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देश की सर्वश्रेष्ठ कोयला खदान में बड़ा खेल, सरकार को 1052 करोड़ की चपत

रायपुर.राज्य में खनिज विकास निगम द्वारा कोयला खनन के पट्टे जारी करने में अनियमितता बरतने के कारण 1052.2 करोड़ रुपए के राजस्व की हानि हुई। विधानसभा में मंगलवार को पेश नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की 2010-11 रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
 
छत्तीसगढ़ के महालेखाकार पीसी मांझी ने संवाददाताओं को बताया कि खनिज निगम ने भटगांव-2 कोल ब्लॉक को 552 रुपए प्रति मिट्रिक टन दर की रॉयल्टी पर आवंटित किया, जबकि समान क्वालिटी के कोयले वाले भटगांव-2-विस्तार का पट्टा 129.6 रुपए प्रति मिट्रिक टन दर पर दिया। यह दर कोयले की सामान्य दर से भी कम थी।
 
मांझी ने बताया कि भटगांव-2 और भटगांव-2-विस्तार के ब्लॉक आसपास ही हैं। दोनों खदानों में कोयले की गुणवत्ता समान थी। जिस भटगांव-2 विस्तार को कम दर पर दिया गया, उसमें उच्च श्रेणी ‘अ’ से ‘स’ का कोयला 55 प्रतिशत था। यह दुर्लभ और बेहद महंगा कोयला होता है। इसका 90 से 95 प्रतिशत खनन बेहद कम खर्च में हो जाता है।
 
उन्होंने कहा कि इस कोल ब्लॉक के लिए दो कंपनियों ने ही टेंडर डाले थे। ऐसी स्थिति में खनिज निगम को स्वच्छ प्रतिस्पर्धा के लिए फिर से टेंडर बुलाना चाहिए था। वहीं ऑडिट आपत्ति आने पर निगम प्रबंधन ने कहा कि इसका आवंटन कोयला सलाहकार की सलाह पर ही किया गया, क्योंकि विस्तार ब्लॉक में केवल ‘डी’ श्रेणी का ही कोयला है, जबकि केंद्रीय भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में बताया गया था कि इसमें ‘अ’ से ‘स’ श्रेणी का कोयला मौजूद है। वास्तव में यह देश की अत्यंत ही उच्च श्रेणी के कोयले की खदान है इसलिए इसको बड़ी बोली पर आवंटित करना चाहिए था।
 
23.96 करोड़ रुपए की हानि विद्युत पारेषण कंपनी में समन्वय नहीं होने से।
190.68 करोड़ रुपए विभिन्न विभागों में अनुचित व्यय और अधिक भुगतान।
420.57 करोड़ रुपए का घाटा महंगी बिजली खरीदने में हुई।
 
826 करोड़ टैक्स की वसूली नहीं
वाणिज्यिक कर समेत अन्य विभागों में 826.26 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली नहीं की गई। वाणिज्यिक कर-व्यापारियों को टैक्स में अनुचित लाभ दिया गया। खाद्य और कृषि विभाग, नगरीय प्रशासन, आयुष, पीडब्ल्यूडी में भी अनियमितता हुई।
कुछ भी गलत नहीं : अग्रवाल
टेंडर की प्रक्रिया नियमानुसार अपनाई गई। इसमें कुछ गलत नहीं है। देश की बड़ी कंपनियों ने इसमें भाग लिया और सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को खनन की मंजूरी दी गई। इसका फैसला निगम के बोर्ड ने किया है। -गौरीशंकर अग्रवाल, अध्यक्ष, खनिज विकास निगम