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नोटंबदी को दरकिनार कर Q3 में जीडीपी वृद्धि दर 7%, पूरे वर्ष का वृद्धि अनुमान 7.1% पर बरकरार

नोटबंदी की वजह से आर्थिक गतिविधियों के बुरी तरह प्रभावित होने की आशंकाओं को दरकिनार करते हुये चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रही है, जबकि पूरे वर्ष की वृद्धि का दूसरा अग्रिम अनुमान भी 7.1 प्रतिशत पर पूर्ववत रहा है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के मंगलवार (28 फरवरी) को जारी तीसरी तिमाही और पूरे वर्ष के अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर को 7.1 प्रतिशत पर कायम रखा है। इससे पहले जनवरी में नोटबंदी के प्रभाव को शामिल किये बिना जारी पहले अग्रिम अनुमान में भी पूरे वर्ष की वृद्धि का यही आंकड़ा जारी किया गया था। इस बीच, सीएसओ ने पहली और दूसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के संशोधित आंकड़े जारी किये हैं जिनमें पहली तिमाही में संशोधित वृद्धि दर बढ़कर 7.2 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत हो गई।
 

ऐसी आशंका जताई जा रही थी कि तीसरी तिमाही के मध्य में (8 नवंबर, 2016) के नोटबंदी के फैसले से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुये होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) तथा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने इस दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को कम किया है। इन संगठनों का मानना है कि नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अल्पावधि असर हुआ है। सीएसओ ने बयान में कहा कि वर्ष (2011-12) के स्थिर मूल्य पर वास्तविक जीडीपी 2016-17 में 121.65 लाख करोड़ रुपए पर कायम रहने का अनुमान है। जनवरी, 2017 में जारी पहले संशोधित अनुमान में 2015-16 के लिए इसके 113.58 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया गया था।

 

 


बयान में कहा गया है कि 2016-17 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 7.9 प्रतिशत रही थी। वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2015-16 के 104.70 लाख करोड़ रुपए से 2016-17 में 111.68 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचने का अनुमान है। बयान में कहा गया है कि 2016-17 में मूल कीमत पर वास्तविक जीवीए 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2015-16 में 7.8 प्रतिशत रहा था। वित्त वर्ष 2016-17 में कृषि, वन और मत्स्य क्षेत्र की जीवीए 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले साल इस क्षेत्र की वृद्धि 0.8 प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय आय 2016-17 के दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र की जीवीए की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 10.6 प्रतिशत रही थी।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास ने इन आंकड़ों पर कहा कि ये आंकड़े पिछले वित्त वर्ष के ऊंचे आधार प्रभाव की वजह से हैं और इनमें नोटबंदी का अधिक नकारात्मक प्रभाव नहीं दिख रहा है। प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय (बाजार मूल्य) 2016-17 में 1,03,818 रुपए रहने का अनुमान है जो 2015-16 के 94,178 रुपए से 10.2 प्रतिशत अधिक है। निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) बाजार मूल्य पर 88.40 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जो 2015-16 में 79 लाख करोड़ रुपए रहा था। स्थिर मूल्य पर पीएफसीई 68.26 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जो 2015-16 में 63.66 लाख करोड़ रुपए था।
 

 

 


तीसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि आंकड़ों ने नोटबंदी के प्रभाव को नकारा: दास
 

 

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मंगलवार (28 फरवरी) को जारी आंकड़ों से उत्साहित वित्त मंत्रालय ने कहा कि तीसरी तिमाही में 7 प्रतिशत की वृद्धि ने नोटबंदी का आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की जो अटकलें लगाई गई थीं उन्हें झुटला दिया है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि तीसरी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष के लिये क्रमश: सात प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान निश्चित रूप से गौर करने लायक है। दास ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमने कहा था कि अधिकतर रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं है और वे सांख्यिकी पर आधारित नहीं है। ऐसी रिपोर्ट थी कि कई क्षेत्रों में नोटबंदी के कारण विनिर्माण गतिविधियां प्रभावित हुई हैं लेकिन विनिर्माण क्षेत्र में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि काफी संतोषजनक और भरोसा देने वाली है।'

 

 


उन्होंने कहा कि नये नोटों को चलन में लाने की प्रक्रिया में अच्छी प्रगति हुई है और यह आज पूरी हो गयी। बैंकों से नकदी की कमी की कोई शिकायत नहीं है। एटीएम में कमी की कुछ शिकायतें हैं और रिजर्व बैंक, वित्तीय सेवा और बैंक इसे देख रहे हैं। दास ने कहा, ‘नोटबंदी के तथाकथित नकारात्मक प्रभाव के बारे में जो चीजें बढ़ा-चढ़ाकर कही जा रही थीं। यह जानकर काफी संतुष्टि हुई कि ऐसा कुछ नहीं हैं क्योंकि भारत अभी भी 7 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज करने वाला देश बना हुआ है...।' उन्होंने कहा कि नोटबंदी के प्रभाव के साथ जीएसटी और सरकार द्वारा किये जाने वाले कई सुधार भरोसा जगाने वाले लग रहे हैं। दास ने कहा कि नोटबंदी का प्रभाव अस्थायी और केवल खपत तक सीमित था।
 

 

 


इस बीच शक्तिकांत दास ने कहा कि एटीएम से नकली नोट निकलने के मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की संभावना बहुत कम है। हालांकि, उन्होंने कहा कि पुलिस इस प्रकार के मामलों की जांच कर रही है। दास ने कहा कि बैंकों ने भी जांच शुरू की है और दोषी के खिलाफ कारवाई की जायेगी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विभिन्न बैंकों के एटीएम से नकली नोट निकलने के मामले सामने आये हैं। स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंकों के एटीएम से 2,000 रुपए के नकली नोट निकलने की रिपोर्टें मिलीं हैं।