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पूरे देश में फिर महंगी होगी बिजली, बजट ने बढ़ाई कोयला और उत्‍पादन की लागत

नई दि‍ल्ली। पूरे देश्‍ा में एक बार फि‍र बि‍जली की दरें बढ़ने वाली हैं। बजट में हुई घोषणाओं ने महंगी बि‍जली की जमीन तैयार कर दी है। पि‍छले माह ही वि‍भि‍न्‍न राज्‍यों के बि‍जली नि‍यामकों ने बि‍जली दरें बढ़ाने का आदेश दि‍या था। सरकार ने बजट में विदेश से आयातित कोयले पर क्‍लीन एनर्जी सेस को 50 रुपए से बढ़ाकर 100 रुपए प्रति टन कर दिया है। वहीं कोयले पर कस्टम ड्यूटी भी 2 फीसदी से बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दी है। इससे काेयले की ढुलाई महंगी हो जाएगी। बढ़ती इनपुट कॉस्ट और मालभाड़े में वृद्धि के कारण बिजली उत्पादन इकाइयों पर दबाव बढ़ जाएगा। हालिया वृद्धि को देखकर संभावना है कि जल्द ही बिजली दरों में 6 से 7 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।

एनर्जी सेस की दर को दोगुना करने से बिजली की उत्पादन लागत 1.5 प्रति यूनिट से 2 रुपए प्रति यूनिट तक बढ़ जाएगी।
आयातित कोयले पर कस्टम ड्यूटी में 0.5 फीसदी की वृद्धि से बिजली उत्पादन लागत 1 से 1.5 फीसदी तक बढ़ जाएगी।
जून में रेलवे माल भाड़े में हुई 6.5 फीसदी की वृद्धि से बिजली निर्माण लागत पर 3.5 फीसदी प्रति यूनिट का बोझ पड़ेगा।
इन वृद्धियों के चलते यदि बिजली की दरें बढ़ती हैं तो इसका असर बिजली के सबसे बड़े खरीददार रेलवे पर भी दिखेगा।


3 साल में 20 फीसदी बढ़ी बिजली उत्पादन लागत

बिजली उत्पादक एनटीपीसी के अनुसार पिछले कुछ सालों में कोयले की बढ़ती कीमतों ने बिजली की उत्पादन लागत बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान दिया है। पिछले तीन साल में कोयले की कीमत में 15 से 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं कोयला ढुलाई 50 फीसदी तक महंगी हो गई है। इसके अलावा रॉयल्टी दरें भी बढ़ी हैं। इन सभी कारणों से बिजली उत्पादन लागत 20 फीसदी तक बढ़ गई है।

टाटा, अदानी पर पड़ेगा असर

क्‍लीन एनर्जी सेस और कस्टम ड्यूटी में इजाफे का असर उन कंपनियों पर पड़ने की संभावना है, जो अपने पावर प्‍लांटों के लिए विदेशी कोयले का उपयोग करती हैं। या फिर टाटा, अदानी जैसी कंपनियां जिनकी कोयला खदानें विदेशों में स्थि‍त हैं। अदानी और जीवीके की कोयला खदानें ऑस्‍ट्रेलिया में हैं। वहीं टाटा की कोयला खदानें इंडोनेशिया में हैं।

महंगी बि‍जली का बोझ

कोयले की कमी का असर इलेक्‍ट्रि‍सि‍टी सेक्‍टर पर साफ दि‍खाई दे रहा है। मासि‍क अाधार पर इस सेक्‍टर की ग्रोथ रेट 11.9 फीसदी से घटकर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई है। बीते एक वि‍त्‍त वर्ष के दौरान कंपनि‍यों को अपना घाटा पूरा करने के लि‍ए पावर टैरि‍फ में इजाफा करना पड़ा। देश भर के सभी राज्‍यों में बि‍जली की दरें 4 फीसदी से लेकर 24 फीसदी तक बढ़ी हैं।