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परमाणु ऊर्जा के विकल्पों पर निगाहः पीयूष गोयल

नई दिल्ली। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि सरकार परमाणु ऊर्जा के सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। यह सतर्कता भी बरती जा रही है कि पश्चिमी देशो में त्यागी जा चुकी टेक्नोलॉजी थोपी न जाए।

गोयल ने भारत आर्थिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि परमाणु बिजलीघरों की दुर्घटना में आपूर्तिकर्ता के नागरिक दायित्व से संबंधित मसले सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है।


उन्होंने कहा, 'हम परमाणु ऊर्जा में सक्षम हैं और भारत के लिए इस क्षेत्र में मौके भी हैं। सरकार सभी विकल्पों पर गौर कर रही है। हमें परमाणु क्षेत्र में समस्याओं की जानकारी है। हम पहले से ही प्रयास कर रहे हैं कि परमाणु दुर्घटना में मुआवजे की पाबंदियों का हल किया जाए।'

अगस्त में सरकार की तरफ से कहा गया था कि वर्ष 2010 के परमाणु क्षति की स्थिति में सिविल देनदारी अधिनियम के कुछ प्रावधानों को लेकर उपकरण बनाने वाली घरेलू कंपनियों की चिंताओं के निराकरण में लगी है। घरेलू बीमा कंपनियों से पर्याप्त बीमा संरक्षण की योजना तैयार की जा रही है।

सावधानी की जरूरत

परमाणु ऊर्जा को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत का संकेत देते हुए गोयल ने कहा कि अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने परमाणु संयंत्रों की स्थापना का काम रोक दिया है। गोयल ने कहा, 'सरकार इस बात को लेकर सतर्क है कि हम पर स्वच्छ ऊर्जा या वैकल्पिक ऊर्जा के नाम पर कुछ ऐसा न थोप दिया जाए, जिसे पश्चिमी देशों ने छोड़ दिया है।' मंत्री ने कहा कि उन्होंने अब तक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के जीवन चक्र की लागत नहीं निकाली है। इसमें संयंत्र बंद करने तक की लागत शामिल है।

250 अरब डॉलर निवेश के मौके

गोयल ने कहा कि अगले 4-5 वर्षों के दौरान ऊर्जा क्षेत्र में 250 अरब डॉलर के भारी-भरकम निवेश के मौके हैं। इसमें से 100 अरब डॉलर का निवेश अक्षय ऊर्जा और 50 अरब डॉलर (करीब 15 लाख करोड़ रुपए) का निवेश पारेषण और वितरण में किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'सरकार सभी को बिजली उपलब्ध कराने को लेकर ईमानदार है। इस दिशा में हर प्रयास किए जाएंगे।'

उत्पादन बढ़ाने के प्रयास

गोयल ने कहा कि कोयला उत्पादन बढ़ाने, बिजली पारेषण नेटवर्क मजबूत करने और गैस से चलने वाले प्लांट्स को लीक पर लाने की भी कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि साल 2019 तक कुल बिजली उत्पादन दोगुना होकर 2,000 अरब यूनिट तक पहुंच जाएगा।

गोयल के मुताबिक सरकार अक्षय ऊर्जा क्षेत्र, खास तौर पर सौर ऊर्जा के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है। उत्पादन क्षमता 2022 तक बढ़ाकर 1,00,000 मेगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य है।