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पांच अनाथ बच्चों की कब बदलेगी किस्मत?

इंद्री, संवाद सहयोगी : पहले मां फिर पिता का साया उनके सिर से उठ गया। उम्र इतनी नहीं है कि वे अपने पैर पर खड़ा हो जाएं। इस दयनीय हालात में सरकारी अमले की कार्रवाई भी उन्हें राहत देने के बदले नुकसान पहुंचा रहा है।

यह कहानी है गाव खेड़ा में रहने वाले पाच बच्चों की। वे तीनों अनाथ हैं। जिस बीपीएल कार्ड के कारण इस परिवार का पक्का मकान बना था, अब उसी मकान को पैमाना बनाकर परिवार का नाम बीपीएल सूची से ही काट दिया गया है।

गांव खेड़ा में झीमर जाति से संबंध रखने वाला जोगिंद्र का परिवार गरीबी में किसी तरह गुजर बसर कर रहा था। परिवार में जोगिंद्र की शारीरिक रूप से विकलाग पत्‍‌नी और पाच बच्चे कच्चे मकानों में रहते थे। गरीबी रेखा से नीचे आने के कारण परिवार की प्रशासन ने मदद की और करीब दो साल पहले इदिरा आवास योजना के तहत मकान मंजूर कर दिया। मकान बन ही रहा था कि एक हादसे में विकलाग पत्‍‌नी चल बसी। जोगिंद्र ने मजदूरी करते हुए बच्चों को मा की कमी नहीं महसूस होने दी और बच्चों का पालन पोषण किया। लेकिन बच्चों पर विपदाओं का पहाड़ तब टूट पड़ा जब करीब चार महीने पहले घर की छत से गिर कर जोगिंद्र की भी मौत हो गई। इसके बाद जोगिंद्र की 20-22 साल की बड़ी बेटी मैना ने अपने छोटे भाई-बहनों 11वीं की छात्रा ममता, 8वीं में पढ़ने वाले आनंद, पांचवीं की छात्रा नीलम व तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले साहिल की जिम्मेदारी संभाल ली है।

दुर्घटना में किसी परिवार के मुखिया की मौत पर सरकार द्वारा राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि भी बच्चों को नहीं दी गई है। सरकार की अनुसूचित जाति व पिछड़ा ए वर्ग के बच्चों को दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी पीड़ित बच्चों को नहीं मिल पा रही है। प्रोत्साहन योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए बैंक में खाता खुलवाना जरूरी है और बच्चों का संरक्षक नहीं होने के कारण बैंक ने बच्चों का खाता खोलने से मना कर दिया है। इंद्री में अपने भाई-बहनों का खाता खुलवाने के लिए आई मैना ने बताया कि वह गाव की सरपंच मेवा देवी, जिले सिंह व संत लाल के साथ अपने भाई-बहनों का खाता खुलवाने आई थी, लेकिन संरक्षक के बिना खाता खोलने से मना कर दिया है। बैंक मैना को अपने भाई-बहनों का संरक्षक मानने से मना कर दिया है। मैना ने बताया कि वह सिलाई या मेहनत-मजदूरी करके किसी तरह अपने भाई बहनों की शिक्षा जारी रखना चाहती है, लेकिन संकट के कारण ऐसा संभव नहीं लग रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने मदद की बजाय परिवार का नाम बीपीएल सूचि में से भी निकाल दिया है। जिसके कारण वे बीपीएल परिवार को मिलने वाले सारे लाभ से वंचित हो गए है। उन्होंने परिवार की मदद के लिए प्रशासन व समाजसेवी संस्थाओं से गुहार लगाई है।

इस बारे में शहीद सोमनाथ स्मारक समिति के अध्यक्ष महिंद्र कुमार ने कहा कि संरक्षक नहीं होने के कारण ही बच्चे संकट में हैं। इसी कारण ये बच्चे सरकार की योजनाओं से वंचित हो रहे है। उन्होंने कहा कि वे उच्चाधिकारियों से बच्चों की मदद के बारे में बात कर रहे है। उन्होंने कहा कि समिति ने मुख्यमंत्री दरबार में बच्चों को मदद की गुहार लगाई है।