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नदीसूत्रः मुंबई की मीठी नदी का कड़वा वर्तमान और जहरीला भविष्य

-इंडिया टूडे हिंदी
 
मायानगरी मुंबई कुछ महीनों पहले सोशल मीडिया पर आरे के जंगल बचाने जाग गई थी. पर शहर के लोगों ने एक मरती हुई नदी पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया. मुंबई ने एक नदी को मौत की नींद सोने पर मजबूर कर दिया है. नाम है मीठी, पर इसका भविष्य और वर्तमान दोनों कड़वा-कसैला है. खुद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने माना है कि मीठी नदी में अवशिष्ट पदार्थ की मात्रा तयशुदा मानकों से 16 गुना अधिक है. 

करीब 17.8 किमी लंबी मीठी नदी मुंबई के दिल से गुजरती है और माहीम क्रीक में जाकर मिल जाती है और बोर्ड के मुताबिक इसमें प्रदूषण उच्चतम स्तर का है. 

झटके खाने वाली बात यह है कि आरे के जंगलों पर आरा चलने की खबर से एक्टिव मोड में आ गए मुंबईकर मीठी नदी की दुर्दशा पर अमूमन चुप हैं. और सरकार ने इस नदी के पुनरोद्धार पर सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च किए हैं पर समस्या का निराकरण कहीं दिखता तक नहीं है. इस नदी में अभी फीकल कॉलीफॉर्म, एक बैक्टिरिया जो इंसानों और जानवरों के मल में मौजूद होता है, की उच्चतम मात्रा मौजूद है. 2018 के जनवरी-मार्च महीनों में मीठी नदी में यह बैक्टिरिया 1,600 प्रति 100 मिली था, जबकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक यह तयशुदा मात्रा 100 प्रति 100 मिली ही होनी चाहिए.

हालांकि, 2005 में मुंबई में आई बाढ़ के बाद राज्य सरकार ने मीठी रिवर डिवेलपमेंट ऐंड प्रोटेक्शन अथॉरिटी (एमआरडीपीए) का गठन किया था और इसने ताजा जानकारी मिलने तक (2018 तक), इसके मद में 1,156 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं. 

करीबन डेढ़ दशक के पुनरोत्थान कार्य के बाद भी नदी की सांस घुट रही है. असल में, इंडिया टुडे में 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में लिखा गया कि इस रकम का अधिकतर हिस्सा नदी को गहरा और चौड़ा करने में खर्च हो गया. साथ में नदी के साथ की दीवारों की भी मरम्मत की गई. महाराष्ट्र सरकार के ताजा आंकड़े के मुताबिक, मीठी नदी को पुनर्जीवित करने का पूरा मद करीबन 2136.89 करोड़ रुपए है. इनमें से करीबन 1156.75 करोड़ रु. को 12 पुल बनाने. नदी को चौड़ा करने, दीवारें खड़ी करने, अतिक्रमण हटाने, सर्विस रोड बनाने और गाद हटाने में खर्च किया जा चुका है.

पर यह तो अगली बाढ़ से बचाव का रास्ता हुआ. यह तो महानगर का स्वार्थ है. नदी के लिए क्या काम हुआ? इस रिपोर्ट में लिखा गया कि उस वक्त मद में बचे 600 करोड़ को नदी पर मौजूद पांच पुलो, माहीम कॉजवे, तान्सा, तुलसी, धारावी और माहीम रेलवे ब्रिज को चौड़ा करने में खर्च किया जाना है. इससे नदी का संकरा रास्ता चौड़ा हो जाएगा.
 
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