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दुनिया में पिछले 100 साल में 90 फीसदी घटी गरीबी : रिपोर्ट

मुंबई। आम धारणा के विपरीत आय और जीवनस्तर के मामले में दुनिया के हालात पहले से काफी बेहतर हुए हैं। पिछले 100 साल के दौरान घोर गरीबी तकरीबन 90 फीसदी कम हो गई है। 1910 में जहां 82.4 फीसदी लोग गरीबी में जीवन बीता रहे थे, वहीं 2015 में ऐसे लोगों की तादाद घटकर केवल 9.6 फीसदी रह गई है।

 

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वैसे लोगों को गरीब माना जाता है, जिनकी आय रोजाना 1.90 डॉलर (लगभग 131 रुपए) से कम है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च प्रोजेक्ट में कहा गया है, "वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के हिसाब से 1950 में पूरी दुनिया में तीन चौथाई से ज्यादा लोग घोर गरीबी में थे। 1981 में भी ऐसे लोगों की संख्या 44 फीसदी थी। इस मामले में नवीनतम आंकड़े साल 2015 के उपलब्ध हैं, जिसके मुताबिक घोर गरीबी का सामना कर रहे लोगों की तादाद 10 फीसदी से कम रह गई है।" प्रोजेक्ट में इसे बड़ी उपलब्धि माना गया है।

 

जोरदार आर्थिक तरक्की

रिसर्च प्रोजेक्ट में इस बात पर ध्यान दिलाया गया है कि लोग आम तौर पर यह गलत धारणा रखते हैं कि दुनिया में यथास्थिति है और कुछ भी नहीं बदल रहा है। लेकिन यदि लंबी अवधि के नजरिए से देखा जाए तो दुनिया ने जोरदार तरक्की की है, खास तौर पर गरीबी दूर करने के मामले में। रिपोर्ट में कहा गया है, "यदि आप जानना चाहते हैं कि हम कैसी स्थिति से उबरे हैं तो पीछे मूड़कर देखना होगा। इसके लिए 30 साल या यहां तक कि 50 साल भी काफी नहीं होंगे।"

 

औद्योगीकरण का नतीजा

रिपोर्ट के मुताबिक 1820 में कुछ ही लोग अच्छी जीवनशैली का आनंद उठा रहे थे और ज्यादातर लोगों की माली हालत ऐसी थी, जिसे हम घोर गरीबी कहते हैं। जैसे-जैसे समय बीतता गया, दुनिया के ज्यादा से ज्यादा हिस्सों में तेजी से औद्योगीकरण हुआ। नतीजतन उत्पादकता बढ़ी और इस वजह से लोग गरीबी से उबरने लगे।

 

हर मिनट 200 लोग गरीबी से उबरे

वर्ल्ड बैंक ने भी हाल में ऐसी ही बातें कही हैं। इस अंतरराष्ट्रीय संस्था का कहना है कि 1990 के दशक से लेकर अब तक तकरीबन 1.1 अरब लोग घोर गरीबी से उबर चुके हैं। इसका मतलब है कि इस दौरान रोजाना 2.5 लाख या हर मिनट 200 लोग गरीबी से उबरे हैं। वर्ल्ड बैंक की सीईओ क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने ट्वीट किया, "हालांकि घोर गरीब से लड़ाई खत्म होने में काफी वक्त लगेगा, लेकिन इस मामले में हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि हम किस स्थिति से उबरते हुए कहां तक पहुंचे हैं। तरक्की संभव है।"

 

एशिया-प्रशांत में तेज तरक्की

हालांकि समग्र तौर पर दुनियाभर में गरीबी काफी कम हुई है, लेकिन सभी देशों में यह उपलब्धि एक जैसी नहीं रही है। वर्ल्ड बैंक ने कहा है, "2012 और 2013 के बीच घोर गरीबी झेल रहे लोगों की तादाद में जो कमी आई, उसमें सबसे ज्यादा योगदान पूर्वी एशिया और प्रशांत का रहा, जिसमें भारत, चीन और इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।"मौजूदा दौर में सबसे ज्यादा गरीबी उप-सहारन अफ्रीका में है। इस इलाके में घोर गरीबी से उबरने वाले लोगों की तादाद केवल 40 लाख घटी है। वहां अब भी 38.9 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनकी रोजाना आय 1.90 डॉलर से कम है।