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देश में ग्रामीण और शहरी इलाकों में 24.39 करोड़ परिवार

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने शनिवार को देश के सामाजिक और आर्थिक आधार पर की गई जनगणना के आंकड़े जारी किए। वित्त मंत्री अरुण जेटली व ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आंकड़े पेश किए। हालांकि, सरकार ने जातिगत आधार पर की गई जनगणना के आंकड़े जारी नहीं किए।

इस दौरान वित्‍तमंत्री हुए अरुण जेटली ने दावा किया कि यह एक शानदार दस्तावेज होगा। इससे भारत की हकीकत पता चलेगी। 1929 के बाद पहली बार इस तरह की जनगणना की गई। इसमें 17.9 करोड़ घरों की जानकारी अब सरकार के पास है।

सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देश में ग्रामीण और शहरी इलाकों में परिवारों की कुल संख्‍या 24.39 करोड़ है। इनमें से ग्रामीण इलाकों में परिवारों की संख्‍या 17.91 करोड़ है। इस कुल संख्‍या में से 39.39 प्रतिशत यानी 7.05 करोड़ घरों को आर्थिक आधार पर 14 मानकों के अंतर्गत अलग किया गया है। इसका मतलब है कि ये लोग गरीब नहीं माने गए।

जिन मानकों को आधार बनाया गया है उनमें प्रमुख है कि घर में कोई भी दो, तीन या चार पहिया वाहन हो, किसान क्रेडिट कार्ड जिसकी सीमा 50 हजार से ज्‍यादा हो, घर का कोई सदस्‍य सरकारी कर्मचारी हो, ऐसा परिवार जिसके पास सरकार के पास रजिस्‍टर्ड गैर कृषि उद्यम हो, घर के किसी भी सदस्‍य की आय 10 हजार रुपये से ज्‍यादा हो आदि शामिल हैं।

इसके अलावा गरीबों की श्रेणी में कुल आंकडों के 0.92 प्रतिशत परिवार यानी 16.50 लाख ऐसे परिवार ऑटोमेटिक जुड़ गए हैं जिनके पास रहने के लिए घर नहीं हैं, भिक्षावृत्ति पर जिंदा हैं या बंधुआ मजदुर आदि हैं।

जारी आंकड़ों में 10.69 करोड़ ऐसे परिवार शामिल किए गए हैं जो जरूरी सुविधाओं से वंचित हैं इनमें से 2 करोड़ ऐसे परिवार हैं जो इनकी जानकारी नहीं देते वहीं 8.69 करोड़ परिवार ऐसे हैं जो निचे दी गई 7 असुविधाओं या कमियों की श्रेणी में आते हैं। इन श्रेणियों की बात की जाए तो 13.27 प्रतिशत यानी 2.37 करोड़ परिवार ऐसे हैं जो कच्‍ची मिट्टी से बने घर या फिर एक ही कमरे में रह रहे हैं।

65.15 लाख परिवार ऐसे हैं जिनके घर में 18-59 वर्ष की उम्र के बीच कोई युवा सदस्‍य नहीं है। 7.16 लाख परिवार ऐसे हैं जिनमें शारीरिक रूप से अक्षम व्‍यक्ति हैं और उनकी मदद के लिए कोई सक्षम व्‍यक्ति परिवार में नहीं है। एससी और एसटी परिवारो की संख्‍या 3.86 करोड़ है।

25 वर्ष की उम्र से ज्‍यादा का कोई भी व्‍यक्ति साक्षर ना हो ऐसे परिवारों की संख्‍या 4.21 करोड़ बताई गई है। इसके अलावा ऐसे परिवार जिनके पास जमीन नहीं है और परिवार को मजदूरी के माध्‍यम से चलाते हैं उनकी संख्‍या 5.37 करोड़ है।

पारिवारि‍क आय के आधार पर जो आंकड़े जारी किए गए हैं उनके अनुसार कुल ग्रामीण परिवारों की संख्‍या 17.91 करोड़ है इनमें से 5.39 करोड़ परिवारों की खेती से आय है वहीं अस्थिर श्रम से आय वाले 9.16 करोड़ परिवार हैं। 44.84 लाख ऐसे परिवार हैं जिनकी आय पूरे आधे समय के लिए घरों में काम करने से होती है।

4.08 लाख परिवारों की आय रैग पिकिंग यानी पुरानी चीजों की मदद से हाथ से बने सामान बेचकर होती है। गैर कृषि स्‍वयं के खाते वाले उद्यम से आय वाले 28.87 लाख परिवार हैं। भिक्षा या दान से आय प्राप्‍त करने वालों की संख्‍या 6.68 लाख है। सरकारी नौकरी, प्रायवेट नौकरी आदि से आय प्राप्‍त करने वालों की संख्‍या 2.50 करोड़ है।