टेयर में हुई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल के 237.9 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 6.9 फीसदी कम रोपाई हुई है। 25 जुलाई को खत्म हफ्ते में ये फासला 12.8 फीसदी था। बीते 20 दिन में हुई जोरदार बारिश से रकबा बढ़ा है। आमतौर पर खरीफ सीजन में धान के लिए 39,107,000 हेक्टेयर क्षत्र है। पिछले साल देश में रिकॉर्ड 920 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था।

सबसे बड़े चावल उत्पादक राज्य उत्तर पल्रदेश में 51 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है जो कि पिछले साल के मुकाबले 5.8 फीसदी कम है। झारखंड के किसानों ने इस साल 12.2 फीसदी ज्यादा धान की रोपाई की है। झारखंड में अब तक 51600 हेक्टेयर में हुई है। 1 जून से 3 अगस्त तक पूरे देश में 376.9 मिमी बारिश हुई है जो कि सामान्य से 22 फीसदी कम है।