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दूध महासंकट का ऐसे निकाला समाधान, मिड डे मील में मिलेगा 200 ml दूध

रायपुर। राज्य के 35 लाख स्कूली छात्रों को मध्यान भोजन के साथ दूध मिलेगा। स्कूल शिक्षा विभाग ने छत्तीसगढ़ सहकारी दुग्ध महासंघ मर्यादित के प्रस्ताव पर दूध वितरण का प्रस्ताव तैयार किया है, जो शासन को भेजा जा रहा है। यह महासंघ के लिए राहत की खबर है, क्योंकि यह न सिर्फ वित्तीय संकट और घाटे में गुजर रहा है, बल्कि हजारों लीटर दूध भी नहीं बेच पा रहा है। इसे दूध खपाना भी कहा जा सकता है, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि छात्रों को पौष्टिक आहार मिलेगा, उनकी सेहत में सुधार होगा। राज्य में कुपोषण घटेगा।

'नईदुनिया" ने सबसे पहले इस महासंकट पर खबर प्रकाशित की थी। बताया था कि दुग्ध महासंघ ने चार महीने पहले ही सरकार को संकट के बारे में सूचना दे दी थी। इत्तला किया कि गोदाम में 500 टन (5 लाख किलो) दूध पाउडर जाम हो गया है, इसके खरीदार नहीं मिल रहे। समझ नहीं है कि क्या करें? ऐसी स्थिति में करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ेगा, सहयोग करें।

बावजूद इसके ध्यान नहीं दिया गया। 'नईदुनिया" ने प्रमुखता से मुद्दा उठाया, अब स्कूल शिक्षा विभाग सामने आया है। उसने सरकार के अधीनस्थ संचालित महासंघ को संकट से उबारने की तैयार कर ली है। सिर्फ सरकार की अंतिम मुहर लगने की देरी है।


गौरतलब है कि जो दूध पाउडर गोदाम में हैं उसकी एक्सपायरी डेट 12 महीने है, दूध पाउडर के साथ दूध भी बटेंगे। शासन को निर्णय लेना है कि दूध की राशि का भुगतान किस मद से, कौन करेगा? उम्मीद है कोई न कोई रास्ता जरूर निकल जाएगा।

महीने भर से किसानों का भुगतान रुका

दुग्ध संघ के पास किसानों को भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। प्रदेश के 50 हजार से अधिक किसानों को बीते माहभर से भुगतान नहीं हुआ है, इन्हें समझाया जा रहा है कि शासन स्तर पर बातचीत का दौर जारी है। जल्द समाधान निकलेगा। यही वजह है कि किसान आंदोलन का रास्ता नहीं अख्तियार कर रहे हैं। गौरतलब है कि एक दिन में किसानों को 25-27 लाख रुपए भुगतान होता है, यानी अब तक करोड़ों का बकाया हो चुका है।

- हमने अपनी तरफ से शासन को, स्कूल शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा है। अगर वे सहयोग करते हैं तो बहुत बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा। - रसिक परमार, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ मर्यादित

- प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसे शासन को भेजा जा रहा है। (खर्च का वहन कैसे होगा, बोले...) अभी इसी को लेकर ही शासन स्तर पर चर्चा होनी है। सभी विभाग एक-दूसरे के सहयोग से ही चलते हैं और अंत: में यह छात्रहित में है। - गौरव द्विवेदी, सचिव स्कूल शिक्षा विभाग