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दिल्ली में विकलांगों के लिए नहीं हैं जनसुविधाएं...!

राष्ट्रीय राजधानी में करीब 25 लाख लोग विकलांग हैं और शहर में शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए 100 सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं, जिनमें से अधिकांश या तो काम नहीं कर रहे हैं या उसे अस्थायी स्टोरहाउस के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह जानकारी एक सर्वेक्षण में सामने आई।

विकलांगों के लिए काम करने वाली एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) सामर्थ्यम ने यह सर्वेक्षण किया है। सामर्थ्यम की कार्यकारी निदेशक अंजलि अग्रवाल ने कहा, ''स्थानीय निकाय विकलांगों की जरूरत पर ध्यान नहीं देते हैं। स्वच्छ भारत अभियान का समावेशी बनाना होगा, वरना यह सफल नहीं हो सकता।''

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर को स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया है। इससे पहले 15 अगस्त को लालकिले के प्राचीर से उन्होंने हर परिवार का शौचालय देने की बात की थी। उल्लेखनीय है कि जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है और पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही लोग खुले में शौच करते हैं। संयुक्त राष्ट्र की इस वर्ष मई में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 59.7 करोड़ लोग खुले में शौच करते हैं।

सामर्थ्यम ने यह सर्वेक्षण आठ विकलांग महिलाओं के द्वारा कराया। अग्रवाल ने कहा, ''ये 100 शौचालय 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के दौरान बनाए गए थे। आप सोच सकते हैं कि उससे पहले शहर में विकलांगों के लिए कोई शौचालय नहीं था।'' सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि ये शौचालय दिल्ली के केंद्रीय हिस्से में हैं और इनका रखरखाव नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) द्वारा किया जाता है। इसका मतलब यह है कि दिल्ली के अन्य तीन नगर निगमों के दायरे में या तो ऐसे शौचालय नहीं होंगे या फिर बेकार पड़े होंगे।

सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि राजधानी में सिर्फ 1,200 सार्वजनिक शौचालय हैं। इनमें से महिलाओं के लिए सिर्फ 301 हैं। अग्रवाल ने कहा, ''शहरी विकास मंत्रालय के नियमों के मुताबिक विकलांगों के लिए शौचालय की लंबाई और चौड़ाई 2.2 मीटर और दो मीटर से कम नहीं होनी चाहिए। अधिकांश मामलों में इन मानकों का पालन नहीं किया जाता है।''

अग्रवाल ने सवाल उठाया, ''आखिर तीन फुट का व्हील चेयर शौचालय के ढाई फुट वाले दरवाजे में कैसे घुस सकता है?'' विकलांगों के लिए रोजगार को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रीय केंद्र के निदेशक जावेद आबिदी ने सवाल उठाया कि विकलांगों के लिए स्वच्छ भारत अभियान में कोई प्रबंध है या नहीं।

आबिदी ने सवाल उठाया, ''स्वच्छ भारत निश्चित रूप से बेहतरीन कदम है, लेकिन क्या नरेंद्र मोदी जी को विकलांगों की जरूरत की कोई परवाह है?'' उन्होंने कहा, ''विकलांगों के लिए शौचालय तो सिर्फ केंद्रीय दिल्ली में है। आप पूर्वी दिल्ली में चले जाइए। आम आदमी को भी शौचालय नसीब नहीं, तो विकलांगों को कौन पूछता है।''