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दुष्कर्म की धाराओं का गलत इस्तेमाल कर रही हैं महिलाएं: कोर्ट

कड़कड़डूमा अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की कि महिला सुरक्षा कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है। एक युवती ने संपत्ति विवाद में मकान मालकिन और उसके भतीजे समेत तीन लोगों के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करा दी। सुनवाई के दौरान आरोपी पक्ष ने अदालत में एक सीडी पेश की, जिसमें पीड़िता का पिता केस वापस लेने के नाम पर उनसे सौदेबाजी करता दिख रहा है। इससे उनके झूठ का पुलिंदा खुल गया।


तीनों आरोपियों को बरी किया: कड़कड़डूमा स्थित एडिशनल सेशन जज सरिता बीरबल ने मामले के तीनों आरोपियों सिकंदर, शकीला और वारिस को बरी कर दिया है।


महिला सुरक्षा कानून का हथियार के तौर पर इस्तेमाल हो रहा: शनिवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मामला संपत्ति विवाद का है। सुनवाई के दौरान ऐसा प्रतीत हुआ कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।यह प्रवृत्ति सामाजिक ताने-बाने के लिए सही नहीं है। इससे समाज में विश्वास कम हो रहा है।


आरोपी मकान मालकिन के बेटे का अपहरण हुआ था: सुनवाई के दौरान पता चला कि आरोपी मकान मालकिन के नाबालिग बेटे का तीन साल पहले अपहरण कर लिया गया था। बरामदगी के बाद बच्चे ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराते हुए बताया कि दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती, उसकी मां और अन्य ने उसे अगवा किया था। बच्चे के बयान के आधार पर दुष्कर्म पीड़िता समेत पांच लोगों के खिलाफ अपहरण का मुकदमा भी दर्ज कर लिया गया है। मामले में बच्चे के ताऊ को भी गिरफ्तार कर लिया गया था, जो पूरे कांड का सूत्रधार बताया गया था। मामला अभी अदालत में लंबित पड़ा है।


सच सामने लाने में सात साल लग गए

वर्ष 2009 में दर्ज कराए गए इस मामले में सच सामने लाने में 7 साल का लंबा समय लग गया। अदालत द्वारा बरी किए गए युवक के पिता एहसान अली ने बताया कि युवती ने उसके बेटे के साथ पहले प्रेम संबंध बनाए। फिर उसे फोटो दिखाकर ब्लैकमेल करने लगी। बेटे ने भय से हजारों रुपये युवती को चुपचाप दे दिए। मगर जब पैसे देने बंद कर दिए तो युवती ने बेटे के खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया। हालांकि, अदालत में युवती ने कबूल किया कि जो फोटो रिकॉर्ड में हैं, वह उसकी सहमति से लिए गए हैं।


पीड़िता के पिता ने 10 लाख रुपये मांगे थे

आरोपी पक्ष की तरफ से अदालत में एक सीडी पेश की गई, जिसमें पीड़िता का पिता आरोपी युवक के पिता से मुकदमा निपटाने के एवज में दस लाख रुपये की मांग करता हुआ दिख रहा है। हालांकि, बाद में दोनों पक्षों के बीच सौदा तीन लाख रुपये में तय हुआ। आरोपी पक्ष द्वारा बनाई गई सौदेबाजी की इस वीडियो रिकॉर्डिग को अदालत ने एक अहम सबूत माना है। वहीं, घटना के समय पीड़िता को नाबालिग दिखाया गया है, जबकि हड्डियों की जांच में पीड़िता की उम्र घटना के समय 18 से 20 साल के बीच आई।

ताऊ ने संपत्ति कब्जाने के लिए साजिश रची

कड़कड़डूमा अदालत में मकान मालकिन के नाबालिग बेटे ने बताया था कि अपहरण के समय उसे पता चला कि अपहरण और उसकी मां तथा मामा के बेटे को बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की साजिश खुद उसके ताऊ ने रची थी। ताऊ जमशेद उसके पिता मंजूर की मौत के बाद उनके मकान पर कब्जा करना चाहता था। इस कारण उन्होंने किराएदार की बेटी की ओर से सामूहिक बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाया था।

 

रिपोर्ट-- हमेलता कौशिक