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पशुओं को बीमार और बांझ बना रही है हरे चारे की कमी-- उपेन्द्र पांडेय

हरियाणा पंजाब के पशुओं की कमजोरी और उनके विकास में एक बड़ी बाधा लौह तत्व की कमी के रूप में उभर कर आई है। लौह तत्व की कमी मतलब खून की कमी या चिकित्सको की भाषा में एनीमिया। दुधारू पशुओं में बार बार प्रयास के बावजूद गर्भाधान न हो पाने से लेकर उनके विकास, ताकत और रोगों से लड़ने की क्षमता आदि कमी है। इसके लिए पशुओं के खानपान में आयरन और फोलिक एसिड आदि तत्वों की कमी को उसी तरह जिम्मेदार माना जा रहा है जो महिलाओं, बच्चों और किशोरों में एनीमिया का कारण हैं। पशु वैज्ञानिक डॉ आरसी शर्मा ने बीते 20 सालों के दौरान पशुओं के खानपान में आये बदलाव की ओर ध्यान दिलाया है। उनका कहना है कि आज गाय भैंस को हम घर में बांधकर खिलाते हैं, चरने का मौका बहुत कम दिया जा रहा है। ज्यादा दूध पाने के लिए रेडीमेड पशुआहार किसानों और पशुपालकों की पसंद बन गया है, और उनके नियमित आहार में हरा चारा का हिस्सा घटता जा रहा है।

हरे चारे का हर जीव के लिए कितना महत्व है इसका रहस्य उस फोलिक एसिड की खोज में ही छुपा है जिसकी गोलियां डाक्टरों ने विकास के लिएअनिवार्य घोषित कर रखी हैं। मुर्गी के चूजों में लौह तत्व व खून की कमी (एनीमिया सुअर) और उनके मुर्गी-मुर्गा बनने में देरी पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों हॉगन और पैरट ने सुअर के जिगर से एक ऐसा तत्व खोज निकाला जो चूजों की एनीमिया दूर कर देता था। यह तत्व उस समय तक खोजे गए विटामिनों से बिलकुल अलग था। लिहाजा इसका नामकरण हुआ विटामिन बी सी (चिक का संक्षिप्त सी)। पशुओं में लौह तत्व की कमी पर खोज के दौरान कुछ जीवाणुओं (बैक्टीरिया) पर खोज करते करते अमेरिकी वैज्ञानिक हरशेल मिशेल, एस्मंड स्नेल और आर विलियम्स ने चार टन पालक जुटाई और उसके हरे कोमल पत्तों से एक ऐसा तत्व खोज निकाला जो मुर्गियों के चूजों को स्वस्थ्य भी बनाए रखता था और उनका विकास भी बहुत । मिशेल ने इस रसायन का नाम रखा फोलिक एसिड, क्योंकि यह हरे पत्तों से निकला था और लैटिन भाषा में हरे पत्तों को कहते हैं फोलियम। यही फोलिक एसिड आज भी आदमियों से लेकर पशुओं तक के खून में कमी के रूप में एक चुनौती बना हुआ है।

डॉ शर्मा की सलाह है कि आधुनिक रहन सहन के मद्देनजर पशुओं को सामान्य आहार के साथ ही आयरन और फोलिक एसिड की खूराक अलग से देना जरूरी हो गया है। खासकर बछड़ों के जन्म से लेकर उनके वयस्क होने तक तो इनका सप्लीमेंट उसी तरह जरूरी है जैसे बच्चों और किशोरों में आयरन व फोलिक एसिड की खूराक का अभियान चलाया जा रहा है। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने हाल में ही घोषणा की है कि गेहूं में ही आयरन और फोलिक एसिड मिलाने के प्रयास हरियाणा सरकार कर रही है। वास्तव में बचपन में रोगों से लड़ने की क्षमता के लिए, किशोरावस्था मे दौड़भाग और ऊर्जा के लिए, युवावस्था में प्रजनन क्षमता और काम करने में फुर्ती के लिए, प्रौढ होने पर दिल, दिमाग, जिगर और गुर्दे के रोगों से बचने के लिए लौह तत्व आदमियों के भी बेहद जरूरी है और पशुओं व मुर्गियों चूजों के लिए भी।