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पंजाब में आतंकवाद ने 13 साल में ली 26,000 जानें, सड़क हादसे ने 39,652

चंडीगढ़. एक जमाने का समृद्ध पंजाब 13 साल तक आतंक के अंगारों पर सुलगता रहा, आज सड़कों पर तड़पता हुआ दम तोड़ रहा है। 1982 से 1995 तक चले आतंकवाद के दौर में 26,000 जिंदगियां तबाह हुई थीं, अब इससे भी ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं। पिछले 13 साल में 39,652 लोग हादसों में जान गंवा चुके हैं। यानी हर साल 13 हजार से ज्यादा लोग। ये सिलसिला रुक नहीं रहा। कारण कई हैं, पर सबसे बड़ा है-लापरवाही। हमारी खुद की। सरकार की भी।

मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट्स एंड हाईवेज की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 76.6 फीसदी हादसे ड्राइवर की गलती से होते हैं। पंजाब में इस साल अब तक दर्ज 3,464 एफआईआर में 2,944 में लापरवाही को ही कारण बताया गया है। कुल हादसों का 85 फीसदी। मतलब ये कि हम देश के मुकाबले 9 फीसदी ज्यादा लापरवाह हैं। नतीजा ये कि हर 100 हादसों में 76 मौतें हो रही हैं। इस मामले में पंजाब, नागालैंड (133) के बाद दूसरे नंबर पर है।

1 दिन में 15 मौतें: ओवरस्पीड कार का एक्सीडेंट, ढाई घंटे में निकालीं लाशें
अम्बाला-चंडीगढ़ हाइवे पर मंगलवार सुबह दप्पर टोल प्लाजा के पास जबरदस्त हादसा हुआ। तेज रफ्तार होंडासिटी कार डिवाइडर से टकराकर दूसरी तरफ पलट गई। उसी समय सामने से आ रही हरियाणा रोडवेज की बस ने कार को सीधी टक्कर मारी। हादसे में मनीमाजरा के एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हुई। चौथा मरने वाला ड्राइवर था।

58% मौतें ओवरस्पीड-नशे से, 26%बिना हेलमेट

> 3,260 मौतें ओवरस्पीड और ड्रंकन ड्राइव से। कुल माैतों का 57.86 %। महराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, ओडिशा व राजस्थान ने तीन साल में ड्रंकन ड्राइव से होने वाली मौतों का आंकड़ा 50 % कम किया। इधर, पंजाब में 2011 में 1880 मौतें और 2014 में सात महीने में 1,280 मौतें दर्ज की गई हैं।
> 1443 मौतें हेलमेट न पहनने की वजह से हुईं। कुल 25.61 %।
> 667 लोगों ने कार में मोबाइल फोन सुनने, सीट बेल्ट न पहनने, तेज म्यूजिक सुनने की वजह से जान गंवाई।
> 264 लोग हिट एंड रन में मरे।

अमृतसर, लुधियाना देश के दो सबसे खतरनाक जिले
अमृतसर में 100 हादसों में 63 व लुधियाना में 61 जानें जाती हैं। तीसरे नंबर पर राजस्थान का जोधपुर जिला है, जहां 59 लोग मरते हैं। इसके बाद वाराणसी (57) का नंबर आता है। दिल्ली में ये आंकड़ा 27 है।

एक्विपमेंट खराब, ट्रैफिक स्टाफ सिर्फ 2,200
> हाइवे पेट्रोलिंग के लिए 62 वाहन, 600 मुलाजिम हैं। 82 % मौतें नेशनल व स्टेट हाइवे पर होती हैं। इसके बावजूद ट्रैफिक स्टाफ सिर्फ 2,200 है, जबकि चंडीगढ़ में 2,000 है। वह भी सिर्फ 10.54 लाख पॉपुलेशन पर। पंजाब में इससे 20 गुणा ज्यादा 2.67 करोड़ लोग रहते हैं। जबकि फोर्स सिर्फ 200 ज्यादा है।
> 40 एल्कोमीटरों में से 18 ही काम के हैं। इधर, चंडीगढ़ में 44 एल्कोमीटर हैं। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि, 3260 मौतें ओवरस्पीड और ड्रंकन ड्राइव की वजह से ही हो रही हैं।

एजुकेशन में ठीकठाक, अवेयरनेस में फिसड्‌डी

लिट्रेसी रेट देखें तो पंजाब (75.8%) नेशनल एवरेज (73.0%) से ऊपर ही है, लेकिन ट्रैिफक सेंस और सेफ्टी अवेयरनेस में आिखर से दूसरे स्थान पर है। सबसे खराब स्थिति नागालैंड की है।

एन्फोर्समेंट सिर्फ नाम की, एफर्ट्स कहीं नहीं दिखते
आंध्रप्रदेश, यूपी व गुजरात ने अच्छे रिजल्ट दिए हैं। यूपी में 2011 में 21,500 मौतें हुईं। 2013 में संख्या 17,000 रह गई। पंजाब में 2011 में 5,021 व 2013 में 4,725 लोग मरे। कुछ ऐसी ही हालत बिहार और झारखंड की है।

इंजीनियरिंग से वास्ता नहीं, इमरजेंसी सर्विस नाकाफी

> रोड सेफ्टी काउंसिल ने पंजाब में ऐसे 400 स्थान आईडेंटिफाई किए हैं, जहां सबसे ज्यादा हादसे होते हैं। 171 बेहद खतरनाक हैं। इन्हें ठीक करने के लिए पंजाब रोड एंड ब्रिज डिपार्टमेंट ने दिल्ली की एजेंसी आईसीआरए से सर्व कराया। इस पर 33 लाख रुपए खर्च कर दिए। 2013 में रिपोर्ट आई। उसके बाद इस पर कुछ नहीं हुआ।
> खानपुर में बड़ा डेंजर जोन था। वहां मार्च 2009 में पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन कंवलजीत सिंह की हादसे में मौत हो गई थी। उसके बाद स्पॉट को सुधारा गया। अब वहां हादसे नहीं होते। ऐसे उदाहरण इक्का-दुक्का ही हैं।

बचने के 80% चांस पहले ही गंवा रहे हम
22 जिलों वाले पंजाब में इतने ही ट्रामा सेंटर बनने थे। बने सिर्फ चार। जालंधर, अमृतसर, पठानकोट और खन्ना में। ये इसलिए बनने थे क्योंकि हादसे के बाद पहले एक घंटे में ही घायलों को इलाज मिल सके। ऐसा न होने से 80 फीसदी बचने के चांस पंजाब पहले ही गंवा रहा है।

जगह-जगह हारी जिंदगी

> जालंधर में स्कूल बस ने कार सवार कुबेर चावला (22) को कुचला।
> जालंधर में ही दो अन्य हादसों में दो लोगों की मौत हुई।
> फिरोजपुर जा रहे बाइक सवार दो युवकों को ट्रक ने कुचला।
> संगरूर में तेज रफ्तार बस ने स्कूटर सवार स्टूडेंट को टक्कर मारी। मौत।
> पटियाला में दो हादसों में दो लोगों की जान गई। एक मौत मोगा में भी।
> बठिंडा में जलती पराली के धुएं के कारण हादसा हुआ। दो की मौत।