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दलित पर अत्याचार में यूपी अव्वल: पुनिया

लखनऊ, जाब्यू : 'यूपी में दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहे हैं। राज्य सरकार कतई संवेदनशील नहीं है। आयोग इस पर चुप बैठने वाला नहीं है। वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना जानता है।' चेतावनी भरे ये शब्द हैं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया के।

दो दिन के प्रदेश दौरे के पहले दिन बुधवार को जहां उन्होंने प्रदेश की बसपा सरकार पर निशाना साधने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी वहीं राज्य सरकार ने भी पुनिया को तवज्जो नहीं दी। पुनिया के बुलाने पर न तो अधिकारी उनसे मिलने गया और न ही उन्हें प्रेस वार्ता के लिए वीवीआईपी अतिथिगृह का सभागार दिया गया। मजबूरी में पुनिया को प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता करनी पड़ी। यही नहीं बाद में राज्य सरकार ने पुनिया के लगाये आरोपों को भी बेबुनियाद करार दिया है।

कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त सांसद पुनिया आयोग का अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार लखनऊ आये। उनकी अगवानी के लिए एडीएम प्रोटोकाल तक रेलवे स्टेशन नहीं पहुंचे, जबकि यह नियम है। उनके स्थान पर एक मजिस्ट्रेट जितेन्द्र श्रीवास्तव लालबत्ताी लगी गाड़ी के साथ वहां मौजूद थे। मायावती के मुख्यमंत्रित्वकाल में तीन बार उनके प्रमुख सचिव रहे पुनिया को पिछले महीने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।

पुनिया ने प्रदेश दौरे के अगले दिन यानी चार नवम्बर को मुख्य सचिव और डीजीपी अपनी बैठक में उपस्थिति रहने को कहा है, पर दोनों ने बैठक में यह कह कर भाग लेने से इनकार कर दिया कि दीपावली की व्यस्तता के कारण वे इसमें भाग नहीं ले सकेंगे, ऐसा खुद पुनिया ने 'जागरण' को बताया। यही नहीं इन अधिकारियों ने दलित उत्पीड़न से सम्बन्धित आंकड़े देने से भी मना कर दिया है। पुनिया के अनुसार, नियम यह है कि अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बुलाने पर मुख्य सचिव व डीजीपी को अनिवार्य रूप से पहुंचना चाहिए। यह व्यवस्था संविधान की धारा 338 में है।

अधिकारियों के इस रवैये पर पुनिया खासे क्षुब्ध दिखे। प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव के पास उन्हें पांच बार पत्र लिखने का समय है किन्तु दलित अत्याचार के बारे में आंकड़े देने का वक्त नहीं है। यह इस बात का द्योतक है कि दलितों पर अत्याचार रोकने के मामले में सरकार संवेदनशील नहीं है। दलित उत्पीड़न के जिन मामलों में गंभीरता से कार्रवाई होनी चाहिए थी उस पर ध्यान नहीं दिया गया। इस सम्बन्ध में उन्होंने बस्ती, खुर्जा, महामायानगर तथा कुछ अन्य जिलों की घटनाओं का जिक्र भी किया।

पुनिया ने कहा कि दलित योजनाओं के पैसे से मेडिकल कालेज बनवाया जा रहा है। ऐसे खर्चे का अनुश्रवण किया जाएगा। यह काम आयोग के लखनऊ स्थित कार्यालय के जरिये होगा। इसके अलावा आयोग ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करेगा कि दलित उत्पीड़न से सम्बन्धित मामलों की जांच एक महीने में पूरी हो जाए तथा मुकदमें का निपटारा भी तीन महीने में हो जाए।

पुनिया के अनुसार मुख्यस चिव ने छह दिसम्बर 2010 के बाद उनके साथ बैठक करने का समय मांगा है। उन्होंने अपनी ओर से आठ दिसम्बर की तारीख दे दी है। अब वह हर महीने यूपी की यात्रा पर आयेंगे और हर जिले में जाकर दलित उत्पीड़न की जांच करेंगे। केवल यूपी ही नहीं सभी राज्यों में जायेंगे। अभी आन्ध्र प्रदेश झारखंड, छत्ताीसगढ़ व हरियाणा के दौरे कर चुके हैं। अन्य राज्यों का कार्यक्रम बन रहा है।