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दामों में कमी: ढीले पड़ने लगे दाल के तेवर

नई दिल्ली। दाल के जमाखोरों के खिलाफ सरकार की सख्ती का असर दिखने लगा है। थोक बाजार में इसके तेवर ढीले पड़ने लगे हैं। आसमान छूती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार की सलाह पर राज्य सरकारों की ओर से छापेमारी के चलते बाजार में दालों की आपूर्ति बढ़ी है। साथ ही आम लोगों को राहत देने के लिए अपनी तरफ से राज्यों की पहल ने भी महंगी दालों की चुभन को कम किया है। राष्ट्रीय राजधानी की थोक मंडी में अरहर दाल के दाम टूटकर 120 रुपये किलो के आसपास आ गए हैं। ऐसे ही उड़द भी करीब 103 रुपये किलो पर पहुंच गई है।

दालों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए बीते कुछ समय में केंद्र सरकार ने चारों तरफ से मोर्चे खोल दिए। इसमें राज्य सरकारों का भी भरपूर सहयोग मिला। 13 राज्यों में जमाखोरी के खिलाफ छापेमारी में बीते हफ्ते तक करीब 75 हजार टन दाल जब्त की गई। केंद्रीय भंडार और मदर डेयरी के आउटलेट के जरिये सरकार ने सस्ती दरों पर इनकी बिक्री शुरू की। जमाखोरी रोकने के मकसद से आयातकों, निर्यातकों, डिपार्टमेंटल स्टोरों और लाइसेंस प्राप्त फूड प्रोसेसरों को भंडारण सीमा के दायरे में ले आया गया। इन सभी कदमों से कीमतों पर अंकुश लगाने में मदद मिली। केंद्र सरकार 40 हजार टन दाल का बफर स्टॉक तैयार करने के लिए नवंबर से नैफेड और एसएफएसी के जरिये किसानों से सीधे दालों की खरीद भी करने जा रही है।

केंद्र की सलाह पर कुछ राज्यों में किफायती मूल्यों पर राशन दुकानों के जरिये दालों के वितरण से कीमतों को थामने में मदद मिली है। गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु सस्ती दरों पर दाल उपलब्ध करा रहे हैं। गुजरात में अरहर की दाल 120-145 रुपये किलो में बेची जा रही है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इसे 50 रुपये की दर से बेच रहे हैं। छत्तीसगढ़ ने एक किलो अरहर दाल का दाम 120-140 रुपये और उत्तराखंड ने 145 रुपये तय किया है। तमिलनाडु में उड़द और मसूर 30 रुपये किलो में उपलब्ध है।

कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सोमवार को एक बैठक में भी दालों के मूल्यों और उपलब्धता की समीक्षा की गई। साथ ही उक्त राज्यों की तरह अन्य राज्य सरकारों को भी सस्ती दरों पर इन्हें लोगों को उपलब्ध कराने की सलाह दी गई। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि किफायती मूल्यों पर लोगों को दालों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए राज्य सरकारों की सक्रियता सराहनीय है। दालों की जमाखोरी के खिलाफ सरकार का रुख सख्त बना रहेगा। फसल वर्ष 2014-15 (जुलाई-जून) में दालों का उत्पादन करीब 20 लाख टन घटकर 1.72 करोड़ टन रहा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी इसकी आपूर्ति सीमित है। यही वजह है कि देश भर में दाल के मूल्य चढ़ गए।

दाल , थोक कीमतें (रुपये/क्विंटल में)

अरहर , 11700-12000
मसूर (लोकल) , 7400-7600


उड़द , 9300-10300


उड़द छिल्का (लोकल) , 10300-10500


मूंग , 7400-8000


मूंग दाल छिल्का , 8000-8400


(भाव दिल्ली मंडी के)

दलहन वायदा पर सेबी की कड़ी निगरानी

दालों की ऊंची कीमतों के बीच सेबी ने दलहन के वायदा कारोबार पर निगरानी कड़ी कर दी है। सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि नियामक सरकार के साथ नजदीक से काम कर रहा है। यह देखा जा रहा है कि जिन जमाखोरों के यहां छापेमारी हुई उनका जिंस वायदा बाजार के साथ तो कोई संबंध नहीं है। कीमतों के बढ़ने के पीछे गैर-कानूनी सट्टेबाजी का हाथ तो नहीं है। सेबी के साथ वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के विलय के बाद अब जिंस वायदा पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी पूंजी बाजार नियामक को सौंप दी गई है। सेबी पूंजी बाजार नियामक है।