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पालिथीन के व्यवहार से बढ़ रहा प्रदूषण

जामताड़ा, नाला, संसू। सरकारी उदासीनता के कारण नाला बाजार सहित समीप के गांवों में धड़ल्ले से पालीथिन व्यवहार करने के कारण प्रदूषण संकट उत्पन्न होने लगा है। लोगों का कहना है कि जिस रफ्तार से पालिथीन का व्यवहार किया जा रहा है और उसके बाद सड़क किनारे यत्र-तत्र फेंका जा रहा है उससे प्रदूषण की समस्या गहराने लगी है तथा कृषि योग्य जमीन भी बंजर होने के कगार पर आ पहुंची है।

वर्तमान समय में विभिन्न खाद्य वस्तुओं के साथ-साथ विभिन्न तरह के पाकेट बंद खाद्य पदार्थ भी पालीथिन पैकेट में ही आमजनों को दिया जा रहा है। यही नहीं राशन दुकान, मिठाई दुकान एवं अन्य दुकानों में भी पालीथिन पैकेट में ही सामान देना एक प्रचलन बन गया है। लेकिन इसके कुप्रभाव से सामान्य लोग अनभिज्ञ है। कई तो ऐसे पालीथिन पैकेट है यथा गुटखा का पैकेट जो साल दो साल नहीं बल्कि वर्षो तक जमीन में उसी प्रकार रह जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप जमीन की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होने लगा है। नाला बाजार के अलावा ग्रामीण भागों में भी व्यवहृत पालीथिन को खेतों में फेंक दिया जाता है या नाली में फेंक देने से सीधे तालाब में चला जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है। आत्मा से जुड़े किसान विमल कान्ति घोष, शिवलाल मरांडी ने बताया कि प्रदूषण विभाग को समय रहते इस बारे में विचार करने की जरूरत है। साथ ही लोगों को पोलीथिन व्यवहार के कुप्रभाव की जानकारी देने की बात कही। इनलोगों ने आगे बताया कि इधर वनों की अत्यधिक दोहन के कारण जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है जिससे लोग आशंकित है। पोलीथिन की व्यवहार से सारा जमीन बंजर हो जायेगा इस कटु सत्य से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है। खेत या मैदानों में घास चरते या पानी पीने के समय ये घातक पालीथिन मवेशी के पेट में चले जाने से मृत्यु तक हो जाने का समाचार है। इनलोगों ने प्रदूषण विभाग को ऐसे पोलीथिन व्यवहार न करने, लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान चलाने की मांग की है ताकि लोग एक सुंदर स्वस्थ परिवेश में जी सके।