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पैरेंट्स से कर रहे हैं निजी स्कूल जमकर अवैध वसूली

रायपुर। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के इच्छुक शहर के अभिभावकों से निजी स्कूल जमकर वसूली कर रहे हैं। वे कई ऐसी मदों में पैसे ले रहे हैं जो कानूनन अवैध हैं। स्कूली शिक्षा विभाग ने अवैध माने गए इन मदों की बाकायदा सूची जारी की है। इसके बावजूद स्कूल धड़ल्ले से वसूली कर रहे हैं। दैनिक भास्कर की टीम ने शहर के 350 में से 120 निजी स्कूलों की पड़ताल की। इसमें पता चला कि केवल इसी सत्र में ये स्कूल पालकों की जेब से 35 करोड़ रुपए अवैध रूप से वसूल चुके हैं। पूरे रायपुर जिले के स्कूलों को शामिल कर लें तो यह आंकड़ा 40 करोड़ के पार हो जाएगा। कुछ स्कूल मासिक शिक्षण शुल्क के स्थान पर मेंटेनेंस फीस ले रहे हैं। जिला प्रशासन ने दुर्ग जिले की तरह सख्ती की तो कुछ स्कूलों को पालकों से वसूली गई राशि वापस करनी पड़ सकती है।


सूत्रों के मुताबिक बड़े स्कूलों में जहां प्रति छात्र पांच हजार रुपए तक अवैध रूप से वसूले गए, वहीं छोटे स्कूलों में 1500 रुपए के आसपास लिए गए। स्कूल शिक्षा विभाग की जांच रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हो गई है कि कई स्कूलों ने अवैध घोषित मदों में पैसे लिए हैं। ज्यादातर स्कूलों ने विकास शुल्क और मेंटेनेंस शुल्क के नाम पर तीन से चार हजार रुपए अतिरिक्त वसूले हैं।

शिक्षा की दुकान बने स्कूल

शिक्षा के नाम पर निजी स्कूल दुकान चला रहे हैं। इस बात का खुलासा 14 स्कूलों की रिपोर्ट से हुआ है। शिक्षा के अधिकार की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले स्कूलों की पूरी कुंडली जिला शिक्षा अधिकारी ने कलेक्टर डॉ. रोहित यादव के हवाले कर दी है। निजी स्कूलों को केवल 11 मदों में शुल्क लेना था। जांच में पता चला है कि निजी स्कूलों ने 60 अन्य मदों में वसूली कर
डाली। कुल 71 मदों में पैसे लिए गए। स्कूल प्रबंधक हर साल मदों की संख्या में इजाफा भी करते आ रहे हैं। स्कूल प्रबंधन स्काउट एवं गाइड, एनसीसी, खेलकूद, कंप्यूटर प्रशिक्षण, शैक्षणिक पत्रिकाओं के प्रकाशन के अलावा कुछ अन्य मदों में ही पैरेंट्स से फीस ले सकते हैं। मगर उन्होंने इसके अलावा यूनिफार्म, किताब-कॉपियां, वॉटर बॉटल, शूज, सॉक्स, टाई, लड़कियों के हेयर बैंड तक के पैसे फीस में जोड़कर लिए हैं। स्कूलों से पहली बार हिसाब किताब लिया गया। कलेक्टर को सौंपी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।

530 में से 14 स्कूलों के सैंपल

रायपुर जिले में निजी स्कूलों की संख्या 530 के लगभग है। इसमें 14 स्कूलों की रिपोर्ट सैंपल के तौर पर कलेक्टर डॉ. रोहित यादव को सौंपी गई है। सोमवार देर शाम जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. आर बाम्बरा ने कलेक्टर को रिपोर्ट दी। सूत्रों के मुताबिक सौ से ज्यादा स्कूलों की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है। कलेक्टर को सैंपल के तौर पर ही रिपोर्ट दी गई है। अंतिम रिपोर्ट में फेरबदल की संभावना है। इनमें से कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने शासन से रियायती दरों पर जमीन का आबंटन कराया है। जमीन आबंटन के बाद सेंट्रल बोर्ड से गवर्न होने वाले स्कूलों ने राज्य शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के नियम कायदों को ताक पर रखकर काम किया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी निजी स्कूलों से जानकारी और ऑडिट रिपोर्ट मांगी। मगर दिल्ली पब्लिक स्कूल ने शिक्षा विभाग को कागज का एक टुकड़ा भी नहीं भेजा। भिलाई के दो निजी स्कूलों ने प्रतिबंधित मदों से पालकों से 113 करोड़ रुपए की वसूली की। दुर्ग कलेक्टर ने शिक्षा के अधिकार के तहत दोनों स्कूलों को नोटिस दिया। इसके बाद रायपुर जिले के स्कूलों की जांच पड़ताल शुरू हुई।

कैटेगरी ए
स्कूलों की संख्या : करीब 10
फीस : 70 से 1.50 लाख सालाना
प्रति स्कूल छात्र संख्या : २५क्क् करीब
कुल छात्र संख्या : करीब 38 हजार
शुल्क में गड़बड़ी : औसतन करीब 5000 रुपए प्रति छात्र
कुल वसूली : 13 करोड़ करीब


कैटेगरी बी
स्कूलों की संख्या : करीब 25
फीस : 40 से 65 हजार रुपए सालाना
प्रति स्कूल छात्र संख्या : करीब डेढ़ हजार
कुल छात्र संख्या : करीब 37 हजार
शुल्क में गड़बड़ी : औसतन करीब 2000 रुपए प्रति छात्र
कुल वसूली : 7.5 करोड़ रुपए


कैटेगरी सी
स्कूलों की संख्या : करीब ७5
फीस : १0 से ३5 हजार रुपए सालाना
प्रति स्कूल छात्र संख्या : औसतन 200
कुल छात्र संख्या : 15 हजार से ज्यादा
शुल्क में गड़बड़ी : करीब 1200 रुपए
प्रति छात्र
कुल वसूली : करीब 1.8 करोड़ रुपए