Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/पूरे-परिवार-को-तोड़-देती-है-आत्महत्या-महिला-किसानों-को-गुजारनी-पड़ती-है-विपदा-की-जिदंगी-13769.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | पूरे परिवार को तोड़ देती है आत्महत्या, महिला किसानों को गुजारनी पड़ती है विपदा की जिदंगी | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

पूरे परिवार को तोड़ देती है आत्महत्या, महिला किसानों को गुजारनी पड़ती है विपदा की जिदंगी

-डाउन टू अर्थ
 
खेती-किसानी करने वालों की जिंदगी एक ऐसे डगर पर चल रही होती है कि जब वे फिसलते हैं तो कोई न कोई फंदा उनका गला कसने को तैयार रहता है। खेतों में काम करते हुए महिला किसानों को भी बड़ी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 1995 से 2018 के बीच कुल 23 वर्षों में खेती-किसानी से संबधित 353,802 लोगों ने आत्महत्या की  है। वहीं, समान अवधि में 50,188 महिला किसानों ने आत्महत्या करना पड़ा है।। जिस घर में महिलाएं खुद फांसी के फंदे पर झूल गईं वह घर तो तबाह हुआ ही लेकिन जिस घर में किसी पुरुष किसान के फांसी लगने की खबर है वहां महिलाएं जीवन की विपदा भरी आपाधापी से एकदम टूट गईं हैं। ऐसी महिलाओं ने सरकार से बजट में उनके लिए प्रावधान और सहयोग करने की मांग उठाई है।

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के जरिए एक ताजा अध्ययन (आईएसईईसी, अगस्त 2017)  के मुताबिक सर्वाधिक महिला किसानों ने तेलंगाना में आत्महत्याएं की हैं। इसके बाद गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल का नाम शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक 303,597 महिलाएं या तो घर का काम संभालती हैं या फिर वे खेतों के लिए मजबूत हो गई हैं। यह संख्या अभी तक रिपोर्ट नहीं की जाती है और या तो इसका इस्तेमाल किसी दूसरे तरीके से किया जाता है।

महिला किसानों की विपदा को लेकर यूएन वूमैन और महिला किसान अधिकार मंच (मकाम) की ओर से नीतिगत तरीके से बदलाव के लिए आवाज उठाई गई है। कार्यकर्ता कविता कुरुगंती ने कहा कि किसान परिवार में आत्महत्या के बाद महिला किसानों को कई कष्ठ झेलने पड़ते हैं। मसलन उनको भू-अधिकार से वंचित किया जाता। उनकी अव्हेलना की जाती है। उनके साथ हिंसा और गलत कार्य भी किए जाते हैं। हमें इनके साथ खड़े होने की जरूरत है। करीब 70 फसीदी भारतीय महिलाएं खेतों में काम करने जाती हैं। हर तीन महिलाओं में एक महिला ग्रामीण भारत से हैं जो कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। इसके बावजूद सिर्फ 13 फीसदी जमीनों का स्वामित्व उनके पास है और मौत के बाद प्राधिकरणों के जरिए यही महिला किसान अदृश्य कर दी जाती हैं। इतना ही नहीं इनके बच्चे स्कूलों से बाहर निकाल दिए जाते हैं।

कार्यक्रम में कई महिलाओं ने अपनी आप-बीती भी सुनाई। तेलंगाना के नालगोंडा जिले की पीए पल्ली ने कहा कि हम लीज पर जमीन लेकर खेती करते हैं। मेरे पति ने 2018 में आत्महत्या की थी। उनका कर्ज अब मेरे ऊपर है। करीब 6 लाख का कर्ज बकाया है। मैं स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से सरकार से राहत पाने की कोशिश कर रही हूं। मैं कई महीनों से सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट रही हूं लेकिन मुझे आजतक कोई सफलता नहीं मिली है। वहीं, तेलंगाना की ही महिला किसान कोर्रा शान्थि के मुताबिक उनके पति के नाम पर जमीन न होने की वजह से उनको मुआवजे की पात्रता के लिए अयोग्य मान लिया गया।
 
 पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.