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देशी आलू से बनेगा विदेशी फ्रेंच फ्राई

मोदीपुरम [मेरठ]। विदेशी फास्ट फूड फ्रेंच फ्राई के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। इसका स्वाद अब आम आदमी भी ले सकेगा। यह संभव हुआ केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम द्वारा विकसित की गई आलू की नई प्रजाति से। यह देश में सबसे पहले विकसित ऐसी प्रजाति है, जिससे फ्रेंच फ्राई बनाया जा सकेगा। सीपीआरआई ने इसे विकसित करने के बाद कई नामी कंपनियों तथा किसानों को बीज उपलब्ध करा दिया है।

विदेशी फास्ट फूड की बात आती है तो फ्रेंच फ्राई का नाम लोगों की जुबां पर आ जाता है। इस उत्पाद के लिए आलू अभी तक कनाडा, अमेरिका व यूरोपीय देशों से मंगाया जाता है, जिससे भारत में यह महंगी मिलती है। इसके लिए विशेष गुणवत्ता वाले आलू की जरूरत होती है जिसकी, लंबाई चार इंच, 20 प्रतिशत ठोस तत्व और शुगर की उपलब्धता 100 पीपीएम [पार्ट पर मिलियन] होनी चाहिए।

14 वर्षो से जारी था प्रयास

फ्रेंच फ्राई के लिए आलू की नई प्रजाति विकसित करने का बीड़ा 14 वर्ष पहले केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान परिसर मोदीपुरम् ने उठाया था। संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. बीरपाल सिंह ने बताया कि छह वर्ष तक लैब व प्रक्षेत्र में प्रयास हुआ। डॉ. एसबी सिंह की टीम ने संकर क्रिया के तहत कई प्रयोग किए और एमपी/92-30 व एमपी/90-94 दो संकर नस्लों के संकरण से सफलता हासिल की।

कई साल तक मोदीपुरम् में ही इसका संवर्धन किया गया। इसके बाद इसे आईसीएआर के माध्यम से देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों व संस्थानों में प्रक्षेत्र परीक्षण के लिए भेजा। दो वर्ष तक हुए परीक्षण में परिणाम सार्थक रहे। केंद्र द्वारा अखिल भारतीय समन्वित आलू विकास परियोजना की कृषि विवि धारवाड़ कर्नाटक में 10-12 अगस्त 09 तक हुई बैठक में इस नई प्रजाति को आलू कुफरी फ्राईसोना नाम दिया गया। इस प्रजाति का आलू 3-4 इंच लंबा है, इसमें 21-22 प्रतिशत ठोस तत्व उपलब्ध हैं और शुगर की उपलब्धता 100 पीपीएम है।

जालंधर में किया परीक्षण

इस नई प्रजाति का जालंधर में इंडस्ट्रीयल परीक्षण कराया गया जो सफल रहा। इस गुणवत्ता के आधार पर विशेषज्ञों की समिति ने इसके उत्पादन की संस्तुति दे दी है। इसे उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी बंगाल आदि प्रांतों के किसान उगा सकेंगे। किसानों को लागत व श्रम के अनुरूप मुनाफा मिल सकेगा और लंबे समय तक खाली रहने वाले प्रसंस्करण उद्योग को काम व दाम दोनों मिलेंगे।

देशी-विदेशी कंपनियां व किसान उगाएंगे

संयुक्त निदेशक डॉ. बीरपाल सिंह ने बताया कि इस नई प्रजाति के विकास के लिए मैकेंस फूड कनाडा समेत पंजाब, हरियाणा, गुजरात स्थित देशी-विदेशी कंपनियों और किसानों को बीज उपलब्ध कराया गया है। खुद सीपीआरआई भी इसके औद्योगिक उत्पादन में जुट गई है।