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दिल्ली में प्रदूषण 999 के पार, लोगोें को घरों में रहने की सलाह

नयी दिल्ली : दिल्ली खतरनाक प्रदूषण स्तर के चलते एक ‘‘आपात स्थिति' का सामना कर रही है. केंद्र ने किसानों द्वारा खूंटी जलाने पर अंकुश के लिए सभी पडोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है जिसने दिल्ली को एक ‘‘गैस चैंबर' बना दिया है. प्रदूषण मांपने का मीटर भी दिल्ली में फेल हो गया. प्रदूषण 999 के पार हो गया .

मौसम वैज्ञानिकों ने अपील की है कि लोग ज्यादातर घरों में रहे बाहर ना निकले. सरकार को इस प्रदूषण को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए. दूसरी तरफ दिल्ली सरकार भी हरकत में आ गयी है और आपात बैठक बुलायी गयी है. प्रदूषण की मात्रा इतनी बढ़ गयी है कि पिछले 17 सालों का रिकार्ड टूट गया है.

दिल्ली पर धुंध छाये रहने और कई स्थलों पर प्रदूषण का स्तर सुरक्षित स्तर से 17 गुना अधिक होने के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पर्यावरण मंत्री अनिल दवे से मुलाकात की. केजरीवाल ने इस चुनौती से निपटने में केंद्र के तत्काल हस्तक्षेप की दवे से मांग की. केजरीवाल ने दिल्ली की तुलना एक ‘‘गैस चैंबर' से की, जिसके लिए मुख्य कारण पंजाब और हरियाणा से खेतों में खूंटी जलाने से उठने वाला धुआं है. उन्होंने लोगों से वाहनों का इस्तेमाल न्यूनतम करने की भी अपील की. बैठक के बाद दवे ने कहा कि उन्होंने सभी पडोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की सोमवार को एक बैठक बुलाई है और उनसे अनुरोध करेंगे कि वे अपने राज्यों में खूंटी जलाने पर अंकुश लगायें क्योंकि यह दिल्ली में धुंध का स्तर बढाता है.

दवे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘दिल्ली में एक आपातकालीन स्थिति है. स्थिति बहुत खराब है, विशेष तौर पर बच्चे, मरीजो, महिलाओं और वृद्धों के लिए . हमें स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरुरत है.' उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर सभी पडोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं. केजरीवाल ने अपनी ओर से अपील की कि लोग निजी वाहनों का इस्तेमाल सीमित करें और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें.

केजरीवाल ने इससे पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सम..विषम जैसे वाहन सीमित करने के उपाय धुंध कम करने में सफल नहीं होंगे क्योंकि प्रारंभिक अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि पंजाब और हरियाणा से बडी मात्रा में आने वाले प्रदूषणकारी धुुएं ने स्थिति बिगाड दी है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण इस स्तर तक बढ गया है कि दिल्ली में घर के बाहर गैस चैंबर जैसा लग रहा है. प्रथमदृष्ट्या सबसे बडा कारण हरियाणा और पंजाब में खेतों में बडी मात्रा में खूंटी जलाना प्रतीत होता है.' दवे ने कहा कि स्थिति ‘‘बहुत ही खराब' है और स्थिति से निपटने के लिए तत्काल अल्पकालिक उपाय करने की जरुरत है. दवे ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल के साथ ‘‘आपातकालीन उपायों' पर चर्चा की जिसमें धूल प्रदूषण और फसल जलाने पर नियंत्रण के तरीके शामिल थे.

उन्होंने कहा, ‘‘वायु प्रदूषण के पांच कारण हैं जिसमें लकडी, कोयला, डीजल, पेट्रोल और कृषि कचरा जलाना शामिल हैं. हमें समस्या के समाधान के लिए हल खोजना होगा.' उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी नियमित जीवन शैली में अनुशासन लाना चाहिए. यदि मैं अपनी चार कारों का इस्तेमाल कम नहीं करुं और अन्य से अपेक्षा करुं कि वे साइकिल इस्तेमाल करेंगे तो ऐसा नहीं होना चाहिए. हमें सामूहिक रुप से आत्मनियमन अपनाना चाहिए.

' प्रदूषण के मद्देनजर नगर निगम के एक दिन के लिए स्कूल बंद रखने के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर दवे और केजरीवाल दोनों इससे सहमत थे कि स्कूल बंद करना कोई हल नहीं है. केजरीवाल ने किसानों को विकल्प और प्रोत्साहन मुहैया कराने पर जोर दिया ताकि वे खेतों में पराली जलाने के पारंपरिक तरीके को छोड दें.दवे ने कहा कि पीएम 10 और पीएम 2.5 के उच्च स्तर के चलते स्थिति दिल्ली में पूरे वर्ष खराब रही लेकिन इस बार फसल और पटाखा जलाने जैसे कारण वायु की गुणवत्ता खराब होने के लिए जिम्मेदार हैं.

पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘दिल्ली में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति के लिए कोई एक विशेष कारण जिम्मेदार नहीं है. हमें सभी मुद्दों का सामूहिक समाधान करना चाहिए और वायु गुणवत्ता सुधारनी चाहिए. हमें राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप में शामिल नहीं होना चाहिए.' यह पूछे जाने पर क्या केंद्र स्वास्थ्य परामर्श जारी करेगा, दवे ने कहा कि लोग स्थिति के बारे में पहले से अवगत हंै और यदि कोई जरुरत होगी, ऐसा कोई परामर्श स्वास्थ्य मंत्रालय से मशविरे के बाद जारी किया जाएगा. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास कुछ विकल्प हैं और केंद्र को हस्तक्षेप करने की जरुरत है.

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करके किसी समाधान की रुपरेखा तैयार कर सकता है. कुछ रपटों के मुताबिक जलाई जा रही खूंटी की मात्रा करीब 1.6 करोड टन से 2 करोड टन है.' उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने दौरों के दौरान पूरे पंजाब, हरियाणा में धुआं देखा. हमें केंद्र की मदद चाहिए. हम दिल्ली में प्रदूषण के स्रोतों का नये सिरे से अध्ययन के लिए एक या दो सप्ताह में एक एजेंसी की मदद लेंगे. केंद्र को हस्तक्षेप करने की जरुरत है.'