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पार हो रही लाखों की इमारती लकड़ी और पकड़ रहे दातून

हेमंत कश्‍यप, जगदलपुर (ब्यूरो)। एक तरफ बस्तर के वनों का तेजी से सफाया हो रहा है। आए दिन लाखों रुपए की इमारती पार हो रही है। इसे रोकने में विफल रहे वन अधिकारी इन दिनों हाट-बाजारों में दातून जब्त करने में लगे हैं। इधर गुस्साए ग्रामीणों का आरोप है कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों के बंगलों और घरों के लिए बेश कीमती सागौेन के फर्नीचर-मूर्तियां तैयार किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ वन विभाग ऐसे पौधों का रोपण कर रही है जो आम ग्रामीणों के किसी काम के नहीं हैं।आखिर अधिकारियों के घरों में वन विभाग का छापा कब पड़ेगा?

सघन वनों के लिए चर्चित रहे बस्तर के वनों का तेजी से सफाया हुआ है।छग के सीमावर्ती राज्य ओडिशा, महाराष्ट्र,सीमांध्र और तेलंगाना में बस्तर के जंगलों की इमारती लकड़ियां बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से पहुंचाई जा रही है। इंद्रावती और शबरी नदियां लकड़ी परिवहन का माध्यम बनी हुई है। करोड़ों रुपए की लकड़ी नीलामी के बाद विभिन्न राज्यों को तो जा रही है, वहीं गोविंदा जैसे तस्कर मालगाड़ियों से भी इमारती पार करते आ रहे हैं। नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद वन विभाग गोविन्दा को पकड़ने में विफल रही है। इधर सड़क मार्ग से भी लाखों रुपए की इमारती अवैध तरीके से पार होरही है। कोन्टा-भोपालपटनम्‌ से लेकर चारामा-कच्चे तक की वन जांच चौकी में कभी बड़े लकड़ी तस्करों को पकड़ा नहीं गया। इसलिए वन विभाग पर ऊंगली उठती रही है।

इधर कुछ दिनों से वन अधिकारी जिले के हाट-बाजारों में ग्रामीण महिलाओं से दातून जब्त कर रही है। पिछले रविवार को जगदलपुर साप्ताहिक बाजार में एक परिविक्षा आई एफ एस अधिकारी ने ग्रामीणों से करीब डेढ़ क्विंटल साल दातून जब्त किया था। इस कार्रवाई से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।

कामर्शयिल फारेस्ट्री का आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग ग्रामीणों की मांग के अनुरूप साल, आंवला, करंज नीम, बबूल,र्निगुण्डी,जामुन, हर्रा, महुआ, बहेड़ा जैसे बहु उपयोगी पेड़ों का पौधरोपण नहीं कर रही है। यह विभाग काजू, नीलगिरी, सागौन औेर खम्हार जैसे लगाने में व्यस्त है,जबकि ये पेड़ ग्रामीणें के लिए कम, वन विभाग के लिए ज्यादा उपयोगी है। वन विभाग पिछले कुछ वर्षों से कामर्शियल फारेस्ट्री कर रही है,जबकि ग्रामीणों की मांग फलदार पेड़ लगाने की रही है।

रोजगार के लाले पड़ेंगे

शहर के संजय मार्केट में साल दातून और धूप बेचने आने वाली चिलकुटी की सोनाबती, बड़े कवाली की दसोदा, मुरमा की जामबाई, सल्फीगुड़ा की कनकदई ने बताया कि वन कर्मी उनसे जंगल से लाया गया साल दातून और धूप जब्त कर रहे हैं। वे यह कार्य परंपरानुसार वर्षों से करते आ रहे हैं।साल दातून और धूप के अलावा बास्ता आदि जब्त करने से उनकी आय का जरिया खत्म हो जाएगा। वन विभाग ने कभी ग्रामीणों के लिए रोजगार मूलक वृक्षों का रोपण नहीं किया।

बड़ी कार्रवाई नहीं

बस्तर के वनों से साल, सागौन, हल्दू, बीजा, सिवना आदि इमारती लकड़ियों का वर्षों से अवैध परिवहन हो रहा है। आरोप है कि विभिन्न शासकीय विभागों के अधिकारी सरकारी वाहनों में इमारती मंगवा रहे हैं। वहीं गस्ती के नाम पर निकले सुरक्षा जवानों पर भी लकड़ी ढुलाई के आरोप लगते रहे हैं। बावजूद इसके कभी बड़े अधिकारियों के बंगलों पर फारेस्ट का छापा नहीं पड़ा। सूत्रों ने बताया कि कोन्टा से लेकर बीजापुर-मद्देड़ से सागौन निर्मित फर्नीचर औेर मूर्तियां बस्तर से बाहर जा रही हैं।

क्या कहते हैं वनाधिकारी

साल दातून जब्त करने के संदर्भ में उप वनमंडलाधिकारी एन आर खूंटे और शहर के डिप्टी रेजर सुखराम नाग का कहना है कि ग्रामीण एक मीटर ऊंचे साल के पौधों को काट तथा दातून बना कर बेचते हैं,जबकि इस ऊंचाई तक पहुंचने में साल पौधे को तीन साल लग जाते हैं।जगदलपुर साप्ताहिक बाजार में ही प्रति रविवार को डेढ़ से दो क्विंटल साल दातून बेचने लाया जाता है।इतना दातून करीब 10 हजार साल पौधों को नष्ट कर तैयार किया जाता है,इसलिए साल को बचाने के लिए ग्रामीणों को साल दातून बेचने से रोका जा रहा है। वे चाहे तो नीम, करंज, बबूल,निगुण्डी का दातून बेच सकते हैं।

साल धूप प्रतिबंधित

जिला वनोपज संघ के उप प्रबंधब टी मैथ्यू बताते हैं कि ग्रामीण साल धूप प्राप्त करने के लिए साल वृक्षों की गडलिंग करते हैं।इस प्रक्रिया के चलते साल के पेड़ सूख जाते हैं, इसलिए साल धूप संग्रहण और विक्रय पर प्रतिबंध लगाया गया है।