Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/न-बदलें-महिला-हितैषी-कानून-सुभाषिनी-अली-सहगल-8259.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | न बदलें महिला हितैषी कानून- सुभाषिनी अली सहगल | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

न बदलें महिला हितैषी कानून- सुभाषिनी अली सहगल

कभी-कभी बड़ी सुर्खियों के पीछे महत्वपूर्ण खबरें छिप जाती हैं। कुछ दिन पहले एक खबर छपी थी कि मोदी सरकार के मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया है कि फौजदारी कानून की धारा 498-ए के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर आरोपी या आरोपियों को गिरफ्तार न करके यह कोशिश की जाएगी कि दोनों पक्षों के बीच समझौता किया जाए। इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि इस धारा का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस दिन यह खबर छपी थी, उस दिन राहुल गांधी के विदेश से लौटने और आईपीएल मैच शुरू होने जैसी महत्वपूर्ण खबरें थीं, इसलिए यह खबर छिप गई।

सच यह है कि इस कानून के गलत इस्तेमाल का हल्ला तो बहुत मच रहा है, लेकिन इस गलत इस्तेमाल को सिद्ध करने वाले तथ्य कम ही नजर आते हैं। यहां मोदी सरकार में महिला कल्याण मंत्री मेनका गांधी का जिक्र लाजिमी है। उन्होंने अपने मंत्रालय का भार संभालते समय कहा था कि 498-ए को निष्प्रभावी करना बहुत आवश्यक है, क्योंकि (वही तर्क) इसका बहुत दुरुपयोग हो रहा है। कुछ महीनों के अनुभव के बाद उन्होंने अपनी बात पूरी तरह से बदलते हुए इसकी पुरजोर वकालत की कि इस कानून में जरा-सा भी फेरबदल करने का मतलब होगा, पीड़ित महिलाओं को बिल्कुल बेसहारा और असुरक्षित बना देना। निश्चय ही उनका मत बदलने का काम दहेज उत्पीड़न संबंधी तमाम आंकड़ों ने किया होगा।

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति द्वारा संचालित इंडियन स्कूल ऑफ वीमेन्स स्टडीज ऐंड डेवलपमेंट ने राष्ट्रीय महिला आयोग के लिए हाल ही में एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में हरियाणा और तमिलनाडु में घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं का दृष्टिकोण समझने की कोशिश की गई है, कि न्याय पाने में उनके, खास तौर से दफा 498-ए पर हो रही चर्चा के संदर्भ में, अनुभव कैसे रहे हैं। सर्वेक्षण में भाग लेने वाली 88.6 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उन्हें शारीरिक और मानसिक पीड़ा का शिकार बनाया गया था, जबकि आधे से अधिक का कहना था कि उनका उत्पीड़न शादी के पहले साल में ही शुरू हो गया था। इनमें से अधिकतर महिलाएं आर्थिक रूप से अपने पतियों पर पूरी तरह से निर्भर थीं, और इसलिए पति का घर छोड़ने के बाद, करीब 80 फीसदी महिलाएं अपने मायके में रहने के लिए मजबूर थीं। पीड़ित महिलाओं ने यह भी बताया कि उत्पीड़न से बचने के लिए उन्होंने अपने पति का घर छोड़ने के बाद ही दफा 498-ए का सहारा लेकर मुकदमा किया। यह सर्वे इस दावे को भी झुठलाता है कि इस कानून का ज्यादातर इस्तेमाल पढ़ी-लिखी चतुर औरतें अपने ससुराल के लोगों को फंसाने और लूटने की नीयत से करती हैं। इन मुकदमों में से करीब 80 फीसदी मामलों की सुनवाई हुई, जिनमें से ज्यादातर मामले वर्षों तक चले, जिसकी वजह से पीड़ित पक्ष का काफी नुकसान हुआ और करीब 20 फीसदी महिलाओं को मर्जी के खिलाफ 'समझौता' करने को मजबूर होना पड़ा। 'बेकुसूर' मां-बाप को फंसाने और पैसा ऐंठने की 'कोशिश' करने जैसे आरोप भी गलत साबित होते दिखे।

किसी भी कानून का दुरुपयोग अपराध है। ऐसा करने वालों को सजा मिलनी चाहिए, लेकिन उनकी सजा उनको न दी जाए, जो बेकुसूर भी हैं, और पहले से ही तमाम सजा भुगत रही हैं। इस घोर अन्याय को रोकने की हरसंभव कोशिश करना वक्त की जरूरत है।

-माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद