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पानी के पावर पंप पड़ रहे भारी, सालाना साढ़े छह करा़ेड बिजली का खर्च

रायपुर(निप्र)। नगर निगम क्षेत्र के जिन इलाकों में पाइपलाइन नहीं बिछी या स्लम बस्तियां जहां निजी नल कनेक्शन नहीं थे, वहां पावर पंप लगाए थे। अब ये पंप न केवल नगर निगम, बल्कि भूजल को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। निगम ने स्लम बस्तियों में भागीरथी नल-जल योजना के तहत लगभग 25 हजार कनेक्शन दे दिए हैं, लेकिन उसके बाद भी पावर पंप चालू हैं। पावर पंपों के कारण जहां एक तरफ भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ नगर निगम को हर साल केवल पावर पंपों का ही साढ़े छह करा़ेड रुपए बिजली बिल पटाना पड़ रहा है।

नगर निगम के जल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कुल 1450 पावर पंप निगम क्षेत्र में लगाए गए थे। इसमें से 80 पंप बंद कराए गए, क्योंकि उनका पानी पीने के लायक नहीं था। अभी 1370 पावर पंप चालू हैं। भूजल वैज्ञानिकों की मानें तो पावर पंप भूजल का दुश्मन है। इसकी संख्या जितनी अधिक रहेगी, उतनी तेजी से भूजल स्तर नीचे जाएगा। पहले तो नहीं, लेकिन अब नगर निगम उस स्थिति में पहुंच चुका है कि वह पावर पंपों की संख्या को कम कर सके। इसका कारण यह है कि भागीरथी नल-जल योजना के तहत लगातार निजी नल कनेक्शन दिए जा रहे हैं। जिन इलाकों में निजी नल कनेक्शन लगाए जा चुके हैं, वहीं से पावर पंपों को बंद करने की शुरुआत की जा सकती है। अभी हो यह रहा है कि जिन इलाकों में निजी नल कनेक्शन और पावर पंप हैं, वहां पानी की बर्बादी ज्यादा हो रही। लोग दोनों माध्यमों से पानी की खपत कर रहे हैं। नगर निगम पावर पंपों को बंद करे तो बिजली बिल कम होगा और भूजल स्तर को नीचे जाने से रोका जा सकेगा।

पानी बचाना जरूरी, गंगरेल से कोटा बढ़ना मुश्किल

निगम अधिकारियों के मुताबिक जल संसाधन विभाग इस साल गर्मी में गंगरेल से पानी की आपूर्ति नहीं बढ़ाएगा। इस कारण पानी की बर्बादी को बंद करना जरूरी हो गया है। अभी गंगरेल से निगम के फिल्टर प्लांट तक 150 क्यूसेक पानी पहुंच रहा है। निगम फिल्टर के फिल्टर प्लांट की कुल क्षमता 277 एमएलडी है, लेकिन रोजाना 170 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही, जबकि मांग लगभग 150 एमएलडी है। इसके बाद भी बारहों माह किसी न किसी इलाके में पानी की समस्या रहती है। इसका कारण यह है कि फिल्टर प्लांट से निकलने के बाद 20 एमएलडी पानी कहां जाता है, यह अधिकारी भी नहीं जानते। इसी कारण जब गर्मी में कूलर चलते हैं तो जलसंकट गहरा जाता है। कूलर के कारण पानी की खपत कम से कम दस एमएलडी तो बढ़ ही जाती है।

90 हजार वैध कनेक्शन, अवैध की गिनती नहीं

नगर निगम के जल विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सामान्य और भागीरथी नल-जल योजना के कुल 90 हजार वैध नल कनेक्शन हैं। फिल्टर प्लांट से निकलने वाले पानी के चोरी होने का सबसे बड़ा कारण अवैध नल कनेक्शन हैं। नगर निगम ने पिछले साल अवैध कनेक्शन पर जुर्माना करके नियमितीकरण का अभियान शुरू किया था। लगभग एक हजार अवैध कनेक्शन ही वैध किए जा सके थे, लेकिन निगम के अधिकारी ही अवैध नल कनेक्शन की संख्या 30-40 हजार या उससे भी अधिक मान रहे हैं।

टैंकर से सप्लाई नहीं बढ़ेगी

नगर निगम ने पिछले साल गर्मी में जोन नम्बर-5 को छोड़कर बाकी सात जोन में कुल 42 पानी टैंकर ठेके पर चलवाए थे। सबसे अधिक टैंकर जोन क्रमांक-1 में 13 चले थे। जल विभाग के प्रभारी अधिकारी का कहना है कि इस साल भी स्थिति को देखकर टैंकर तो चलवाए जाएंगे, लेकिन उनकी संख्या नहीं बढ़ेगी।

मोटर और पावर पंप भूजल के लिए घातक है। इनकी वजह से भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। यही हाल रहा तो आने वाले कुछ सालों में स्थिति बेहद खराब हो जाएगी। जिला प्रशासन और नगर निगम को शत-प्रतिशत पंप या बोर को बंद कर देना चाहिए।

प्रो. एमएल नायक, भूजल विशेषज्ञ

एक बाल्टी में एक छेद हो तो पानी देर से खाली होगा। अगर दस छेद कर दिए जाएं तो बाल्टी को खाली होने में दस गुना कम समय लगेगा। ऐसे ही बोर करने से भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है। नगर निगम को पाइपलाइन से शत-प्रतिशत घरों में पानी पहुंचाकर बोर को बंद करा देना चाहिए। यह काम जितनी जल्दी होगा, उतना अच्छा है।

डॉ. निनाद बोधनकर, भूजल विशेषज्ञ

जितनी संख्या में भागीरथी नल-जल योजना के तहत निजी नल कनेक्शन लगे हैं, उस अनुपात में पावर बंद नहीं किए जा सके हैं। पावर पंप के कारण निगम का हर साल करा़ेडों रुपए खर्च हो रहा है। इसी कारण सभी जोन को पत्र लिखा गया है कि जहां पावर पंप है और अब भागीरथी नल-जल योजना के तहत नल कनेक्शन दे दिए गए हैं, उनकी सूची भेजें। सूची मिलने के बाद विद्युत वितरण कंपनी को पावर पंप का कनेक्शन कटवाने के लिए पत्र भेजा जाएगा।

लोकेश चंद्रवंशी, प्रभारी अधिकारी (विद्युत), नगर निगम

भागीरथी नल-जल योजना के तहत हजारों नल कनेक्शन दिए गए हैं। अब निगम के विद्युत विभाग और जोन स्तर पर पावर पंपों को बंद कराने की व्यवस्था करनी चाहिए। यह शहर के भूजल स्तर के लिए बेहद जरूरी है।

एके माल्वे, प्रभारी अधिकारी (जल), नगर निगम