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नहरों से घिरा है पूर्व बर्दवान का यह गांव, अब भी धरती के ‘लाल’ तैर कर जाते हैं स्कूल

कोलकाता : पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री कभी गंगा नदी तैरकर स्कूल जाते थे. यह बात सौ साल से अधिक पुरानी हो गयी है. अब तो विज्ञान चांद ही नहीं, मंगल ग्रह पर भी कदम रखने की तैयारी कर रहा है.


शासन-प्रशासन की ओर से जब-तब तरक्की का डंका पीटा जाता है. लेकिन आज भी पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान जिले के कटवा सब डिवीजन के उद्धरणपुर विधानपल्ली गांव के न सिर्फ बड़े-बुजुर्ग, बल्कि बच्चे भी नहर पार करके स्कूल और बाजार जाने को विवश हैं. कोलकता से महज 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित 'तैराकों के गांव' के नाम से प्रसिद्ध उद्धरणपुर विधानपल्ली की आबादी लगभग दो हजार है.


केतुग्राम विधानसभा क्षेत्र का यह गांव चारों ओर नहर से घिरा हुआ है. इस कारण जिले के अन्य इलाकों से इसका संपर्क लगभग टूट गया है. नहर को पार करने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा बांस का लचका (पुल) तैयार किया गया था, जो गत वर्ष अगस्त में बाढ़ के कारण टूट गया.


इसके बाद से नहर पर कोई पुल नहीं बना. आर्थिक रूप से पिछड़े इस गांव में नाव की भी किल्लत है. चंद लोगों के पास ही नाव है, जिसका इस्तेमाल वे अपने निजी कार्यों के लिए करते हैं. यहां की कुछ बेटियां नाव खेकर अपनी पढ़ाई के लिए पास के इलाके में जाती हैं. बाकी लोग छाते को खोलकर उल्टा कर देते हैं और उसमें अपने सारे कपड़े और जरूरी समान रखकर नहर पार करते हैं.


गौरतलब है कि यहां नहरें 30 से 40 फीट गहरी हैं. सांप व अन्य कीड़े-मकोड़े के काटने का खतरा हमेशा बना रहता है. मजबूरीवश इस गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नहर पार करते हैं.


बच्चों की पढ़ाई हो रही है प्रभावित


यहां एक मात्र प्राइमरी स्कूल है, जहां कक्षा छह तक की पढ़ाई होती है. स्कूल के प्रधान शिक्षक संदीप कुमार बराई का कहना है कि प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को नहर पार कर दूसरे गांव के स्कूल जाना पड़ता है. इसलिए अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए नहीं भेजते हैं.


मैं उद्धरणपुर विधानपल्ली गांव की स्थिति से परिचित हूं. स्थानीय सांसद भी गांव के हालात से अवगत हैं. जिला परिषद के सहयोग से जल्द ही यहां पुल का निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा.


शेख शाहनवाज, विधायक, केतुग्राम विधानसभा.

मनरेगा योजना के तहत पांच लाख रुपये की लागत से यहां एक पुल का निर्माण किया गया था, जो 2017 की बाढ़ में टूट गया. नये पुल के निर्माण के लिए करीब 60 लाख रुपये की जरूरत है. इसके लिए हमने स्थानीय सांसद को प्रस्ताव भेजा है. उम्मीद है राज्य सरकार इस प्रस्ताव पर गौर करेगी.
विकास विश्वास, ग्राम प्रधान