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देश में 47% ग्रैजुएट कहीं भी नौकरी पाने लायक नहीं

तकरीबन आधे ग्रैजुएट्स अंग्रेजी में काफी कमजोर पाए गए हैं, उनमें बुनियादी ज्ञान का भी है सख्त अभाव

एस्पाइरिंग माइंड्स की रिपोर्ट
महज 2.59% ही फंक्शनल रोल जैसे एकाउंटिंग के लिए पाए गए हैं फिट
15.88% स्नातक सेल्स संबंधी नौकरियों के लिए नजर आए हैं उपयुक्त
21.37% ग्रैजुएट्स हैं बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) से जुड़ी नौकरियों के लायक
84% स्नातक नहीं हैं एनालिस्ट की भूमिका निभाने लायक

रोचक तथ्य - रोजगार पाने लायक 40% स्नातकों ने ऐसे कॉलेजों में पढ़ाई की है जिनकी गिनती %टॉप 30% कॉलेजों' में नहीं होती है

जरूरत - स्कूल व कॉलेज दोनों ही स्तरों पर छात्र-छात्राओं को इतना योग्य बनाएं जिससे कि वे कहीं न कहीं रोजगार पाने मे सक्षम हो सकें, वोकेशनल एजुकेशन पर भी नए सिरे से फोकस करें

भारत की आबादी भले ही विशाल हो, लेकिन नौकरी के लिहाज से काबिल विद्यार्थियों की फौज तैयार करने में हमारा देश नाकाम रहा है। एक नवीनतम अध्ययन से इस तथ्य का खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि देशभर में हर साल भले ही हजारों विद्यार्थी स्नातक की डिग्री हासिल कर लेते हों, लेकिन इनमें से तकरीबन आधे ही नौकरी पाने लायक होते हैं। वहीं, दूसरी ओर 47 फीसदी ग्रैजुएट किसी भी नौकरी के लायक नहीं होते हैं।

रोजगार क्षमता से जुड़े सोल्यूशंस मुहैया कराने वाली कंपनी %एस्पाइरिंग माइंड्स% की एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए बताया गया है कि तकरीबन आधे स्नातकों के किसी भी रोजगार के लायक न होने की बात अत्यंत चिंताजनक है। इसमें कहा गया है कि तकरीबन 47 फीसदी ग्रैजुएट्स अंग्रेजी में काफी कमजोर पाए गए हैं।

इसी तरह 47 फीसदी स्नातकों में बुनियादी ज्ञान का भी सख्त अभाव पाया गया है। एस्पाइरिंग माइंड्स के सह-संस्थापक एवं सीटीओ वरुण अग्रवाल ने कहा कि इस चिंताजनक आंकड़े को ध्यान में रखते हुए स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों ही स्तरों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है, %चूंकि ज्ञान आधारित इकोनॉमी में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद ही नौकरी पाने का रास्ता खुलता है, इसलिए स्कूल एवं कॉलेज दोनों ही स्तरों पर छात्र-छात्राओं को इतना योग्य बनाने की जरूरत है जिससे कि वे कहीं न कहीं रोजगार पाने मेें सक्षम हो सकें।% रिपोर्ट के मुताबिक, इसके साथ ही वोकेशनल एजुकेशन (रोजगारपरक शिक्षा) पर भी नए सिरे से फोकस करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

देश भर में हर साल कॉलेजों से निकलने वाले ग्रैजुएट्स की रोजगार पाने की क्षमता भी सेक्टर के लिहाज से अलग-अलग है। मसलन, इनमें से महज 2.59 फीसदी ही फंक्शनल रोल जैसे एकाउंटिंग के लिए फिट पाए गए हैं। इसी तरह 15.88 फीसदी स्नातक सेल्स संबंधी नौकरियों के लिए उपयुक्त नजर आए हैं।

वहीं, 21.37 फीसदी ग्रैजुएट्स को बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बीपीओ) से जुड़ी नौकरियों के लिए फिट बताया गया है। जहां तक एनालिस्ट की भूमिका निभाने लायक होने का सवाल है, तकरीबन 84 फीसदी स्नातक इस पैमाने पर खरे नहीं उतरे हैं।

एक रोचक जानकारी यह भी मिली है कि जिन ग्रैजुएट्स को रोजगार पाने लायक माना गया है, उनमे से तकरीबन 40 फीसदी ने ऐसे कॉलेजों में पढ़ाई की है जिनकी गिनती %टॉप 30 फीसदी कॉलेजों% में नहीं होती है। यह रिपोर्ट एस्पाइरिंग माइंड्स कंप्यूटर एडैप्टिव टेस्ट (एएमसीएटी) के आधार पर तैयार की गई है।

देशभर में फैले 60,000 से भी ज्यादा ग्रैजुएट्स से जुड़े अहम आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद उपर्युक्त तथ्य उभर कर सामने आए हैं। तीन वर्षीय बैचलर्स डिग्री हासिल करने वाले स्नातकों की रोजगार क्षमता पर यह राष्ट्रीय स्तर का पहला ऑडिट है।