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नसबंदी कांड में इस्तेमाल सिप्रोसिन, आईबुप्रोफेन थी जहरीली

रायपुर। बिलासपुर के पेंडारी नसबंदी कांड में इस्तेमाल सिप्रोसिन-500 बैच नं. 14101 और आईब्रूफेन- 400 बैच नं. टीटी 450413, दोनों ही दवाएं जहरीली थीं। यह बड़ा खुलासा नसबंदी कांड के लिए राज्य शासन द्वारा गठित अनिता झा न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में हुआ है। इसी रिपोर्ट के आधार पर राज्य शासन ने दोनों दवा निर्माता कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई आदेश जारी किए हैं।

सिप्रोसिन- 500, महावर फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, खम्हारडीह, रायपुर की ही निर्माता कंपनी है, जिसके संचालक कांड के बाद गिरफ्तार कर लिए गए थे और 10 महीनों से जेल में हैं तो वहीं आईब्रूफेन-400 टैक्निकल लैब एंड फार्मा प्राइवेट लिमिटेड, हरिद्वार उत्तराखण्ड की कंपनी, जिसके विरुद्ध आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

नसबंदी कांड के 10 महीने बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि मेडिकल नेग्लिजेंस (चिकित्सकीय चूक) के अलावा दवाएं भी जहरीली थी। 8-10 नवंबर 2014 में बिलासपुर के सकरी, गौरेला, पेंड्रा, मरवाही में नसबंदी शिविरों आयोजित किए गए थे, जिनमें ये दोनों ही दवाएं महिला हितग्राहियों को बांटी गई थीं।

इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ी और एक-एक कर 19 महिलाओं की जान चली गई। हालांकि कार्रवाई आदेश में मृत महिलाओं की संख्या 13 बताई गई है। वहीं यह भी खुलासा हुआ है कि बीएमओ तखतपुर ने नियम विरुद्ध जाकर नेमीचंद्र जैन ट्र्‌स्ट अस्पताल का चयन नसबंदी शिविर के लिए किया गया था।

अगर दवा क्रय कमेटी सतर्क होती तो...

सिप्रोसिन-500 बैच नं.14101 का निर्माण भले ही रायपुर के महावर फार्मा प्रा.लि. में हुआ हो, लेकिन इसकी विक्रेता फर्म तिफरा बिलासपुर की कविता फॉर्मा थी। जानकर आश्चर्य होगा कि सिप्रोसिन-500 को क्रय करने के लिए गठित जिला क्रय समिति, बिलासपुर के सदस्यगण, जिनके द्वारा कविता फार्मा के पक्ष में क्रय आदेश जारी किया गया, जबकि लाइसेंस कार्वो फार्मा का था लापरवाही यहीं खत्म नहीं होती, कार्रवाई आदेश में लिखा है कि क्रय की जाने वाली दवा का परीक्षण नियमानुसार नहीं कराया गया। अगर कमेटी सतर्क होती तो ये कांड ही न होता।

और क्या-क्या है कार्रवाई आदेश में-

1- तखतपुर के विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी द्वारा नियमों के विरुद्ध जाकर निजी अस्पताल का चयन वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के बगैर किया गया। ड्यूटीरत शिविर प्रभारी ने अपने दायित्वों का निर्वहन नियमानुरूप नहीं किया था।

2- 8 व 10 नवंबर 2014 को सकरी और गौरेला में संपन्न नसबंदी शिविरों (इन्हीं शिविरों में 13 महिलाओं की मृत्यु हुई थी।) में ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर डॉ. आरके गुप्ता थे। कार्रवाई आदेश में लिखा है कि दोनों ही शिविरों में एक ही डॉक्टर से सभी ऑपरेशन करवाए गए थे।

3- सीएचसी गौरेला में पदस्थ खंड चिकित्सा अधिकारी, जिनके द्वारा 2बैगा समुदाय की महिला हितग्राहियों के ऑपरेशन नियमानुसार प्रमाण पत्र प्रदाय किए बगैर संपन्न करवाई गई। 8नवंबर 2014 को सकरी स्थित नेमीचंद ट्रस्ट अस्पताल हुए नसबंदी ऑपरेशन में महिला हितग्राहियों से संबंधित चैक लिस्ट, अन्य प्रपत्रों को नियमानुसार निष्पादित न करने वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, तखतपुर के तत्कालीन मेडिकल अधिकारी। पर भी कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए।

सचिव स्तर के अधिकारी जवाब देंगे

शासन से आदेश निकल चुका है कि सचिव स्तर के अधिकारी ही मीडिया के सवालों के जवाब देंगे। इसलिए मैं आपके सवालों का जवाब नहीं दे सकता। (फोन काट दिया।)

-रविप्रकाश गुप्ता, नियंत्रक, राज्य औषधी प्रशासन

बिल्कुल, होगी कार्रवाई

न्यायिक जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई आदेश जारी किया जा चुका है। रिपोर्ट में सिप्रोसिन और आईब्रूफेन को विषाक्त करार दिया गया है। बिलकुल, आईब्रूफेन-400 की उत्तराखंड स्थित निर्माता कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

-विकासशील, सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग