Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/पानी-में-पैसा-537-करोड़-की-योजना-100-करोड़-खर्च-नतीजा-0-8144.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | पानी में पैसा: 537 करोड़ की योजना, 100 करोड़ खर्च, नतीजा 0 | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

पानी में पैसा: 537 करोड़ की योजना, 100 करोड़ खर्च, नतीजा 0

टना: गरमी में पेय जल संकट से शहरवासियों को निजात दिलाने के लिए 2010 में 420 करोड़ रुपये की जलापूर्ति योजना बनी. योजना पूरी नहीं हुई. 2012 में योजना लागत बढ़ कर 537 करोड़ हो गयी. तीन वर्ष बाद भी स्थिति वैसी ही है. शहरवासी फिर इस बार गरमी में जल संकट से जूङोंगे. वजह निगम क्षेत्र की 14 बोरिंग ठप है और नयी जलापूर्ति योजना अधर में है. निगम क्षेत्र के 72 वार्डो में जलमीनार बननी थी. 18 वार्डो में जलमीनार के लिए जमीन मिली, लेकिन एक भी जलमीनार नहीं बनी. पटना सिटी और कंकड़बाग अंचल में जलापूर्ति योजना के तहत पाइप लाइन भी बिछायी गयी. करीब सौ करोड़ रुपये खर्च भी हुए, लेकिन लाभ लोगों को नहीं मिला.

नगर विकास व आवास विभाग ने 2012 में पटना जलापूर्ति योजना को पूरा करने की जिम्मेवारी बिहार अरबन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (बुडको) को दी. बुडको ने योजना के लिए गैमन इंडिया एजेंसी को चयनित किया और 24 माह का समय दिया. 24 माह में एक जलमीनार भी खड़ा नहीं हो सकी. योजना को अधर में रखने के आरोप में विभाग ने जुलाई 2014 में कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया और 60 करोड़ सुरक्षा राशि भी जब्त कर ली. अब फिर योजना की लागत बढ़ गयी है. नयी लागत पर बुडको ने टेंडर निकाला,लेकिन इस टेंडर में कोई एजेंसी शामिल नहीं हुई.

स्थिति यह है कि जुलाई 2014 के बाद से योजना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है. अब बुडको प्रशासन फिर से टेंडर निकालने की तैयारी में है. विभाग का फरमान है कि अब तक योजना पर किये गये कार्यो को ही पूरा करे. बुडको के सूत्रों ने बताया कि विभागीय निर्देश आया है कि 18 स्थानों पर जलमीनार बनाने के लिए भूखंड है, तो पहले इन जलमीनार को तैयार करें. साथ ही जलमीनार से आपूर्ति क्षेत्र की पाइप लाइन को दुरुस्त करें.

क्या है जलापूर्ति योजना
जलापूर्ति योजना के तहत राजधानी को दो भागों में बांटा गया. एक भाग में गंगा जल और दूसरे भाग में ग्राउंड वाटर घर-घर पहुंचाया जाना था. 72 जलमीनार के साथ-साथ करीब 21 सौ किलोमीटर जलापूर्ति पाइप लाइन बिछायी जानी थी. गंगा जल को शुद्ध करने के लिए दीघा में ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाना था.

जितने पानी की जरूरत, उतना बह जाता है लीकेज में
राजधानी यानी निगम क्षेत्र में 24 घंटे घर-घर पानी नहीं पहुंचाया जाता है, बल्कि सुबह-शाम 40 वर्ष पुरानी जलापूर्ति पाइप के माध्यम से एक-दो घंटे पानी पहुंचाने की व्यवस्था है. जलापूर्ति पाइप सैकड़ों स्थानों पर लीकेज हैं. इससे लगभग मांग के बराबर पेयजल बरबाद हो रहा है. इस बरबादी को रोकने के लिए निगम प्रशासन प्रत्येक वर्ष योजना बनाता है, लेकिन वह फाइलों में ही दबी रह जाती है. नतीजा यह होता है कि शहरवासी गरमी के दिनों में जल संकट की समस्या से जूझने के लिए मजबूर होते हैं.
निगम क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को समुचित पानी पहुंचाने के लिए 87 स्थानों पर बोरिंग लगायी गयी है, जिससे रोजाना 325 एमएलडी (मिलियन लीटर परडे) पानी डिस्चार्ज होता है, जबकि शहरवासियों को रोजाना 200 एमएलडी पानी की ही आवश्यकता है. गौरतलब है कि राजधानी में मांग से अधिक पानी है, इसके बावजूद शहरवासी जल संकट की समस्या से जूझते हैं. इसका कारण है कि आपूर्ति व्यवस्था जजर्र होने के कारण करीब 200 एमएलडी पानी बरबाद हो जा रहा है और सिर्फ 125 एमएलडी पानी ही घर-घर पहुंचाया जाता है.

निर्णय हुआ, पर काम नहीं
दिसंबर में हुई स्थायी समिति की बैठक में मेयर ने जलापूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने से जुड़े प्रस्ताव की मांग की थी. इस पर स्थायी समिति ने निर्णय लिया था कि निगम क्षेत्र के सभी लीकेज पाइप को दुरुस्त करने के साथ-साथ अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर, मोटर और ज्वाइंट करनेवाले मेटेरियल की व्यवस्था सुनिश्चित करें. इसको लेकर राशि खर्च करने का प्रावधान भी कर दिया गया, लेकिन निगम प्रशासन ने अब तक अतिरिक्त समान की खरीदारी नहीं की है. आलम यह है कि एक साल पहले जहां पाइप फटा हुआ है, वह आज भी उसी स्थिति में है.

घरों में पहुंचता है गंदा पानी
राजधानी में शायद ही कोई मुहल्ला है, जहां सप्लाइ से शुद्ध पानी पहुंचता है. घरों में नलों से आनेवाला सप्लाइ वाटर शुरू में काफी गंदा रहता है तथा बदबू देता है. यह स्थिति आधा से एक घंटा तक रहता है. इसके बाद साफ पानी नल से गिरना शुरू होता है. इसकी मुख्य वजह है, पानी टंकी का मोटर बंद होने की स्थिति में लिकेज पाइप में ड्रेनेज का पानी घुस जाता है. मोटर चलने पर यही ड्रेनेज का पानी पहले घरों में पहुंचता है. उसके काफी देर बाद साफ पानी आता है.

जलापूर्ति व्यवस्था में क्या-क्या समस्याएं हैं, उन्हें चिह्न्ति किया जा रहा है. सबसे पहले 12 स्थानों पर नयी बोरिंग लगायी जायेगी. इसके साथ ही पाइप लाइन को भी दुरुस्त किया जायेगा. यह कार्य मई के प्रथम सप्ताह तक पूरा किया जायेगा. राजीव रंजन, कार्यपालक पदाधिकारी, जलापूर्ति शाखा