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पांच साल में 23 करोड़ की बंदरबांट, खर्च का हिसाब भी नहीं

प्रशांत गुप्ता, रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति (सीजीसैक्स) ने बीते 5 साल में 23 करोड़ 20 लाख रुपए स्वयं सेवी संस्थाओं (एनजीओ) को बांट दिए। इन एनजीओ ने क्या काम किया, इसकी कोई जांच-परख (मूल्यांकन) तक करने की जरूरत नहीं समझी गई। बड़ा खुलासा यह है कि एनजीओ को भुगतान करने से पहले इनसे उपयोगिता प्रमाणपत्र (यूटिलिटी सर्टिफिकेट) तक नहीं लिया गया, जबकि शासन के नियमानुसार में उपयोगिता प्रमाण पत्र लिया जाना अनिवार्य है। करोड़ों का यह खेल बदस्तूर जारी है।

सूचना का अधिकारी (आरटीआई) में खुलासा हुआ है कि बीते 5 साल में 60-70 एनजीओ, सीजीसैक्स से अनुबंधित हैं। इन्हें अलग-अलग काम दिया गया है, लेकिन ये क्या कर रहे हैं ये सीजीसैक्स के अफसरों और एनजीओ को ही पता है। गड़बड़ी इतनी बड़ी है कि आरटीआई में एनजीओ द्वारा किए जा रहे कामों का जवाब तक नहीं दिया गया है। 'नईदुनिया' को मिली जानकारी के मुताबिक हर साल एनजीओ को वित्तीय वर्ष के अंत में भुगतान होता है।

इसके पहले एनजीओ का काम देख रहे उप संचालक रैंक के अधिकारी ओके रिपोर्ट वित्त विभाग को भेज देते हैं और बगैर किसी आपत्ति के वित्त शाखा एनजीओ को भुगतान कर देती है, लेकिन एनजीओ शाखा, वित्त विभाग उपयोगिता प्रमाणपत्र क्यों नहीं मांग रहा यह बड़ा सवाल है। इसके बाद सीजीसैक्स सालाना प्राइवेट सीए से ऑडिट करवाती है, सीए भी आपत्ति नहीं करता। खास बात यह है कि करीब 40 एनजीओ 5 साल से लगातार काम कर रहे हैं, जिन्हें लाखों-करोड़ों का भुगतान हो चुका है। 'नईदुनिया' द्वारा उठाए गए तमाम सवालों पर अफसर कह रहे हैं कि वे सोमवार को जानकारी देंगे।

हर एनजीओ के हैं अलग-अलग काम-

1- सेक्स वर्कर को खोजना। 2- होमो सेक्स वर्कर्स का पता लगाना। 3- ट्रकर्स को जागरूक करना, उनकी जांच करवाना। 4- ड्रग लेने वालों को ढूंढ़ना, जांच करवाने प्रेरित करना। 5- जागरूकता लाना। 6- कंडोम की उपयोगिता के बारे में बताना। 7- एआरटी सेंटर से दवाई दिलवाना, आईसीटीसी में ब्लड टेस्ट करवाना।

आंकड़ों झूठ नहीं बोलते-

2006 से 2015 तक के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में करीब 21 हजार व्यक्ति एचआईवी पीड़ित हैं, जबकि नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (नॉको) ने राज्य में 50 हजार एचआईवी पॉजिटिव मरीज होने का अनुमान लगाया है। इनमें से 1924 (2014 तक) की मौत हो गई है।

क्या-क्या मांगा गया था आरटीआई में-

2011-15 के बीच एनजीओ को दिए गए कार्य, भुगतान और एनजीओ द्वारा प्रस्तुत किए गए उपयोगिता प्रमाणपत्र की सत्यापित प्रति। यह आरटीआई 20 अक्टूबर 2015 को लगाई गई थी। प्रथम अपील 29 दिसंबर को की गई, जिसके बाद एनजीओ के नाम दिए गए, उन्होंने क्या काम किया इसकी जानकारी और उपयोगिता प्रमाणपत्र तो दिया ही नहीं।

किस साल हुआ कितने एनजीओ को, कितना भुगतान-

साल एनजीओ भुगतान

2011-12 40 3,69,74,553 करोड़ रुपए

2012-13 48 5,29,24,941 करोड़ रुपए

2013-14 56 4,30,98,884 करोड़ रुपए

2014-15 44 7,22,93,616 करोड़ रुपए

2015-16 41 2,67,16,090 करोड़ रुपए

एनजीओ से उपयोगिता प्रमाणपत्र लेना है कि नहीं, ये मुझे देखना होगा। एनजीओ का काम उप संचालक विक्रांत गुप्ता देखते हैं, मैं पूछता हूं। -डॉ. एसके बिंझवार, अतिरिक्त परियोजना संचालक, सीजीसैक्स

सीजीसैक्स अंतर्गत अनुबंधित एनजीओ को अगर बगैर उपयोगिता प्रमाणपत्र के भुगतान किया जा रहा है तो मैं दिखवाता हूं। जहां तक एनजीओ पर मॉनिटरिंग का सवाल है तो मैं सोमवार को अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी लूंगा। -आर. प्रसन्ना, परियोजना संचालक सीजीसैक्स एवं संचालक स्वास्थ्य सेवाएं