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पाला से बर्बाद हो गईं फसलें

सागर & जिन किसानों ने सिर्फ एक फसल लेने के फेर में खरीफ सीजन में अपने खेत खाली छोड़ दिए थे और रबी फसल के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था उन्हें प्रतिकूल मौसम ने दुखी कर दिया है। रबी सीजन में खेतों में हरियाली की चादर देखकर वे उत्साह से लबरेज थे कि इस बार फसल मालामाल कर देगी तथा कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन शीतलहर ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है। फसलें तुषार की चपेट में आने से बर्बाद हो चुकी हैं।

लागत निकालना भी मुश्किल- मालथौन ब्लाक के बोवई में ऐसे कई किसान हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर बोवनी की थी। उन्हें उम्मीद थी कि भरपूर पैदावार से मालामाल हो जाएंगे। फसलों को बचाने के लिए लाखों रुपए कीटनाशक, डीजल और खाद खरीदने में खर्च कर दिए, अब जबकि लाभ मिलने की बारी आई थी कि फसलों को पाला खा गया। गांव के राजेंद्रकुमार ने बताया कि अचानक पड़ी शीतलहर ने हम लोगों को बर्बाद कर दिया। बन्नाद बम्हौरी के राजेश गौतम का कहना है कि अब खेती करना घाटे का सौदा हो गया है। बंडा ब्लाक के धवोली के पुष्पेंद्रसिंह को मलाल इस बात का है कि दिनरात एक करने के बाद हाथ में कुछ नहीं आया। ज्यादातर किसानों की मानें तो इस बार लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा।

> अब मुआवजा ही सहारा- पाला से बर्बाद हुए किसानों के दर्द को मुआवजे की मरहम ही राहत पहुंचा सकती है। उनका कहना है कि मुआवजे में किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। अन्यथा मुआवजे के सर्वे में कई किसानों के नाम छोड़ दिए जाते हैं। जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत का कहना है कि आरबीसी में इतने अधिक प्रावधान हंै कि अगर सरकार चाहे तो भरपूर मुआवजा दिया जा सकता है।

> पूरी पारदर्शिता से होगा सर्वे : कमिश्नर एसके वेद के अनुसार पाला प्रभावित फसलों के सर्वे में पूरी पारदर्शिता बरती जाएगी, जिससे किसानों के नुकसान की भरपाई हो सके। उनका कहना है कि अधिकारियों को सर्वे में कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर मनीष श्रीवास्तव का कहना है कि किसानों को उचित मुआवजा दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।