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दलहन व खाद्य तेलों में तेजी का असर उपभोक्ता की रसोई तक- आर एस राणा

वजह - डॉलर के मुकाबले रुपये में आई लगातार गिरावट से आयात पड़ता हुआ महंगा

संशय - डॉलर की तेजी से आयातक नए आयात सौदे करने के हिचक रहे हैं। आयातक डॉलर स्थिर होने के बाद ही नए आयात सौदे करेंगे।

डॉलर के मुकाबले रुपये में आई भारी गिरावट का सीधा असर गृहिणी की रसोई पर पडऩा शुरू हो गया है। दलहन के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी से थाली महंगी हो गई है। चालू महीने में दालों के फुटकर में जहां पांच से सात रुपये प्रति किलो तक बढ़ गए हैं वहीं खाद्य तेलों की कीमतों में 2 से 3 रुपये प्रति किलो की तेजी आ चुकी है।

फुटकर बाजार में चना दाल का भाव बढ़कर 51-55 रुपये, अरहर दाल का भाव 66-70 रुपये, उड़द दाल का 58-65 रुपये, मूंग दाल का 84-90 रुपये और मसूर दाल का भाव 59-64 रुपये प्रति किलो हो गया। इसी तरह से मूंगफली तेल का भाव 108 रुपये, सरसों तेल का 100, सोया रिफाइंड 90 रुपये, सनफ्लावर का 96 रुपये और पाम तेल का भाव 108 रुपये प्रति किलो हो गया।

ग्लोबल दाल इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर चंद्रशेखर एस नादर ने बताया कि डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट बनी हुई है। 21 अगस्त को डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 65.54 के स्तर तक पहुंच गया था, हालांकि शनिवार तक इसमें रिकवरी जरुरी हुई और शनिवार को रुपया 63.20  के स्तर पर कारोबार करते देखा गया।

उन्होंने बताया कि पिछले तीन महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 15 फीसदी तक कमजोर हो चुका है। डॉलर की तेजी से आयातक नए आयात सौदे करने के हिचक रहे हैं।

आयातक डॉलर स्थिर होने के बाद ही नए आयात सौदे करेंगे। दलहन के थोक कारोबारी निशांत मित्तल ने बताया कि आयात पड़ता महंगा होने से घरेलू बाजार में दालों की थोक कीमतों में चालू महीने में 300 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है।

थोक बाजार में उड़द दाल का दाम बढ़कर  5,200 से 5,600 रुपये, मूंग दाल का 6,500 से 6,700 रुपये, अरहर दाल का 6,200 से 6,500 रुपये और मसूर दाल का 5,300 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। चना दाल की कीमतों में 500 रुपये की तेजी आकर शनिवार को भाव 3,800-4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि घरेलू बाजार में कुल खपत के लगभग 50 फीसदी से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात होता है।

अत: डॉलर की मजबूती से आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी का असर घरेलू खाद्य तेलों के दाम पर भी पडऩा शुरू हो गया है। सप्ताहभर में खाद्य तेलों की थोक कीमतें 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ चुकी हैं।

चालू तेल वर्ष के पहले 9 महीनों (नवंबर-12 से जुलाई-13) के दौरान ही देश में 80.34 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 11 फीसदी ज्यादा है।