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पंजाबी बच्चों को नहीं मिल रहा मां का दूध

लुधियाना। पंजाब की मां अपने बच्चों को अन्य राज्यों की मां के मुकाबले कम स्तनपान कराती हैं। सर्वाधिक ग्रेजुएट महिलाओं वाले इस राज्य में स्तनपान को लेकर महिलाएं ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं। इसीका परिणाम है कि पूरे पूरे देश का पेट भरने वाले पंजाब की माएं अपने ही बच्चों को दूध पिलाने में पिछड़ कर पांचवे नंबर पर पहुंच गई हैं। यदि केवल पंजाब की बात करें तो फिरोजपुर और गुरदासपुर की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, पंजाबी महिलाओं से लापरवाही का यह कलंक हटाने का बीड़ा ब्रेस्ट फीड प्रमोशन आफ इंडिया (बीएफपीओ) नामक एनजीओ ने उठाया है। हर जिले के डाक्टरों और स्टाफ नर्सो को ट्रेनिंग देकर निचले स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाना है। दो जिलों को पूरा करने के बाद अब आठ स्थानों पर काम जारी है। अगले साल इस कार्यक्रम के तहत राज्य के सभी जिलों को कवर कर लिया जाएगा।

आमतौर पर सर्जन एवं आम एमबीबीएस डाक्टर भी बच्चे के पैदा होने के एकाध दिन तक मां का दूध नहीं देते। वल्र्ड ब्रेस्ट फीडिंग ट्रेंड्स इनिशिएटिव की रिपोर्ट के मुताबिक देश में पहले घंटे में सिर्फ 24.5 फीसदी बच्चों को ही मां का दूध मिल पाता है, वर्ष 2005 में यह आंकड़ा 15.8 था। वहीं छह माह तक सिर्फ 47 फीसदी बच्चों को ही मां का दूध मिल पाता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में 12.7 फीसदी महिलाएं पहले घंटे में दूध दे पाती हैं। 36 फीसदी एक से पांच महीने तक स्तनपान कराती हैं। कई डाक्टर तो तीन से चार दिन तक मां से बच्चे को अलग रखते हैं। ऐसा ही मामला एएनएम और दाइयों का भी है। जबकि बच्चों के माहिरों का मानना है कि बच्चा पैदा होने के एक से दो घंटे के बीच ही स्तनपान करवा देना चाहिए। इससे बच्चे को कई प्रकार की बीमारियां नहीं होती।

बीएफपीओ की ट्रेनिंग के तहत हर जिले में आबादी और साइज के हिसाब से मेडिकल स्टाफ को ट्रेंड किया जा रहा है। 10 डाक्टर एवं 30 स्टाफ नर्स का एक बैच रहता है। यह मिडिल मास्टर ट्रेनर्स आगे आशा और एएनएम को ट्रेंड करेंगे। इन्हें बच्चों को कब से स्तनपान करवाना है, कितनी बार करवाना है और मां बच्चे को कैसे पकड़े जैसी छोटी-छोटी बातें भी तकनीकी तरीकों से समझाई जाएंगी। पंजाब पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन के प्रधान डा. राजिंदर गुलाटी बताते हैं कि इस कार्यक्रम के तहत फिरोजपुर एवं गुरदासपुर जिलों को कवर किया जा चुका है। अब अन्य आठ जिलो में काम चल रहा है।