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दलित विषयक पर सेमिनार में जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल, संजय पासवान ने जबरन दीप जलवाया


'इंटरजेनरेशनल मोबिलिटी इन दलित कास्ट' विषय पर सेमिनार में दीप प्रज्वलन को लेकर हुई रार में संस्थान की छवि हो गयी तार-तार

पटना : सामाजिक आर्थिक विषयों पर रिसर्च के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज का परिसर शनिवार को जातीय जंग का अखाड़ा बन गया. 'इंटरजेनरेशनल मोबिलिटी इन दलित कास्ट' विषय पर आधारित एक विशेष सेमिनार में दीप प्रज्वलन को लेकर हुई रार में संस्थान की छवि तार-तार हो गयी.

दरअसल बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए एमएलसी संजय पासवान ने संस्थान के पूर्व डायरेक्टर प्रो डीएम दिवाकर को मंच पर बुलाकर जबरन दीप प्रज्वलित कराया. जबरिया दीप जलाने पर जब प्रोफेसर दिवाकर ने एतराज जताया तो पासवान ने कुछ अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल कर बुरा भला कहा. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अगर इंस्टीट्यूट का स्टाफ हस्तक्षेप नहीं करता तो मामला मारपीट-हाथापाई तक पहुंच सकता था. हालांकि एमएलसी पासवान ने बाद में अपशब्द व मारपीट के प्रयास से इन्कार किया. उन्होंने बाद में इस पूरे मामले में क्षमा भी मांग ली. घटना के तत्काल बाद डीएम दिवाकर सेमिनार से बाहर निकल आये.

उनके पीछे-पीछे संस्थान के तमाम कर्मचारी और प्राध्यापक भी बाहर चले गये. सूत्रों के मुताबिक सेमिनार में शामिल होने वाले अतिथियों के छपवाये गये पत्र में भाजपा के एमएलसी संजय पासवान का नाम नहीं था. वे सेमिनार के शुरू होने पर आये और उन्हें मुख्य अतिथि बना दिया गया. इस पर भी काफी लोग हैरत में रहे.

एएन सिन्हा संस्थान का था कार्यक्रम

दरअसल यह सेमिनार एएन सिन्हा संस्थान ने कराया था. यहीं के दो प्राध्यापक रेनू चौधरी और संजय महापात्रा का दलित विषय पर रिसर्च पढ़ा जाना था. इस रिसर्च पर बहस करने के लिए दुनिया के जाने माने सामाजिक विज्ञानी जेल ओमवेट और डॉ आचार्य भी मौजूद रहे.

इस अप्रिय घटनाक्रम के दौरान ये सभी दलित चिंतक एमएलसी के व्यवहार पर हतप्रभ दिखे. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सेमिनार शुरू होते ही एमएलसी ने थोड़ी दूर बैठे पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर को एक दो बार नहीं पांच से छह बार बुलाया. पहले तो डॉ दिवाकर समझ नहीं पाये, लेकिन सीनियर्स के कहने पर वे मंच पर पहुंच गये. इसके बाद एमएलसी पासवान ने उन्हें यह कहते हुए दीप प्रज्वलित करने को कहा कि आप ब्राह्मण हैं, दीप आप ही जला सकते हैं. चलिए जलाइए. इस पर तत्काल प्रो दिवाकर ने इसका प्रतिरोध किया. कहा कि मंच पर जाति आधारित बातें करने से बचना चाहिए. आप ऐसे कैसे कह सकते हैं?

बाद में पासवान ने प्रो दिवाकर का हाथ पकड़कर दीप प्रज्वलित करा दिया. इस दौरान डॉ दिवाकर ने साफ कर दिया कि संस्थान के कार्यक्रम में जाति सूचक बातें नहीं होनी चाहिए और उनको सीमा में रहना चाहिए. एमएलसी पासवान को डॉ दिवाकर का अचानक प्रतिरोध नागवार गुजरा. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पासवान भी उखड़ गये.

इस दौरान बनाये गये वीडियो में डॉ दिवाकर को तीन विशेष अभद्र शब्दाें का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने काफी कुछ कहना शुरू कर दिया. हालांकि मामला इससे कहीं आगे पहुंच गया था. थोड़ी देर के बाद मामला ठंडा होने पर कार्यक्रम दोबारा प्रारंभ हुआ, जिसमें अतिथियों ने अपनी राय रखी. इस मौके पर एएन सिन्हा संस्थान के वर्तमान अध्यक्ष सुनील रे भी मौजूद रहे. प्रभात खबर ने उनसे बातचीत करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने सेल फोन नहीं उठाया.

मैंने उनको सीमा में रहने की बात कही

जातिसूचक शब्द कह कर बुलाये जाने पर मैंने इसका प्रतिरोध करते हुए दीप नहीं जलाने की बात कही. इस पर एमएलसी ने जबर्दस्ती हाथ पकड़ कर दीप जलवाया. फिर मैंने उनको सीमा में रहने की बात कही. एमएलसी और आक्रोशित हो गये. उन्होंने अपशब्द कहा. मारने पर उतारू थे. फैकल्टी के लोग नहीं रोकते तो मारपीट की नौबत आ सकती थी. स्थिति यह है कि प्रगतिशील सोच के साथ जीना चाहते हैं तो जीने नहीं दिया जायेगा.

- डॉ डीएम दिवाकर, पूर्व निदेशक, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट

अपशब्द नहीं बोला, मारपीट नहीं की

सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था. दीप प्रज्वलन के लिए ब्राह्मण होने के नाते डॉ दिवाकर को आमंत्रित किया. नाराज होने पर आग्रहपूर्वक हाथ पकड़ कर दीप जलाया. किसी तरह के अपशब्द या मारपीट का प्रयोग नहीं किया. दरअसल डॉ दिवाकर के मन में संघ और भाजपा को लेकर पूर्वाग्रह है. हमने कई बार इसको फेस भी किया है. बाद में कार्यक्रम के दौरान विघ्न के लिए मैंने सार्वजनिक रूप से क्षमा भी मांगी.

- डॉ संजय पासवान, एमएलसी सह भाजपा नेता