Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/नशे-में-डूबते-केरल-को-बचाएं-पत्रलेखा-चटर्जी-7316.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | नशे में डूबते केरल को बचाएं - पत्रलेखा चटर्जी | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

नशे में डूबते केरल को बचाएं - पत्रलेखा चटर्जी

आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है कि जो केरल अपनी उच्च साक्षरता दर और मानव विकास में उल्लेखनीय प्रगति के लिए जाना जाता है, वही शराब के उपभोग के मामले में भी पूरे देश में अव्वल है। शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की कांग्रेस नेतृत्व वाली राज्य सरकार की हालिया घोषणा के साथ ही यह सवाल एक बार फिर से चर्चा में है। यहां के मुख्यमंत्री ओमन चांडी कहते हैं कि अगले दस वर्षों के भीतर शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित करने के लिए राज्य को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगले वर्ष से केवल बड़े होटलों को ही शराब परोसने की अनुमति होगी। शराब के प्रति व्यक्ति उपभोग के मद्देनजर केरल देश में पहले स्‍थान पर है। यहां प्रति व्यक्ति दर 8.3 लीटर प्रति वर्ष है। गौरतलब है कि अल्कोहल की बिक्री से राज्य की अर्थव्यवस्‍था को भी खासा फायदा पहुंचता है।

हैरान करने वाली बात है कि राज्य के वार्षिक बजट में 40 फीसदी से भी ज्यादा राजस्व अल्कोहल की बिक्री से आता है। मगर अल्कोहल के ज्यादा उपभोग के गंभीर सामाजिक और स्वास्‍थ्य संबंधी खतरे भी होते हैं। अल्कोहल उपभोग में केरल के बाद दूसरे स्‍थान पर पंजाब है। यहां अल्कोहल उपभोग की प्रति व्यक्ति दर 7.9 लीटर प्रति वर्ष है, जबकि इसका राष्ट्रीय औसत चार लीटर है। रही बात केरल सरकार की ताजा घोषणा की, तो इस पर काफी चर्चा हो चुकी है कि क्या यह कदम कारगर ‌साबित होगा, और इसका राज्य की अर्थव्यवस्‍था पर क्या असर पड़ेगा। गौरतलब है कि शिक्षा, स्वास्‍थ्य और पोषण के मामले में केरल के उल्लेखनीय रिकॉर्ड को देखते हुए इसे मॉडल्‍ा राज्य माना जाता है। फिर यहां बड़ी मात्रा में अल्कोहल के सेवन की क्या वजह हो सकती है? बात केवल केरल की ही नहीं, देश के सर्वाधिक समृद्ध राज्यों में शुमार किए जाने वाले पंजाब को भी आखिर क्यों अल्कोहल और नशीली दवाओं की समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है?

और इन दो राज्यों के उदाहरण से आर्थिक प्रगति और सामाजिक सूचकांकों में पिछड़ा हुआ उत्तर प्रदेश आखिर क्या सीख ले सकता है? इन सवालों का समाधान इतना आसान नहीं है। मगर यह साफ है कि विकास के लिए बढ़ाए गए हर कदम को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कुछ समस्याओं को दूर कर लेने का यह मतलब कतई नहीं निकालना चाहिए कि उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। नई चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार सजग रहना पड़ेगा। अब केरल का ही उदाहरण लें। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन मान‌व विकास की गौरवपूर्ण मिसाल के तौर पर समय-समय पर इस राज्य का उल्लेख करते रहे हैं। ऐसे में, केरल के खुद पर गर्व करने की मुनासिब वजहें हैं।

पूर्ण साक्षरता पाने वाला यह देश का पहला राज्य था। दरअसल केरल के विकास मॉडल की नींव कुछ तो यहां के महाराजाओं ने, और कुछ चर्च ने रखी, जिसके तहत स्वास्‍थ्य और शिक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया। मगर यहां के राजनेता इन बेहतर सामाजिक सूचकांकों का बेहतर फायदा नहीं उठा पाए। ज्यादा हड़तालों की वजह से केरल उद्योगों की पहली पसंद नहीं बन पाया। इसीलिए यहां की साक्ष्‍ार जनसंख्या के लिए अपने ही राज्य में नौकरियों का टोटा बना रहा। यहां के कुशल और गैर-कुशल श्रमिको ने मध्य पूर्व या किसी और गंतव्य की ओर रुख किया। इन्होंने अपने ‌परिवारों के लिए पैसा तो भेजा, मगर अपनों से दूरी से उपजे दुख का क्या। और इसी के चलते निराशा, अल्कोहल का उपभोग और आत्महत्या जैसी प्रवृत्तियां प्राकृतिक छटा वाले इस राज्य की सूरत को बिगाड़ने लगीं।

दूसरी ओर हरित क्रांति के लिए मशहूर पंजाब में कई वर्षों तक खेती ने वरदान की भूमिका निभाई। राज्य में तेजी से फैलती समृद्धता के इतिहास में भाखड़ा नागल बांध, लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय और चंडीगढ़ की स्‍थापना मील के पत्थर साबित हुए। और फिर बारी आई भारतीय मूल के उन पंजाबियों की जिन्होंने विदेशों में काम करते हुए अपने राज्य की समृद्ध‌ि में योगदान दिया। हरित क्रांति के दौर की समाप्ति के बाद भी यह क्रम चलता रहा। मगर इसी के चलते केरल और पंजाब को कृषि श्रमिकों की आपूर्ति के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर होना पड़ा।

हालांकि यह समझना होगा कि बात चाहे केरल की हो, या पंजाब की, या पूरी दुनिया की, हर जगह यही देखने में आया है कि जब एक तरह की विकास चुनौतियों का समाधान ढूंढ लिया जाता है, तो फिर दूसरी चुनौतियां पैदा होने लगती हैं। श्रीलंका की तरह केरल ने भी मातृ और शिशु मृत्यु दर और संक्रामक ‌बीमारियों से निपटने में तो कामयाबी ह‌ासिल कर ली, मगर अब उसके सामने अल्कोहल और नशीली दवाओं के उपभोग के रूप में जीवन शैली से जुड़ी दूसरी चुनौतियां हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अल्कोहल पर पूर्ण प्रतिबंध ही क्या केरल की समस्याओं का हल साबित होगा। गौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 1920 से 1933 तक यह प्रयोग किया गया था, जो नाकामयाब रहा था।

भारत में भी 1970 के दशक के आखिर में मोरारजी देसाई सरकार ने ऐसी ही विफल कोशिश की थी। इससे अल्कोहल उद्योग को छिपे तौर पर बढ़ने का मौका मिला। अल्कोहल पर पूर्ण प्रतिबंध वाले गुजरात की मुश्किलें भी ज्यों की त्यों बनी हुईं हैं। दरअसल सामुदायिक गतिशीलता के ‌बगैर इस चुनौती से नहीं निपटा जा सकता। मगर इसके लिए आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा के माहौल की जरूरत होगी, जहां लोग शराबखानों की बजाय उत्पादक कार्यों में अपना ज्यादा समय लगा सकें।