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पेडन्यूज को अपराध बनाये जाने की जरूरत

नयी दिल्ली : मुख्य निर्वाचन आयुक्त वी एस संपत ने कहा है कि भारतीय चुनाव में पेड न्यूज की बढती समस्या से निपटने की राह में एक कानूनी खामी है और निर्वाचन कानून के तहत इसे अपराध बनाये जाने की जरूरत है.

संपत को इस तथ्य से राहत है कि निर्वाचन आयोग ने 16वीं लोकसभा के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराये जिसमें पहली बार नेताओं को नफरत फैलाने वाले भाषण देने से रोकने के लिए कडे कदम उठाए गए और चुनावों को हरसंभव साफ सुथरा सुनिश्चित कराया गया.

उन्होंने इस बात पर संतोष जाहिर किया कि हालिया संपन्न चुनावों में अंतिम क्षणों में मतदाताओं के नाम शामिल करने के लिए उठाए गए कदमों तथा मतदाता जागरुकता कार्यक्रमों के चलते अभूतपूर्व रुप से काफी अच्छा मतदान हुआ. इन कार्यक्रमों से शहरी मतदाताओं की उदासीनता को दूर करने में मदद मिली.

संपत ने साक्षात्कार में आम चुनाव के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं का विश्लेषण किया और कहा, पेड न्यूज को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनावी अपराध बनाये जाने की जरूरत है. इस संबंध में आयोग के प्रस्ताव विधि मंत्रालय के समक्ष हैं. उन्होंने कहा,  पेडन्यूज एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कोई उम्मीदवार एक राशि का भुगतान कर समाचारपत्र या टेलीविजन चैनल में अपने पक्ष में रिपोर्टिंग कराता है.

एक समान सामग्री एक ही दिन विभिन्न समाचारपत्रों में आती है. कई बार प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के पक्ष में प्रकाशित लेखों को भी निष्प्रभावी बनाने के लिए धन दिया जाता है. संपत ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनावों के मुकाबले आयोग ने इस चुनाव में इस समस्या से निपटने के लिए एक ढांचागत प्रतिक्रिया अपनायी.  उन्होंने कहा, पेड न्यूज का पता लगाने और निगरानी के लिए हमारे पास जिला और राज्य स्तर पर समितियां थीं. पेड न्यूज के तीन हजार से अधिक मामलों में नोटिस भेजे गए.

लेकिन कानूनी ढांचे की खामी के कारण हम अभी पेड न्यूज की समस्या से खर्च के लिहाज से ही निपट सकते हैं. गौरतलब है कि कई साल पहले पेड न्यूज की शिकायत पर प्रेस कौंसिल की जांच के आधार पर निर्वाचन आयोग ने अभूतपूर्व कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश के बंदायूं से एक महिला विधायक को अयोग्य घोषित कर दिया था.

जांच में पाया गया था कि महिला विधायक ने पेड न्यूज पर आये खर्च को अपने चुनावी खर्च में शामिल नहीं किया था.  महिला विधायक ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी थी जिसने इसे खारिज कर दिया. उच्चतम न्यायालय ने भी उसे कोई राहत नहीं दी.  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से जुडे मामले में उच्चतम न्यायालय ने इस माह के शुरुआत में अपने फैसले में कहा था कि आयोग को अधिकार है और यदि पेड न्यूज पर आये खर्च का खुलासा नहीं किया जाता है तो आयोग किसी नेता के खिलाफ पेड न्यूज की शिकायत की जांच कर सकता है.  

न्यायाधीश ए के पटनायक की अगुवाई वाली पीठ ने इस प्रकार के मुद्दों की जांच करने के आयोग के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देने वाली चव्हाण की याचिका को खारिज कर दिया था और आयोग को 45 दिनों के भीतर शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया था. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव के संबंध में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि यह काफी शानदार और विशालकाय प्रक्रिया थी जिसमें 70 लाख से अधिक मतदानकर्मियों की तैनाती , नौ लाख से अधिक मशीनों का संग्रहण, केंद्रीय और राज्य के सुरक्षा कर्मियों की भारी संख्या में तैनाती आदि शामिल थी.

उन्होंने कहा, दुनियाभर के लोकतंत्र एक बार फिर से बडी ईर्ष्या के साथ इस महान अनुभव को उत्सुकता से देख रहे थे. एक राष्ट्र के नाते हमें गर्व है कि हम सुचारु, शांतिपूर्वक और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराने में सक्षम हैं. जिस प्रकार एक ही दिन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सुचारु तरीके से मतों की गणना हुई और अधिकतर परिणाम दोपहर होते- होते तक आ गये , यह चुनावी प्रबंधन में भारत की व्यवस्थागत परिपक्वता और क्षमता को दर्शाता है.

मैं राहत महसूस कर रहा हूं कि हम इस काम को सफलतापूर्वक संपन्न कराने में सफल रहे. आम चुनाव में आयोग के समक्ष आयी चुनौतियों के बारे में संपत ने कहा कि हर चुनाव अपने आप में अलग होता है.