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पानी की मांग 2050 तक 1447 अरब घन मीटर

नई दिल्ली। देश में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी की मांग वर्ष 2050 तक बढ़कर 1,447 अरब घन मीटर हो जाएगी और इसे पूरा करने के लिए हमें भूमिगत जल और सतही जल संसाधनों का बेहतर तरीके से प्रबंधन करना होगा।

जल संसाधन राज्य मंत्री विसेंट एच पाला ने यहां राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के जल संसाधन सचिवों-मुख्य सचिवों की एक दिवसीय बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जल संसाधन आयोग के आकलन के मुताबिक, वर्ष 2050 तक निर्मित होने वाली 1,447 अरब घन मीटर पानी की मांग में से।,072 अरब घन मीटर पानी की जरूरत महज कृषि क्षेत्र के लिए होगी।

उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में 14 करोड़ हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जाती है, जिसमें से 7.6 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर सतही जल से और शेष 6.4 हेक्टेयर भूमि पर भूमिगत जल से सिंचाई होती है। पाला ने कहा कि देश में बढ़ती आबादी और कृषि उपज की जरूरतों को देखते हुए हमें सिंचित क्षेत्र को 14 करोड़ हेक्टेयर से भी अधिक विस्तार देने की जरूरत होगी। इसके लिए तुरंत ठोस योजनाएं बनानी होंगी।

पाला ने कहा कि वर्ष 1951 में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 5,177 घन मीटर थी लेकिन आबादी बढ़ने के चलते अब प्रति व्यक्ति यह उपलब्धता।,650 घन मीटर रह गई है।

जल संसाधन राज्य मंत्री ने कहा कि देश के 15 फीसदी तालुका-मंडल क्षेत्रों में सतही पानी का अत्यधिक दोहन हो चुका है। उन्होंने कहा कि देश में बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र 4.6 करोड़़ हेक्टेयर है। इस क्षेत्र में बाढ़ के पानी का सिंचाई के उद्देश्य से इस्तेमाल करने के लिए ढ़ांचागत उपाय किए गए हैं। देशभर के विभिन्न राज्यों में करीब 175 बाढ़ चेतावनी केंद्र भी स्थापित किए गए हैं।

जल संसाधन मंत्रालय के सचिव उमेश नारायण पंजियार ने कहा कि मंत्रालय ने बाढ़ प्रबंधन के लिए अब तक करीब 300 परियोजनाओं को मंजूर किया है। इनमें से अधिकतर पर काम मार्च 2010 तक पूरा होना था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

पंजियार ने कहा कि पिछले सप्ताह ही बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, जम्मू कश्मीर, तमिलनाड़ु, गोवा और गुजरात के लिए भी परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।

उन्होंने राज्यों से आए जल संसाधन विभाग के सचिवों और मुख्य सचिवों से अनुरोध किया कि मंत्रालय की ओर से स्वीकृत परियोजनाओं का जल्दी कार्यान्वन करें।