Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/पांचवी-के-बच्चों-को-नहीं-आता-दूसरी-कक्षा-का-पाठ-पढना-3091.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | पांचवी के बच्चों को नहीं आता दूसरी कक्षा का पाठ पढना | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

पांचवी के बच्चों को नहीं आता दूसरी कक्षा का पाठ पढना

रायपुर.राज्य में शिक्षा की कई योजनाओं के लागू होने के बावजूद पढ़ाई में काफी कसर बाकी है। वर्ष 2010 में स्कूलों में एक फीसदी ड्रॉपआउट बढ़ा है। पहली के 20 फीसदी बच्चे अक्षर नहीं पहचाते और पांचवीं के 61.6 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा का पाठ भी नहीं पढ़ पाते।

प्रदेश में सरकारी स्कूलों को मिलने वाले अनुदान का भी समुचित उपयोग नहीं हो रहा है। बच्चों व शिक्षकों की उपस्थिति, मध्यान्ह भोजन, कंप्यूटर शिक्षा, लाइब्रेरी की स्थिति भी सरकारी स्कूलों में माकूल नहीं है।

2007 की तुलना में 2009 में ट्यूशन का पढ़ने वाले बच्चों का प्रतिशत बढ़ गया था, वहीं यह 2010 में औसतन 2 प्रतिशत कम हो गया। प्राइवेट स्कूलों में इसमें कमी और बढ़ोतरी दोनों आई है। अंतरराष्ट्रीय संस्था एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (रूरल)-2010, यानी असर में इन तथ्यों का खुलासा किया गया है।

दिल्ली में उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अली अंसारी ने 14 जनवरी को असर की इस रिपोर्ट का विमोचन किया। इसमें स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति की जानकारी भी दी है। असर का मानना है कि इसकी वजह शिक्षा का अधिकार कानून हो सकता है, जिसमें किसी भी बच्चे को फेल न करने की प्रावधान है।

यहीं वजह है कि स्कूलों में मास्टरों की मौजूदगी तो बढ़ रही है, लेकिन बच्चों की संख्या घटती जा रही है। स्कूलों में लंबी छुट्टियां भी पढ़ाई का स्तर गिरने में सहायक हो रही हैं। जनगणना वर्ष होने की वजह से शिक्षकों का बड़ा तबका इस कार्य में लगा है और पढ़ाई प्रभावित हो रही है।

सर्वे रिपोर्ट से शिक्षा कार्यक्रमों में सुधार की संभावना है। विभाग कमियों को दूर कर सकता है। स्कूलों में ड्रॉप आउट रोका जा सकता है। स्कूलों में 11 से 14 साल के बच्चे काफी कम स्कूल आ रहे हैं। कंप्यूटर शिक्षा की खस्ता हालत, स्कूलों में पानी, शौचालय, लाइब्रेरी, शिक्षकों व कमरों की कमी को दूर करने के उपाय किए जा सकते हैं।

खास बातें

2009 में 4.9 और 2010 में 3.2 फीसदी लड़कियां स्कूलों से दूर रहीं

2010 में 6 से 14 आयु के 10.8 प्रतिशत लड़के और 9.3 प्रतिशत लड़कियां निजी स्कूलों में अध्ययनरत थीं।

2010 में निजी स्कूलों के करीब 62 प्रतिशत और सरकारी स्कूलों के 48 प्रतिशत बच्चे भाग का सवाल हल नहीं कर सके।

एक्सपर्ट व्यू

पूर्व शिक्षा संचालक अवधबिहारी दुबे ने कहा कि स्कूलों में ड्रॉप आउट बढ़ने का आशय यही है कि बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लग रहा। इसकी वजह यह हो सकती है कि सरकार की सोच के अनुकूल काम नहीं हो रहा है।

स्कूलों में नार्म्स के अनुसार शिक्षक सुविधाएं नहीं होंगी तो बच्चों को जबरिया स्कूल नहीं लाया जा सकता। एक शिक्षक पांच कक्षाओं को पढ़ाएगा तो बच्चों की स्थिति और पढ़ाई का स्तर कैसे सुधरेगा?

इसलिए जरूरत पर्याप्त शिक्षकों और बच्चों के बैठने का इंतजाम करना। शिक्षकों को समय पर स्कूल पहुंचना होगा। सर्वे रिपोर्ट की मदद से व्यवस्था में सुधार किया जा सकता है।

ऐसे हुआ सर्वे

असर के सीजी-एमपी कोआर्डिनेट भालचंद्र साहा ने बताया कि राज्य में 15 जिलों का सर्वे किया गया। हर जिले के 30-30 गांवों को सर्वेक्षण के लिए चुना गया। प्रत्येक गांव के 20-20 घरों के 3 से 16 साल वाले बच्चों से जानकारी ली गई।

5 से 16 वर्ष के बच्चों से उनकी पढ़ाई और गणित के बारे में जांच की गई। सर्वे में 14 स्वयंसेवी संगठनों, 408 सर्वेयरों और 22 मास्टर्स ट्रेनर्स ने दो चरणों में काम किया।

सरकारी स्कूलों में ट्यूशन पढ़ने वालों में आई कमी

कक्षा 2009 2010
(प्रति.) (प्रति.)

पहली 2.8 0.9

दूसरी 3.1 1.4

तीसरी 3.4 0.9

चौथी 2.7 1.8

पांचवीं 3 1.9

छठवीं 2.7 1.8

सातवीं 2.6 2.4

आठवीं 3.2 2.6

निजी स्कूलों में ट्यूशन पढ़ने वालों में आई कमी

कक्षा 2009 2010
प्रति. प्रति.

पहली 8.3 7.4

दूसरी 9.1 11.9

तीसरी 12.4 9.8

चौथी 18.9 9.2

पांचवीं 15 9.4

छठवीं 10.5 12.5

सातवीं 17.4 8.3

आठवीं 19.2 11

कमियों को दूर करने का प्रयास : डीपीआई

शिक्षा संचालक केआर पिस्दा का कहना है कि विभाग कमियों को दूर करने का प्रयास कर रहा है। असर की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा। ड्राप आउट कम करने पालकों की मदद व जनसहभागिता पर जोर दिया जा रहा है। पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ाने व रोचकता लाने शिक्षकों को खास तरह की ट्रेनिंग दी जा रही है।