Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/नक्सली-घटनाओं-से-थर्राता-रहा-छत्तीसगढ़-844.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | नक्सली घटनाओं से थर्राता रहा छत्तीसगढ़ | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

नक्सली घटनाओं से थर्राता रहा छत्तीसगढ़

रायपुर। बहुमूल्य खनिज संपदा्र हरे भरे वनों और सीधे सरल आदिवासियों वाला छत्तीसगढ़ राज्य इस साल भी नक्सली घटनाओं से थर्राता रहा। राज्य में नक्सली साल भर उत्पात मचाते रहे और इस दौरान उन्होंने यहां के काबिल पुलिस अधीक्षक समेत 235 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि अब केन्द्र के सहयोग से राज्य नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान शुरू करने की स्थिति में है।

नक्सल समस्या के कारण 44 फीसदी वनों से घिरा यह राज्य पिछले तीन दशकों से अशांत है और यहां की सरकारें इस समस्या से निपटने में असफल रहीं हैं। राज्य में हर साल सैकड़ों लोगों की मौत इस समस्या के कारण हो रही है और वर्ष 2009 भी इससे अछूता नहीं रहा है।

राज्य के पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों पर नजर डालें तब इस साल जनवरी से लेकर नवम्बर महीने तक नक्सलियों ने 235 लोगों की हत्या कर दी जिसमें 99 पुलिस कर्मी, दो गोपनीय सैनिक, 11 शासकीय कर्मचारी, 21 विशेष पुलिस अधिकारी और 102 आम आदमी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के बुंलद हौसले का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस वर्ष जुलाई महीने की 12 तारीख को पुलिस दल पर जबरदस्त हमला कर दिया जिसमें दल का नेतृत्व कर रहे राजनांदगांव जिले के पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौके समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। चौबे को राज्य में नक्सल मामलों का महत्वपूण्र रणनीतिकार के रूप में देखा जाता था और उन्होंने राजनांदगांव और आसपास के जिलों में नक्सली नेटवर्क को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। राज्य में पुलिस नक्सली घटनाओं से जूझती रही और इधर नक्सली अपने क्षेत्र का विस्तार करते रहे।

छत्तीसगढ़ के रायपुर और धमतरी जैसे जिले राज्य के शांत जिलों की श्रेणी में थे, लेकिन नक्सलियों ने 11 मई को धमतरी जिले के सिहावा क्षेत्र में बारूदी सुरंग में विस्फोट कर यहां भी अपनी उपस्थिति का अहसास करा दिया। इस घटना में 12 पुलिसकर्मियों समेत 13 लोगों की मृत्यु हो गई थी तथा सात अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए।

नक्सलियों ने लोकसभा के मतदात के दौरान जमकर हिंसा की और राजनांदगांव क्षेत्र में 16 अप्रैल को पांच मतदान अधिकारियों समेत सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

नक्सलियों ने जून महीने की 20 तारीख को दंतेवाड़ा जिले के तोंगापाल थाना क्षेत्र में बारूदी सुरंग में विस्फोट कर ट्रक को उड़ा दिया जिसमें केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के पांच जवान शहीद हो गए तथा 10 अन्य घायल हो गए।

एक अन्य घटना में 26 जुलाई को दंतेवाड़ा जिले के ही बारसूर थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग में विस्फोट कर पुलिस वाहन को उड़ा दिया था जिसमें केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के उपनिरीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मी शहीद हो गए तथा तीन अन्य घायल हो गए। इसके अलावा नक्सलियों ने बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हुए 19 सितम्बर को छह पुलिसकर्मियों की, 25 अक्तूबर को सीआईएसएफ के चार सुरक्षाकर्मियों की तथा छह दिसम्बर को चार ग्रामीणों की हत्या कर दी थी। वर्ष 2009 में नक्सलियों ने जनप्रतिनिधियों को भी अपना निशाना बनाया। राज्य में इस साल अप्रैल महीने की तीन तारीख को नक्सलियों ने दंतेवाड़ा जिले के फरसपाल गांव के सरपंच और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा के भतीजे छन्नूराम कर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी।

इसके एक दिन बाद पांच अप्रैल को नक्सलियों ने राजनांदगांव जिले में भाजपा के वरिष्ठ नेता और मानपुर मोहला क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी रहे दरबार सिंह मंडावी की भी हत्या कर दी थी। नक्सलियों ने जनप्रतिनिधियों को निशाना बनाना जारी रखा और एक महीने बाद 19 जून को बस्तर जिले में जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष विमल मेश्राम की गोली मार कर हत्या कर दी।

राज्य में नक्सलियों की गोलियों का शिकार बस्तर क्षेत्र के सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता बलिराम कश्यप के पुत्र भी बने। नक्सलियों ने 26 सितम्बर को सांसद पुत्र तानसेन की गोली मारकर हत्या कर दी तथा उनके भाई दिनेश को गंभीर रूप से घायल कर दिया। बलिराम कश्यप का एक अन्य पुत्र केदार कश्यप राज्य मंत्रिमंडल का सदस्य है।

छत्तीसगढ़ में साल भर पुलिस नक्सलियों से लोहा लेती रही और सफलताएं भी अर्जित की। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इस साल 208 मुठभेड़ें हुई और पुलिस ने इस दौरान 96 नक्सलियों को मार गिराया तथा 176 नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि 11 संघम सदस्यों ने आत्मसमर्पण किया है। राज्य में पुलिस ने नक्सलियों के हथियार कारखाने को नष्ट कर दिया तथा कमांडर और डिप्टी कमांडर स्तर के दर्जनों नक्सलियों को मार गिराने में सफलता हासिल की। इस दौरान पुलिस पर दंतेवाड़ा जिले के सिंगावरम गांव में फर्जी मुठभेड़ में 17 आदिवासियों को मार गिराने का भी आरोप लगा। मामला अभी न्यायालय में है।

देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पीयूसीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनायक सेन को जमानत पर रिहा करने का आदेश भी इस वर्ष सुर्खियों में रहा। छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा कानून के तहत दो साल सलाखों के पीछे रहने के बाद सेन 26 मई को जेल से रिहा हो गए। जेल से बाहर निकलने के तुरंत बाद सेन ने सलवा जुडूम की मुखालफत की और कहा कि वे इस आंदोलन का विरोध करते रहेंगे।

साल के शुरूवाती महीने में माओवादियों ने राज्य में शांति स्थापना के लिए बातचीत के लिए तैयार रहने की भी बात कही, लेकिन इस मामले में बात आगे नहीं बढ़ी।

देश भर में फैल रही नक्सल समस्या को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी गंभीर समस्या माना और इसे समाप्त करने के लिए तैयारियां भी शुरू हो गई। केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ समेत अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों को इस समस्या से निपटने में पूरी तरह मदद करने का वादा किया और केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिंदबरम स्वयं तैयारियों का जायजा लेने छत्तीसगढ़ पहुंचे। राज्य में नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की तैयारी जारी है।