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पत्थलकुदवा के पानी में 50 गुना अधिक आर्सेनिक

रांची: पत्थलकुदवा क्षेत्र का भूमिगत जल पीने लायक नहीं है. इसके सेवन से गंभीर बीमारी हो सकती है. लंबे समय तक उपयोग करने से कैंसर का खतरा है. इस क्षेत्र के भूमिगत जल में आर्सेनिक की मात्र सामान्य से 50 गुना अधिक पायी है. पेयजल व स्वच्छता विभाग की ओर से करायी गयी जांच में 17 में से 15 सैंपल में आर्सेनिक की मात्र खतरनाक स्तर तक मिली.

सामान्य तौर पर पानी में आर्सेनिक की मात्र 0.01 से 0.05 पार्ट/मिलियन (पीपीएम) होनी चाहिए. वहीं, जांच के दौरान पत्थलकुदवा क्षेत्र के भूमिगत जल में आर्सेनिक की अधिकतम मात्र 0.5 पीपीएम पायी गयी है. विभाग ने इस क्षेत्र के लोगों को भूमिगत जल का पीने और खाना बनाने में इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है.

250 से 300 बोरिंग व चापानल के पानी की जांच की जरूरत : पत्थलकुदवा क्षेत्र के पानी में सीमा से अधिक आर्सेनिक पाये जाने के बाद इससे सटे अन्य इलाकों के भूमिगत जल की जांच भी जरूरी हो गयी है. पीएचइडी के अपर मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद ने बताया : पूरे क्षेत्र के भूमिगत जल की जांच होनी चाहिए. इलाके में 250 से 300 बोरिंग व चापानल हैं. सभी की जांच की जानी चाहिए. इसकी जिम्मेवारी रांची नगर निगम की है. मामले की गंभीरता समझते हुए तत्काल उपाय किया जाना चाहिए.

उदासीन है रांची नगर निगम

पीएचइडी की ओर से बार-बार कहे जाने के बाद भी नगर निगम की ओर से कोई उपाय नहीं किया गया

विभाग ने क्षेत्र में सुरक्षित पेयजलवाले चापानलों के (जिसमें आर्सेनिक की मात्र सामान्य है) हरे रंग से रंगने का निर्देश दिया था, पर सिर्फ दो चापानलों को रंगा गया है

अन्य स्रोतों के पानी की जांच कराने में भी निगम गंभीरता नहीं दिखा रहा.

बिछायी जा रही पाइप लाइन

पत्थलकुदवा क्षेत्र में पानी की आपूर्ति करने के लिए पाइप लाइन बिछायी जा रही है. पीएचइडी के अधिकारियों के मुताबिक 15 से 20 दिनों में पाइप लाइन बिछाने का काम खत्म हो जायेगा. इसके बाद पानी की सप्लाई शुरू की जायेगी. तब तक टैंकरों से स्थानीय लोगों को पानी मुहैया कराया जा रहा है.

प्रभावित लोगों के नाखून की रिपोर्ट अब तक नहीं

आर्सेनिक से प्रभावित लोगों के नाखूनों का सैंपल एक माह पहले सदर अस्पताल के डॉक्टरों ने लिया था. नाखून के आधार पर यह जांच की जानी थी कि आखिर आर्सेनिक से प्रभावित लोगों को कितना नुकसान हुआ है. पर अब तक इसकी रिपोर्ट नहीं आयी है.

 

जिन इलाकों का सैंपल लिया गया था, वहां पानी में आर्सेनिक की मात्र काफी ज्यादा बढ़ी हुई है. यह भोजन बनाने और पीने के लायक हरगिज नहीं है. इसका इस्तेमाल नहाने और कपड़े धोने में किया जा सकता है.

सुधीर प्रसाद

अपर मुख्य सचिव, पीएचइडी