Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 73
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Deprecated (16384): The ArrayAccess methods will be removed in 4.0.0.Use getParam(), getData() and getQuery() instead. - /home/brlfuser/public_html/src/Controller/ArtileDetailController.php, line: 74
 You can disable deprecation warnings by setting `Error.errorLevel` to `E_ALL & ~E_USER_DEPRECATED` in your config/app.php. [CORE/src/Core/functions.php, line 311]
Warning (512): Unable to emit headers. Headers sent in file=/home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php line=853 [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 48]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 148]
Warning (2): Cannot modify header information - headers already sent by (output started at /home/brlfuser/public_html/vendor/cakephp/cakephp/src/Error/Debugger.php:853) [CORE/src/Http/ResponseEmitter.php, line 181]
Notice (8): Undefined variable: urlPrefix [APP/Template/Layout/printlayout.ctp, line 8]news-clippings/पोलावरम-परियोजना-डीएफओ-की-रिपोर्ट-ने-उड़ाई-सरकार-की-नींद-7024.html"/> न्यूज क्लिपिंग्स् | पोलावरम परियोजना : डीएफओ की रिपोर्ट ने उड़ाई सरकार की नींद | Im4change.org
Resource centre on India's rural distress
 
 

पोलावरम परियोजना : डीएफओ की रिपोर्ट ने उड़ाई सरकार की नींद

जगदलपुर(ब्यूरो)। पड़ोसी राज्य तेलंगाना में निर्माणाधीन पोलावरम अंतरराज्यीय बहुउद्देशीय परियोजना के डूबान में आने वाले दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले के वनक्षेत्र को लेकर वन विभाग की एक रिपोर्ट ने सरकार की नींद उड़ा दी है।

ऐसे समय जब प्रदेश सरकार पोलावरम परियोजना के डूबान से छत्तीसगढ़ को बाहर रखने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है, सुकमा वनमंडल ने एक रिपोर्ट जल संसाधन विभाग को भेज बताया है कि बांध में अंतरराज्यीय समझौते के अंतर्गत 45.72 मीटर या 150 फीट लेबल तक जलभराव होने से एक इंच भी जमीन नहीं डूबेगी। सुकमा वनमंडल ने 150 फीट कंटूर हाइट पर वनक्षेत्र के डूबान संबंधी जानकारी को निरंक बताया है।

सरकार के लिए यह जानकारी गले की फांस इसलिए बन सकती है क्योंकि सरकार 20 अगस्त 2011 को सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट पिटीशन में पूर्व में सुकमा वनमंडल द्वारा ही उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर दावा कर चुकी है कि बांध के डूबान से 7266.456 हेक्टेयर वनक्षेत्र प्रभावित होगा। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने भी राज्य शासन की ओर से एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई है जिसमें इस परियोजना से पर्यावरण को होने वाले संभावित नुकसान से बचाने की अपील की गई है।

वनक्षेत्र के डूबान को पर्यावरण संरक्षण मंडल ने भी अपनी याचिका में मुख्य विषय बनाया है। सुकमा वनमंडल के पत्र में पूर्व में दी गई रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए वनमंडलाधिकारी ने बार-बार यह दलील दी है कि वनमंडल में उपलब्ध अभिलेखों एवं मानचित्र के आधार पर डूबान संबंधी वनक्षेत्र की उपरोक्त जानकारी अनुमानित दी गई थी। वनक्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण नहीं किया गया था।

इस बार भी जानकारी देने को लेकर पत्र में जोर देकर कहा गया है कि अभी जो जानकारी दी जा रही है वह कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग दंतेवाड़ा के द्वारा प्रदाय किए गए 150 व 177 फीट कंटूर हाइट को दर्शाने वाले मानचित्र के आधार पर तैयार की गई है। सुकमा वनमंडल से हाल के सालों में डूबान संबंधी पहली जानकारी 28 जून 2011 को भेजी गई थी, जिसमें वनक्षेत्र डूबने और अब वनक्षेत्र नहीं डूबने की जो जानकारी भेजी गई है वह 14 अगस्त 2013 प्रेषित रिपोर्ट दी गई थी।

विदित हो कि सुप्र्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन राज्य शासन की ओर से जल संसाधन विभाग ने दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट में आंध्रप्रदेश शासन द्वारा दी लिखित में दी गई दलीलों पर जवाबदावा तैयार करने जल संसाधन विभाग ने वर्तमान स्थिति में वनक्षेत्र के डूब के संबंध में जानकारी वन विभाग से मांगी थी। जिसके बाद ही वनक्षेत्र निरंक होने की बात सामने आई है।

और क्या है रिपोर्ट में?

सुकमा वनमंडल की रिपोर्ट में 150 फीट कंटूर हाइट में वनक्षेत्र के डूबान को निरंक बताया गया है। वहीं 177 फीट कंटूर हाइट के अंतर्गत 201.296 हेक्टेयर वनक्षेत्र के प्रभावित होने की बात कही गई है। बताया गया है कि 150 फीट में सीमांकित क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल1790.750 हेक्टेयर और 177 फीट कंटूर हाईट में 683.010 हेक्टेयर क्षेत्रफल है। नया कंटूर हाईट मानचित्र जल संसाधन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर करने के बाद तैयार किया है। जिसके आधार पर ही डूबान क्षेत्र की गणना की जा रही है।

क्या कहता है समझौता?

पोलावरम परियोजना के लिए हुए अंतरराज्यीय समझौते के अनुसार परियोजना के निर्माण से कोंटा क्षेत्र में डूबान का अधिकतम स्तर सभी प्रभावों सहित बैकवाटर प्रभाव सम्मिलित 150 फीट से अधिक न हो। अधिकतम बाढ़ की निकास की व्यवस्था भी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा इस तरह की जाएगी कि किसी भी स्थिति में डूबान 150 फीट से अधिक न हो। कहा जा रहा है कि जब परियोजना की ड्राइंग तैयार की गई थी उस समय बाढ़ की गणना 36 लाख क्यूसेक अधिकतम जलप्रवाह के लिए की गई थी जो वर्तमान में बढ़कर 50 लाख क्यूसेक पहुंच गई है। इस कारण ड्राइंग में बदलाव किए जाने की अटकले लगाई जा रही है।

फैक्ट फाइल

-पोलावरम अन्तर्राज्यीय परियोजना के लिए समझौते पर दस्तखत 7 अगस्त 1978 को अविभाजित मध्यप्रदेश की जनता पार्टी की सरकार ने किया था। उस समय मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा थे। इसके बाद रिवाईज समझौता 2 अप्रैल 1980 को किया गया।

-पोलावरम बांध के लिए हुए अन्तर्राज्यीय समझौते में अविभाजित मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) अविभाजित आंध्रप्रदेश (अब तेलांगाना व सीमांध्र) व ओडिशा राज्य शमिल हैं।

-परियोजना का उद्देश्य सिंचाई, विद्युत उत्पादन, कृष्णा कछार में जल व्यपवर्तन है।

-परियोजना सुकमा जिले की सीमा के नजदीक तेलांगना में गोदावरी बैराज से 42 किलोमीटर उपर गोदावरी नदी पर निर्माणाधीन है।

-बांध का सम्पूर्ण जलग्रहण क्षेत्र 306643 वर्ग किलोमीटर और लंबाई 2160 मीटर पक्का बांध सहित होगा।

-एफआरएल 45.72 मीटर, कुल जलभराव 5511 मिलियन घन मीटर, डूबान क्षेत्र 63691 हेक्टेयर, बांध से 297000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।

-बांध से 970 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा।

-छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी।

-परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है।

-डूबान से सुकमा जिले के कोंटा सहित 18 गांव और करीब आठ हजार हेक्टेयर भूमि के डूबान में जाने की आशंका है। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 का करीब 13 किलोमीटर हिस्सा डूबने का दावा किया जा रहा है।

-कोंटा तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार दोरला आदिवासी प्रभावित होंगे और इससे इनके विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाएगा।

'मैं विभागीय मीटिंग के सिलसिले में रायपुर में हूं। वनक्षेत्र के डूबने की बात तो कही गई थी। आने के बाद रिपोर्ट देखकर ही सही स्थिति बता पाना संभव होगा।'

पीके वर्मा, अधीक्षण यंत्री इंद्रावती परियोजना मंडल

'पोलावरम पर वनविभाग ने यदि अलग-अलग जानकारी दी है तो यह बेहद गंभीर मामला है। लगता है न तो प्रशासन को न ही शासन को पोलावरम के डूबान से सुकमा जिले के क्षेत्र को बचाने की चिंता है। मै बांध के डूबान से सुकमा जिले को बाहर रखने की मांग कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा।'

-कवासी लखमा, विधायक कोंटा विधानसभा क्षेत्र

जगदलपुर(ब्यूरो)। पड़ोसी राज्य तेलंगाना में निर्माणाधीन पोलावरम अंतरराज्यीय बहुउद्देशीय परियोजना के डूबान में आने वाले दक्षिण बस्तर के सुकमा जिले के वनक्षेत्र को लेकर वन विभाग की एक रिपोर्ट ने सरकार की नींद उड़ा दी है।

ऐसे समय जब प्रदेश सरकार पोलावरम परियोजना के डूबान से छत्तीसगढ़ को बाहर रखने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है, सुकमा वनमंडल ने एक रिपोर्ट जल संसाधन विभाग को भेज बताया है कि बांध में अंतरराज्यीय समझौते के अंतर्गत 45.72 मीटर या 150 फीट लेबल तक जलभराव होने से एक इंच भी जमीन नहीं डूबेगी। सुकमा वनमंडल ने 150 फीट कंटूर हाइट पर वनक्षेत्र के डूबान संबंधी जानकारी को निरंक बताया है।

सरकार के लिए यह जानकारी गले की फांस इसलिए बन सकती है क्योंकि सरकार 20 अगस्त 2011 को सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट पिटीशन में पूर्व में सुकमा वनमंडल द्वारा ही उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर दावा कर चुकी है कि बांध के डूबान से 7266.456 हेक्टेयर वनक्षेत्र प्रभावित होगा। छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने भी राज्य शासन की ओर से एक अन्य याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई है जिसमें इस परियोजना से पर्यावरण को होने वाले संभावित नुकसान से बचाने की अपील की गई है।

वनक्षेत्र के डूबान को पर्यावरण संरक्षण मंडल ने भी अपनी याचिका में मुख्य विषय बनाया है। सुकमा वनमंडल के पत्र में पूर्व में दी गई रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए वनमंडलाधिकारी ने बार-बार यह दलील दी है कि वनमंडल में उपलब्ध अभिलेखों एवं मानचित्र के आधार पर डूबान संबंधी वनक्षेत्र की उपरोक्त जानकारी अनुमानित दी गई थी। वनक्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण नहीं किया गया था।

इस बार भी जानकारी देने को लेकर पत्र में जोर देकर कहा गया है कि अभी जो जानकारी दी जा रही है वह कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग दंतेवाड़ा के द्वारा प्रदाय किए गए 150 व 177 फीट कंटूर हाइट को दर्शाने वाले मानचित्र के आधार पर तैयार की गई है। सुकमा वनमंडल से हाल के सालों में डूबान संबंधी पहली जानकारी 28 जून 2011 को भेजी गई थी, जिसमें वनक्षेत्र डूबने और अब वनक्षेत्र नहीं डूबने की जो जानकारी भेजी गई है वह 14 अगस्त 2013 प्रेषित रिपोर्ट दी गई थी।

विदित हो कि सुप्र्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन राज्य शासन की ओर से जल संसाधन विभाग ने दायर किया है। सुप्रीम कोर्ट में आंध्रप्रदेश शासन द्वारा दी लिखित में दी गई दलीलों पर जवाबदावा तैयार करने जल संसाधन विभाग ने वर्तमान स्थिति में वनक्षेत्र के डूब के संबंध में जानकारी वन विभाग से मांगी थी। जिसके बाद ही वनक्षेत्र निरंक होने की बात सामने आई है।

और क्या है रिपोर्ट में?

सुकमा वनमंडल की रिपोर्ट में 150 फीट कंटूर हाइट में वनक्षेत्र के डूबान को निरंक बताया गया है। वहीं 177 फीट कंटूर हाइट के अंतर्गत 201.296 हेक्टेयर वनक्षेत्र के प्रभावित होने की बात कही गई है। बताया गया है कि 150 फीट में सीमांकित क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल1790.750 हेक्टेयर और 177 फीट कंटूर हाईट में 683.010 हेक्टेयर क्षेत्रफल है। नया कंटूर हाईट मानचित्र जल संसाधन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर करने के बाद तैयार किया है। जिसके आधार पर ही डूबान क्षेत्र की गणना की जा रही है।

क्या कहता है समझौता?

पोलावरम परियोजना के लिए हुए अंतरराज्यीय समझौते के अनुसार परियोजना के निर्माण से कोंटा क्षेत्र में डूबान का अधिकतम स्तर सभी प्रभावों सहित बैकवाटर प्रभाव सम्मिलित 150 फीट से अधिक न हो। अधिकतम बाढ़ की निकास की व्यवस्था भी केन्द्रीय जल आयोग द्वारा इस तरह की जाएगी कि किसी भी स्थिति में डूबान 150 फीट से अधिक न हो। कहा जा रहा है कि जब परियोजना की ड्राइंग तैयार की गई थी उस समय बाढ़ की गणना 36 लाख क्यूसेक अधिकतम जलप्रवाह के लिए की गई थी जो वर्तमान में बढ़कर 50 लाख क्यूसेक पहुंच गई है। इस कारण ड्राइंग में बदलाव किए जाने की अटकले लगाई जा रही है।

फैक्ट फाइल

-पोलावरम अन्तर्राज्यीय परियोजना के लिए समझौते पर दस्तखत 7 अगस्त 1978 को अविभाजित मध्यप्रदेश की जनता पार्टी की सरकार ने किया था। उस समय मुख्यमंत्री वीरेन्द्र कुमार सकलेचा थे। इसके बाद रिवाईज समझौता 2 अप्रैल 1980 को किया गया।

-पोलावरम बांध के लिए हुए अन्तर्राज्यीय समझौते में अविभाजित मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) अविभाजित आंध्रप्रदेश (अब तेलांगाना व सीमांध्र) व ओडिशा राज्य शमिल हैं।

-परियोजना का उद्देश्य सिंचाई, विद्युत उत्पादन, कृष्णा कछार में जल व्यपवर्तन है।

-परियोजना सुकमा जिले की सीमा के नजदीक तेलांगना में गोदावरी बैराज से 42 किलोमीटर उपर गोदावरी नदी पर निर्माणाधीन है।

-बांध का सम्पूर्ण जलग्रहण क्षेत्र 306643 वर्ग किलोमीटर और लंबाई 2160 मीटर पक्का बांध सहित होगा।

-एफआरएल 45.72 मीटर, कुल जलभराव 5511 मिलियन घन मीटर, डूबान क्षेत्र 63691 हेक्टेयर, बांध से 297000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी।

-बांध से 970 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा।

-छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी।

-परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ रुपए से अधिक हो चुकी है।

-डूबान से सुकमा जिले के कोंटा सहित 18 गांव और करीब आठ हजार हेक्टेयर भूमि के डूबान में जाने की आशंका है। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 का करीब 13 किलोमीटर हिस्सा डूबने का दावा किया जा रहा है।

-कोंटा तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार दोरला आदिवासी प्रभावित होंगे और इससे इनके विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाएगा।

'मैं विभागीय मीटिंग के सिलसिले में रायपुर में हूं। वनक्षेत्र के डूबने की बात तो कही गई थी। आने के बाद रिपोर्ट देखकर ही सही स्थिति बता पाना संभव होगा।'

पीके वर्मा, अधीक्षण यंत्री इंद्रावती परियोजना मंडल

'पोलावरम पर वनविभाग ने यदि अलग-अलग जानकारी दी है तो यह बेहद गंभीर मामला है। लगता है न तो प्रशासन को न ही शासन को पोलावरम के डूबान से सुकमा जिले के क्षेत्र को बचाने की चिंता है। मै बांध के डूबान से सुकमा जिले को बाहर रखने की मांग कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा।'

-कवासी लखमा, विधायक कोंटा विधानसभा क्षेत्र

- See more at: http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/jagdalpur-polavaram-project-dfo-reports-remained-trapped-117689#sthash.9gAG7L3z.dpuf