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नौ शहरों में पीपीपी मॉडल पर कचरा प्रबंधन की तैयारी

लखनऊ। प्रदेश के नौ शहरों को पॉलीथीन में कूड़ा भरकर उसे सड़क पर फेंकने से अब निजात मिल सकेगी। शीघ्र ही इन शहरों में निजी-सरकारी सहभागिता (पीपीपी) मॉडल के आधार पर 'इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट' की कवायद शुरू होने जा रही है। इसके तहत एक निजी संस्था लोगों के घरों से कूड़ा इकट्ठा करके उसे वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित करेगी। इस प्रक्रिया के दौरान जैविक कचरे से कम्पोस्ट खाद और कूड़े में मौजूद अन्य ज्वलनशील वस्तुओं से भट्ठियों के लिए ईंधन तैयार किया जाएगा। इस कवायद को अंजाम देने के लिए निजी संस्थाओं का चयन किया जा चुका है।

ये नौ शहर हैं लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, मुरादाबाद, मथुरा, गोरखपुर, झांसी और अलीगढ़ हैं। प्रमुख सचिव नगर विकास आलोक रंजन ने बताया कि इंटीग्रेटेड सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए राज्य सरकार एक निश्चित अनुदान देगी। बाकी निवेश निजी संस्था को करना होगा। संस्था को जमीन नगर निगम नि:शुल्क उपलब्ध करायेगा। यह जमीन 30 वर्ष के कनसेशन एग्रीमेंट के तहत हस्तांतरित की जाएगी। इस सेवा के बदले नगर निगम यूजर चार्ज लेगा। यूजर चार्ज संस्था इकट्ठा करेगी लेकिन यह पैसा एक स्क्रो एकाउन्ट में जमा किया जाएगा। इस खाते से पैसे का लेनदेन नगर निगम ही कर सकेगा। नगर निगम और संस्था के बीच हुए समझौते की शर्त के अनुसार नगर निगम संस्था को उसके हिस्से की धनराशि का भुगतान करेगा। इन नौ शहरों में पीपीपी मॉडल के जरिये इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए चार संस्थाओं का चयन किया जा चुका है जिन्हें इसी हफ्ते 'लेटर ऑफ अवार्ड' जारी कर दिये जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस कवायद के लिए संबंधित शहरों में बचे खुचे कूड़े के निस्तारण के लिए लैंडफिल साइट के लिए भूमि का बंदोबस्त हो चुका है। लखनऊ, वाराणसी और इलाहाबाद में जमीन का इंतजाम किया जा रहा है।

ऐसा होगा कचरा प्रबंधन : संस्था कचरा इकट्ठा करके उसे डम्पर प्लेसर से ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचायेगी। ट्रांसफर स्टेशन में यह कचरा बड़े कूड़ेदान में डालकर स्टेशनरी कम्पैक्टर के जरिये दबाया जाएगा। इस कम्प्रेस्ड कूड़े को फिर प्रोसेसिंग प्लांट ले जाया जाएगा जहां पहले गीले और सूखे कूड़े को अलग किया जाएगा। जैविक कूड़े की कम्पोस्टिंग कर उससे खाद तैयार की जाएगी। वहीं सूखे कूड़े से कपड़े, कागज, गत्ते जैसे ज्वलनशील पदार्थ अलग कर श्रेडर के जरिये उनके छोटे-छोटे टुकड़े किये जाएंगे। फिर इनकी प्रोसेसिंग करके रिफ्यूज्ड डिराइव्ड फ्यूल तैयार किया जाता है। स्क्रीनिंग के जरिये आरडीएफ से धातु, प्लास्टिक, आदि अलग कर लिये जाते हैं। फिर आरडीएफ के छोटे-छोटे टुकड़े तैयार किये जाएंगे जिसका इस्तेमाल भट्ठियों के ईंधन के तौर पर किया जा सकेगा। बचे खुचे (एक-तिहाई) कूड़े को लैंडफिल साइट में भरा जाएगा।