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पानी बचाने की खातिर खेतों को समतल बनाने पर जोर

किसान अब पानी बचाने की खातिर खेतों को समतल बनाने पर जोर दे रहे हैं। इसी के चलते जिले के ग्राम राजपुरा में एक किसान ने हरियाणा करनाल से लेजर तकनीक से खेतों को समतल बनाने वाली मशीन खरीदी है।
इससे किसान खासकर खरीफ फसल के दौरान खेत में पानी भर जाने से फसलों को होने वाले नुकसान से बचा सकेंगे। जबकि रबी फसल सत्र में पानी की बेहद बचत होगी। इसकी वजह यह है कि इस तरह से खेत को समतल किया जाएगा ताकि कम पानी में ही सिंचाई हो सके। खासकर लेवल ठीक हो जाने से थोड़े ही पानी में पूरे खेत में तर हो जाएगा।
किसान अब इस बात का महत्व समझ गए हैं कि ऊबड़-खाबड़ जमीन पर खेती करना किस तरह से मुसीबत का कारण बनता है। लगातार दो सालों से सोयाबीन की फसल खराब हो रही है। इसकी वजह यह है कि किसानों को जब पानी की आवश्यकता है, तब पानी नहीं बरसता है। जबकि अचानक तेज बारिश होती है और फिर खेतों में पानी भर जाता है। मौसम के इस तरह के ट्रेंड के चलते खेतों को अब समतल बनाने की आवश्यकता महसूस होने लगी।
ये है तकनीक
ग्राम राजपुरा के कृषक राहुल अकलेचा ने बताया कि हरियाणा के करनाल से लेजर गाइड लेवल मशीन लेकर आया हूं। खेत समतल होने के कारण बेहद नुकसान होता है। सोयाबीन की फसल बर्बाद होती है। जबकि रबी की फसलें गेहूं, चने में पानी की खपत अधिक होती है। वर्तमान में पानी बचाने के लिए ही करीब 3 लाख 90 हजार स्र्पए खर्च करके मशीन खरीदी है।
इसके बारे में करनाल से आए इंजीनियर चिराग वर्मा ने बताया कि लेजर तकनीक से पूरा काम होता है। खेत के बाहरी क्षेत्र में लेजर मशीन को रखा जाता है। जबकि कंट्रोल यूनिट ट्रैक्टर के ऊपर रहती है। दोनों ही लेजर लाइट के माध्यम से यह संकेत मिलता है कि कहां पर कितनी असमतल स्थिति है। उसी के आधार पर कृषक ट्रैक्टर चलाता है और उससे खेत को समतल बनाया जाता है।
तीन गुना खर्च कम
कृषक का कहना है कि आमतौर पर किसान खेत को समतल करने की इच्छा तो रखते हैं किंतु ऐसा इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि वह खर्चीला होता है। एक बीघा खेत को समतल करने के लिए सामान्य तौर पर जो पैसा लगता है उससे तीन गुना कम पैसे में यह मशीन काम कर देती है। एक बीघा खेत को लेजर मशीन से करीब चार हजार स्र्पए में समतल बनाया जा सकता है। जबकि यही काम राजस्थान से आने वाले एक्सपर्ट ट्रैक्टर के माध्यम से परंपरागत व्यवस्था को अपनाते हुए करीब 12 हजार स्र्पए में करते हैं। इस तरह खर्च बचता है।
ये हैं लाभ
इंजीनियर ने बताया कि वर्तमान में ये देखने में आया है कि पानी की उपलब्धता कम है। वहीं खेत में बारिश का पानी भर जाने से फसलें बर्बाद होती हैं। मशीन से यदि खेत को समतल किया जाता है तो पानी खेत में नहीं भरता है। जबकि सिंचाई करने पर उचित ढलान और तकनीकी ढलान होने से कम पानी में पूरे खेत में पानी फैल जाता है। इस तरह किसान नुकसान से बचता है और उसे कम पानी का लाभ मिलता है।
उनका यह भी कहना है कि बिजली की खपत भी कम हो जाती है। क्योंकि कम समय में पानी खेत में फैलने से मोटर कम चलाना होती है। साथ ही उपज बेहतर प्राप्त होती है। खेत समतल होता है तो प्राकृतिक आंधी के कारण फसलें आड़ी होने का भी डर कम हो जाता है। -निप्र