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पानी के लिए मचेगा हाहाकार

जलवायु परिवर्तन का भारत में भी दिखने लगा प्रभाव
पर्यावरण संरक्षण पर आयोजित सेमिनारों में लंबे-चौड़े भाषण देकर लोग अपने काम की इतिश्री कर लेते हैं. लेकिन, व्यावहारिक जीवन में अपनी ही कही बात पर अमल नहीं करते. इसी का नतीजा है कि प्राकृतिक संपदा और तीन प्रकार के मौसम चक्र से परिपूर्ण भारत भी जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से जूझ रहा है. वनों की अंधाधुंध कटाई, नदियों का विनाश, औद्योगिक क्षेत्रों का विकास और कंक्रीट की इमारतों में तेजी से हो रही वृद्धि से जलवायु परिवर्तन का असर बढ़ रहा है.

इसी का नतीजा है कि दो साल से मॉनसून में देश में औसत से कम बारिश हो रही है. इससे फसलों काे तो नुकसान हो ही रहा है, भू-जल स्तर भी तेजी से गिर रहा है. सर्दी के मौसम में ही कई राज्यों के जलाशयों का जलस्तर समाप्त होने की कगार पर है. पेयजल की राशनिंग करनी पड़ रही है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्मी के दिनों में किस तरह पानी के लिए हाहाकार मच सकता है.

देश में बारिश की ताजा स्थिति

खराब मॉनसून के कारण देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है. इसलिए भूगर्भीय स्रोतों में जलसंचयन भी नहीं हो सका है. भारतीय मौसम विभाग के अनुसार हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश आदि राज्यों में बारिश सामान्य से 91 फीसदी तक कम हुई है. जम्मू-कश्मीर, पूर्वी मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम भारत के तटीय प्रदेश को छोड़ कर अन्य हिस्सों में बारिश की स्थिति अच्छी नहीं है. केरल, जम्मू-कश्मीर और मध्य प्रदेश को छोड़ दिया जाये, तो भारत के अन्य हिस्सों में बारिश का औसत सामान्य बारिश से काफी कम है. भारतीय मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि भारत में न तो बारिश की स्थिति ठीक है और न ही जलाशयों में जमा पानी की.

जलाशयों की स्थिति : केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई तक देश के 91 महत्‍वपूर्ण जलाशयों में 58.96 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल भंडार था. थोड़ी-बहुत बारिश के बाद भी जलस्तर में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 115% प्रतिशत तथा 10 वर्षों के औसत जल संग्रहण का 108% प्रतिशत है. 

उत्तरी क्षेत्र : उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्‍थान आते हैं. इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमतावाले छह जलाशय हैं. इन जलाशयों में उपलब्‍ध कुल संग्रहण 10.57 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 59 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले 10 वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 43 प्रतिशत था. 
पूर्वी क्षेत्र : पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा हैं. यहां 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमतावाले 15 जलाशय हैं. इनका कुल उपलब्‍ध संग्रहण 7.67 बीसीएम है, जो कुल संग्रहण क्षमता का 41 प्रतिशत है. पिछले वर्ष इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्‍थिति 38 प्रतिशत थी.

पश्चिमी क्षेत्र : पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्‍ट्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमतावाले 27 जलाशय हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्‍ध संग्रहण 6.63 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल क्षमता का 24 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्‍थित 24 प्रतिशत थी और इसी अवधि में इन जलाशयों में पिछले 10 वर्षों का औसत संग्रहण कुल क्षमता का 37 प्रतिशत था. इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष के बराबर रहा, लेकिन यह पिछले 10 वर्षों के औसत संग्रहण से कम रहा.
मध्‍य क्षेत्र : मध्‍य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्‍यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमतावाले 12 जलाशय हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्‍ध संग्रहण 18.72 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 44 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्‍थिति 38 प्रतिशत थी.

दक्षिणी क्षेत्र : दक्षिणी क्षेत्र के आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, (दोनों राज्‍यों में दो मिश्रित परियोजनाएं) कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमतावाले 31 जलाशय हैं. इन जलाशयों में कुल उपलब्‍ध संग्रहण 15.01 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 29 प्रतिशत है. 

भारत में भूजल स्तर की स्थिति : इस साल के मॉनसून सीजन में कम बारिश होने की वजह से भारत के भूजल स्तर की स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती. केंद्रीय भूमिजल बोर्ड की ओर से पेश प्री-मॉनसून जल स्तर के आंकड़े को मानें, तो आनेवाले दिनों में देश के विभिन्न राज्यों में भूमि जल का स्तर काफी नीचे जा सकती है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति चंडीगढ़, केरल, महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तराखंड, गोवा, गुजरात आदि की हो सकती है. इन राज्यों में अभी तक भू-जल स्तर दो से 40 मीटर तक नीचे खिसक चुकी है. आनेवाले दिनों में इसे और ज्यादा नीचे जाने के आसार हैं.