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पानी का खेल, कौन पास कौन फेल

चंडीगढ़, 6 अप्रैल (ट्रिन्यू)

एसवाईएल विवाद पर हर बड़ी पार्टी के पंजाब के संदर्भ में अलग और हरियाणा के संदर्भ में अलग बयान हैं। कांग्रेस नेता कैप्टन अमरेंद्र की ही पार्टी के नेता और हरियाणा के पूर्व सिंचाई मंत्री कैप्टन अजय यादव कहते हैं-इराडी ट्रिब्यूनल ने कुल पानी की मात्रा 18.28 एमएएफ बतायी थी और वही अंतिम आधार है जल की मात्रा के आकलन का। किस आधार पर पंजाब के सीएम बादल सुप्रीम कोर्ट में बीते माह लिख कर दे आए कि पानी तो महज 14.35 एमएएफ ही है। सवाल यह है कि 50 लाख एकड़ जमीन को एक फुट पानी में डुबो देने भर का यह पानी कहां चला गया। हरियाणा के सिंचाई मंत्री ओपी धनखड़ का दावा है कि एकीकृत पंजाब के हरियाणा वाले हिस्से को जो पानी मिलना चाहिए, हरियाणा तो उससे भी कम का दावा कर रहा है। हरियाणा को 3 करोड़ एकड़ फुट पानी की जरूरत है और मिल रहा है महज 2 करोड़ एकड़ फुट पानी।

रावी-ब्यास के पानी को लेकर समझौतों, ट्रिब्यूनलों और सरकारी दावों के भंवर में आंकड़े इतने गडमड्ड हो गए हैं कि अब तो नेताओं को रावी ब्यास की मछलियां ही बता सकती हैं कि वे कितने पानी में हैं।

राजनीति का खेल बना पानी की कहानी

प्रख्यात लेखक शैलेश मटियानी की एक कहानी बिद्दू अंकल में जिक्र है उत्तरी भारत के गांवों में प्रचलित बच्चों के एक खेल का। खेल के बोल हैं, ‘जंतर मंतर महामछंदर, बोल री मछली कितना पानी।' वर्ष 1961 में भाखड़ा-ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड ने ब्यास नदी के पौंग डैम की नींव खुदाई शुरू की थी, उसी साल हसरत जयपुरी ने फिल्म ‘जादूनगरी' के लिए एक गीत को लता मंगेशकर से कुछ इस तरह गवाया, ‘ हरा समंदर जिसके अंदर, बोल मेरी मछली कितना पानी'।

रावी ब्यास के पानी को लेकर भी कुछ ऐसा ही ‘बूझो तो जानें' वाला राजनीतिक खेल जारी है। यहां भी एक समंदर है-गोविंद सागर। गोविंद सागर में कुल 6.122 एमएएफ पानी स्टोर करने की क्षमता है जिसमें से 4.870 एमएएफ सागर में सदा बना रहना जरूरी है। शेष पानी कहलाता है सरप्लस वाटर। रावी-ब्यास का पानी पहले इस ‘सागर' में इकट्ठा होता है और फिर भाखड़ा नंगल बांध से गिरता है पानी सतलुज नदी में। यहां कितना पानी रावी का कितना ब्यास का और कितना सतलुज का है, इसका पता लगाना आसान नहीं। सतलुज से रावी ब्यास का कितना पानी निकाल कर एसवाईएल कैनाल में डालने के लिए उपलब्ध है, यहीं से शुरू होता है राजनीति का खेल।