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नोएडा एक्सटेंशन में दिन भर रहा टेंशन


ग्रेटर नोएडा। नोएडा एक्सटेंशन और भूमि अधिग्रहण मामले में रविवार का दिन आंदोलन के नाम रहा। इस दिन निवेशक से लेकर किसान व विभिन्न परियोजना में काम कर रहे ठेकेदार और मजदूरों ने अपने हक के लिए प्रदर्शन किया।

इधर, किसानों ने नोएडा व ग्रेटर नोएडा में दो जगह पर महापंचायत कर आगे की रणनीति तैयार की। महापंचायत में लिए गए निर्णयों से साफ है कि आने वाला समय नोएडा एक्सटेंशन और भूमि अधिग्रहण के लिए और कठिन होगा। अगर प्राधिकरण व सरकार ने जल्द ही बीच का रास्ता नहीं तलाशा तो बिल्डर व निवेशकों की परेशानी और बढ़ सकती है। वहीं कुछ निवेशकों ने सोमवार को हाईकोर्ट जाने का फैसला लिया है।

नोएडा एक्सटेंशन को लेकर सबके अलग-अलग सपने हैं। निवेशक मकान चाहता है, मजदूर व ठेकेदारों रोजी रोटी और किसानों क्षेत्र के विकास के साथ अपनी समस्याओं के निस्तारण व उचित मुआवजा की आस लगाए बैठा है। रविवार को हर कोई अपने टूटते सपने से खौफजदा था। निवेशकों ने पैसे की जगह अपने बुक कराए हुए फ्लैट के लिए आवाज उठाई। किसानों ने मोटरसाइकिल पर चेतावनी रैली निकाली। जिले में दो जगह पर महापंचायत कर आगे की रणनीति तैयारी की गई। साथ ही प्राधिकरण व सरकार की शुद्धि बुद्धि के लिए यज्ञ किया।

रविवार को इस प्रकरण के सबसे उपेक्षित पक्ष ठेकेदार व मजदूरों ने भी बिल्डरों के यहां फंसे पैसे को निकालने के लिए रैली निकाली। रैली के माध्यम से इन्होंने अपने बेरोजगार होने और रोजी-रोटी के संकट का सवाल उठाया। कई गांवों में किसानों ने बैठक कर हाईकोर्ट जाने का फैसला लिया।

खरीदारों की भीड़ से गुलजार रहने वाला नोएडा एक्सटेंशन रविवार को बिल्कुल बदला हुआ था। यहां किसान, मजदूर और निवेशक तीनों तनाव में थे। निवेशकों ने अपना घर हासिल करने के लिए पर्थला खंचर हिंडन पुल से पूरे एक्सटेंशन में पैदल मार्च निकाला।

किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में बिसरख, ऐमनाबाद, चौगानपुर, खैरपुर, रौजा, इटैड़ा, हैबतपु आदि गांवों के किसानों ने मोटरसाइकिल पर चेतावनी रैली निकाली। नोएडा के सेक्टर 74 में भी 30 गांव किसान प्रतिनिधियों ने अधिग्रहण के खिलाफ महापंचायत की। यहां निर्णय लिया गया कि अगर प्राधिकरण ने [30 गांवों के लिए पांच अगस्त और एक्सप्रेस-वे के 24 गांव के लिए 31 जुलाई तक] घोषित तिथि तक उनकी मांगें पूरी नहीं की तो अगले दिन से बिल्डर का काम रोकना शुरू कर दिया जाएगा। यहां एहतियातन भारी संख्या में पुलिस व पीएसी को भी तैनात किया गया था। जमीन अधिग्रहण के बदले मिलने वाली सुविधाओं को वापस लेने संबंधी प्राधिकरण की घोषणा पर किसान काफी नाराज हैं।

इधर, नोएडा एक्सटेंशन में निर्माण बंद होने पर बेरोजगार हुए ठेकेदार व मजदूरों ने वहां स्थित गोलचक्कर से पैदल मार्च निकाला। ठेकेदार व मजदूरों का कहना था कि न्यायालय उनकी भी पीड़ा सुने। निर्माण कार्य बंद होने से उनकी रोजी रोटी छीन गई है। उनके भी करोड़ों रुपये फंसे हैं। छोटी मिल्क लच्छी गांव के मंदिर पर किसानों ने सरकार व प्राधिकरण की शुद्धि व बुद्धि के लिए यज्ञ किया। हाईकोर्ट में पतवाड़ी गांव के किसानों को न्याय दिलाने वाले वकील पंकज दूबे का फूल माला से स्वागत हुआ।

वहीं नोएडा एक्सटेंशन से बाहर गांव डाढ़ा में दस गांवों व यमुना एक्सप्रेस-वे के गांव जगनपुर में छह गांवों के किसानों ने पंचायत कर जमीन अधिग्रहण का विरोध जताया और हाईकोर्ट जाने का निर्णय लिया।

सोमवार को फिर निकालेंगे रैली, अदालत से उनका पक्ष भी सुनने की अपील की

किसान और निवेशकों के बाद अब नोएडा एक्सटेंशन में काम करा रहे ठेकेदार और उनके मजदूर भी सड़क पर उतर आए हैं। अधर में फंसे नोएडा एक्सटेंशन की वजह से उन्हें अपनी रोजी-रोटी भी भंवर में फंसती नजर आ रही है। शासन के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए ठेकेदार संघ के तहत रविवार को हजारों मजदूर नोएडा एक्सटेंशन गोलचक्कर पर एकत्र हुए। संघ पदाधिकारियों ने रोजगार छीने जाने की आशंका व्यक्त करते हुए एकजुट रहने का आह्वान किया। ठेकेदारों के विरोध के स्वर मुखर होने से नोएडा एक्सटेंशन की टेंशन और बढ़ सकती है।

एक्सटेंशन के विभिन्न प्रोजेक्ट में चल रहे निर्माण कार्य ठप होने पर पैसा फंसने की आशंका से भयभीत ठेकेदार रविवार की सुबह करीब आठ बजे गोलचक्कर पर एकत्रित होने लगे। बैनर, तख्ती लिए ठेकेदार और मजदूरों ने रैली निकाली और सभा का आयोजन किया। सभा के संचालक अजय त्यागी ने बताया कि नोएडा एक्सटेंशन के प्रोजेक्ट में 250 से 300 ठेकेदार काम करा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने मजदूर से लेकर तकनीकी स्टाफ तक लगा रखा है। इसके अतिरिक्त निर्माण कार्य में भी उनकी लाखों की कीमती मशीनें भी लगी हुई हैं। पूरे कार्य में प्रत्येक ठेकेदार का एक से 10 करोड़ रुपये फंसा हुआ है। इन ठेकेदारों के साथ करीब 50 हजार मजदूर भी यहां काम कर रहे थे। अगर ठेकेदारों का पैसा फंसेगा तो वे मजदूरों को पैसा कहां से दे पाएंगे, उन्हें काम नहीं मिलेगा सो अलग। रोजगार छीनने के बाद उनके परिवारों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस रैली और सभा के माध्यम से उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि ठेकेदार-मजदूर पक्ष को भी ध्यान में रखकर निर्णय सुनाया जाए। ठेकेदारों ने कहा कि पीड़ा इस बात का है कि उनकी बात सुनने कोई प्रशासनिक अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे। अपनी मांग को लेकर सोमवार को भी ठेकेदार और मजदूर नोएडा एक्सटेंशन गोलचक्कर पर एकत्र होंगे। इस दौरान ठेकेदार संघ के अध्यक्ष अतुल यादव, राकेश शर्मा, प्रहलाद सिंह यादव, भारत भूषण आदि भारी संख्या में ठेकेदार और मजूदर एकत्र हुए। पतवाड़ी गांव के प्रोजेक्ट पर फैसला आ चुका है और रोजा याकूबपुर पर 26 जुलाई को हाईकोर्ट का फैसला आने वाला है। इसको देखते हुए किसान, बिल्डर्स, निवेशक, शासन-प्रशासन के साथ ही ठेकेदार, मजदूर, तकनीकी स्टाफ की टेंशन बढ़ गई है।

पंचायत में किसानों से एकजुटता का आह्वान

नोएडा एक्सटेंशन के मामले को लेकर किसानों की बैठक और पंचायतों का दौर जारी है। किसानों ने रविवार को बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। इसके साथ ही किसान नेताओं ने गांवों में पंचायत कर किसानों को एकजुट रहने और बहकावे न आने का आह्वान भी किया।

नोएडा एक्सटेंशन गोलचक्कर के समीप छोटा मिलकपुर मंदिर पर किसान एकत्र हुए। उन्होंने सबसे पहले हवन-यज्ञ किया। उनका कहना था कि यह बुद्धि-शुद्धि सरकार और प्राधिकरण को सद्बुद्धि दे ताकि किसानों को उनकी जमीन वापस मिल सके। यज्ञ के बाद किसानों ने मंदिर पर पंचायत की, जिसमें किसानों से एकजुट रहने का आह्वान किया गया। किसान नेता इंदर नागर ने कहा कि निवेशकों और ठेकेदार-मजदूरों की रैली एक साजिश है। ऐसा कराकर बिल्डर सरकार और न्यायपालिका पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि फैसला किसानों के हित में न होने पाए।

उन्होंने कहा कि इस स्थिति से किसान विचलित होने की बजाय एकजुट हों। जरूरत पड़ी तो इसके विरोध में किसान भी लाठी मार्च निकालेंगे। किसान किसी कीमत पर भी अपनी जमीन नहीं देंगे। इस मौके पर दुष्यंत नागर, कांग्रेस नेता अजय चौधरी, अतुल शर्मा, अजय खारी, श्याम सिंह, तेजराम यादव, यशवीर प्रधान, महिपाल सिंह, बुद्धपाल यादव, दिनेश शर्मा, फिरे नागर, लोकेश नागर, बॉबी नागर, अजित सिंह, ठाकुर करन आदि मौजूद थे। पंचायत की अध्यक्षता रामकला नागर ने किया।

इधर, रोजा याकूबपुर में भी किसानों ने पंचायत की। पंचायत का संचालन कर रहे प्रमोद नागर ने कहा कि किसानों को दलालों से सावधान रहना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ बिल्डरों और राजनीतिक पार्टियों के नेता किसानों को भड़काने में जुटे हुए हैं। लेकिन किसानों का हित एकजुटता में है। इस मौके पर महेंद्र नागर, बॉबी नागर, सुभाष आदि किसानों ने भी अपने विचार रखे।

किसानों से वार्ता के बाद साबेरी गांव में होगा सर्वे

नोएडा एक्सटेंशन के साबेरी गांव में विरोध के चलते प्राधिकरण ने किसानों से वार्ता करने के बाद सर्वे कराने का निर्णय लिया है। प्राधिकरण की टीम गांवों में जाकर किसानों से वार्ता करेगी और उनकी समस्याएं सुनेगी। इसके बाद जमीन का सर्वे करेगी।

बता दें कि साबेरी गांव में जमीन का अधिग्रहण रद होने पर प्राधिकरण के भूमि विभाग की टीम शनिवार को सर्वे करने पहुंची थी। किसानों ने अभिलेखों में अपना नाम दर्ज करने की मांग को लेकर सर्वे टीम को वापस लौटा दिया था। हालांकि, किसानों द्वारा विरोध करने से पहले टीम काफी जमीन का सर्वे कर चुकी थी।

प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी [सीईओ] रमा रमन ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्राधिकरण ने जमीन का सर्वे कराने का निर्णय लिया है। जिन किसानों ने जमीन का मुआवजा नहीं उठाया है, उनके नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

सर्वे कराने का एक कारण यह भी है कि किसानों के नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज कराया जा सके। किसानों को अगर किसी प्रकार की आपत्ति हो तो वे शिकायत दर्ज करा सकते हैं। प्राधिकरण उनके हितों का ध्यान में रखते हुए कोई कदम उठाएगा। गांवों में भी जाकर किसानों की समस्याएं सुनी जाएंगी। जमीन का सर्वे कराने से पूर्व उनकी शिकायतें सुनी जाएंगी, उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा। इसके बाद ही जमीन का सर्वे किया जाएगा। वस्तुस्थिति का निरीक्षण करने के बाद ही रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद जमीन का सीमांकन की किसानों को कब्जा दिया जाएगा। जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना रद्द होने के बाद भी साबेरी गांव वह प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में आता है। इसलिए प्राधिकरण सर्वे के बाद भूमि अधिग्रहण की पहली प्रक्रिया [धारा-चार] का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।