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पहली जनवरी से संभव नहीं नकद सब्सिडी ट्रांसफर

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। लोगों के हाथों में सीधे नकद सब्सिडी भुगतान योजना को भले ही अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार का सबसे बड़ा दांव माना जा रहा हो लेकिन इसे लागू करने को लेकर दिक्कतें कम होती नहीं दिख रही हैं। केंद्र ने जिन 51 शहरों में अगले वर्ष की शुरुआत से इस योजना को लागू करने का कार्यक्रम तैयार किया है वहां भी इसके क्रियान्वयन को लेकर संशय है। योजना के पहले चरण के लिए चयनित अधिकांश शहरों में आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया काफी धीमी है। नकदी ट्रांसफर में अहम भूमिका निभाने वाले बैंकों ने वित्त मंत्रालय से कहा है कि उनकी तैयारी अभी पूरी नहीं है। उन्हें इसके लिए कुछ और समय चाहिए।

सूत्रों के मुताबिक कुछ प्रमुख बैंकों ने वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग से आग्रह किया है कि वे तमाम कोशिशों के बावजूद फिलहाल 18 राज्यों के 51 शहरों में पहली जनवरी से नकदी ट्रांसफर की स्थिति में नहीं हैं। उनका कहना है कि उन्हें पूरी तरह से तैयार होने में अभी कुछ और वक्त लग सकता है। वित्त मंत्रालय फिलहाल उनकी इस मांग पर विचार कर रहा है। हालांकि, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस योजना को जल्द से जल्द लागू करने का काफी दबाव है।

बैंकों ने इसे लेकर दो तरह की समस्याएं बताई हैं। पहली समस्या तो 'आधार कार्ड' आधारित बैंक खाता खोलने को लेकर है। बैंकों का कहना है कि इन 51 शहरों के चिन्हित सभी परिवारों का अभी तक बैंक खाता नहीं खुल सका है। इसमें अभी वक्त लगेगा। दूसरी समस्या नकदी हस्तांतरण के लिए आवश्यक सूचना प्रौद्योगिक [आइटी] ढांचे को लेकर है। इस स्कीम को लागू करने के लिए सभी बैंकों के पास एक खास आइटी सुविधा होनी चाहिए, जिसे स्थापित करने में समय लग सकता है।

बैंकों की इस समस्या के पक्ष में पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी परोक्ष तौर पर आवाज उठाई है। पेट्रोलियम सचिव जीसी. चतुर्वेदी के मुताबिक जिन 51 जिलों का चयन इस स्कीम के लिए किया गया है उनमें से सिर्फ 20 जिलों की 80 फीसद या उससे ज्यादा जनता के पास विशिष्ठ पहचान पत्र है। शेष जनता को इसे देने में अभी दो महीने का समय और लग सकता है। पेट्रोलियम सचिव ने यह भी साफ कर दिया कि रसोई गैस सब्सिडी को सीधे ग्राहकों के हाथ में नकदी के तौर पर देने की योजना को भी फिलहाल लागू नहीं किया जा सकेगा।

बताते चलें कि सीधे सब्सिडी हस्तांतरण योजना को लेकर सरकार काफी उत्साहित है। प्रधानमंत्री ने हाल ही में यह घोषणा की है कि जनवरी से पहले चरण को लागू करने के बाद दूसरे चरण को अगले वित्त वर्ष से पूरे देश में लागू किया जाएगा। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार इस स्कीम को हर हाल में लागू करना चाहती है। कांग्रेस का मानना है कि जिस तरह से वर्ष 2008-09 में किसानों को कर्ज माफी की योजना ने यूपीए को चुनाव जीतने में मदद पहुंचाई थी, उसी तरह से इस बार आम जनता को सीधे नकदी ट्रांसफर करने की स्कीम फायदा पहुंचा सकती है। विपक्ष इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी कर चुका है।