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प्रदूषण घटाने के लिए सीएसआईआर का वर्चुअल अटेंडेंस फार्मूला

दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सम एवं विषम नंबर के फार्मूले को अप्रभावी बताते हुए केंद्र सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान सीएसआईआर ने अपना फार्मूला सुझाया है। सीएसआईआर का कहना है कि वर्चुअल अटेंडेंस एट वर्क एंड स्कूल इससे कहीं ज्यादा प्रभाव हो सकता है। इसके तहत बुधवार को स्कूलों की पढ़ाई और दफ्तरों का कामकाज घर बैठकर किया जाए।

सीएसआईआर की दिल्ली स्थित प्रयोगशाला राष्ट्रीय, विज्ञान, प्रौद्यौगिकी और विकास अध्ययन संस्थान (निस्टैड्स) ने प्रेस कांफ्रेस कर अपना प्रस्ताव पेश किया है। निस्टैड्स के निदेशक डा. पी. गोस्वामी ने कहा कि वह इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपने जा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि केजरीवाल इसका स्वागत करेंगे और इसके लागू करेंगे।

निस्टैड्स के प्रस्ताव के तहत सोमवार मंगल के बाद बुधवार को स्कूलों एवं दफ्तरों में सिर्फ वर्चुअल अटेंडेंटस की व्यवस्था होनी चाहिए। सूचना प्रौद्यौगिकी एवं संचार माध्यमों के जरिये बच्चों को घर बैठे पढ़ाया जाए। इसी प्रकार कर्मचारी इस दिन घर से ही आफिस का कार्य करें। इससे स्कूल बसों एवं कारों की संख्या में भारी कमी आएगी। साथ ही इससे संसाधनों की बचत भी होगी।

गोस्वामी का तर्क है कि सोमवार से सप्ताह की शुरूआत होती है। दो दिनों में प्रदूषण उच्चतर सीमा पर पहुंचना शुरू हो जाता है। लेकिन सोमवार-मंगल दो सक्रिय दिवसों के बाद यदि तीसरे दिन एकाएक सड़कों से वाहन कम हो जाएं तो प्रदूषण का उच्च स्तर गिरना शुरू हो जाएगा। अगले चौबीस घंटों में यह काफी नीचे आ जाएगा। इसके बाद गुरुवार और शुक्रवार को फिर प्रदूषण का स्तर ऊपर उठेगा। लेकिन उसके बाद शनिवार और रविवार को अवकाश के कारण स्तर गिरना शुरू हो जाएगा।

 

गोस्वामी के अनुसार यह व्यवस्था केजरीवाल की सम-विषम फार्मूले से कहीं ज्यादा प्रभावी होगी। इसके लिए उन्होंने बाकायदा दोनों फार्मूलों का तुलना करते हुए एक चार्ट भी जारी किया। यह पूछने पर कि सीएसआईआर ने यह कदम स्वत उठाया है, या फिर सरकार की तरफ से कहा गया था। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर के पास जनता के लिए कार्य करने का अधिकार है तथा देहरादून घोषणा पत्र में यह कहा गया था कि स्थानीय समस्याओं के समाधान में सीएसआईआर की प्रयोगशालाएठ अपनी भूमिका निभाएं।

समय-विषय फार्मले पर सीएसआईआर के तर्क
क्रियान्वयन-आईटी संसाधनों से वर्चुअल फार्मूले को पूरी तरह से लागू किया जा सकता है। लेकिन सम-विषम फार्मले को पूरी तरह से लागू करना कठिन है तथा समस्याएं बहुत हैं।
प्रभाव-वर्चुअल अटेंडेंस व्यवस्था लागू होने से कारों के साथ स्कूल बसें, चार्टर्ड बसें भी सप्ताह के बीच में एक दिन बंद रहेंगी। जबकि केजरीवाल के फार्मूले से कारों पर ही असर पड़ेगा।
कारगर-यदि आगे वाहन बढ़ते भी हैं तो भी वर्चुअल अटेंडेस योजना पर फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन वाहन बढ़ने से कुछ समय के बाद सम-विषय फार्मूला निष्प्रभावी हो जाएगा।
स्वीकार्यता-वैकल्पिक एवं स्वागत योग्य किन्तु सम-विषम फार्मूले से लोगों में असंतोष पैदा हो सकता है।
जीवन की गुणवत्ता-वर्चुअल फार्मूले से जीवन की गुणवत्ता बढ़ेगी, नंबर फार्मूला तनाव बढ़ाएगा।
उत्पादक-वर्चुअल फार्मूले से बढ़ेगी जबकि नंबर फार्मूले से घटेगी
ऊर्जा-वर्चुअल फार्मूले से स्कूल एवं कार्यालय में ऊर्जा की बचत होगी, नंबर फार्मूले से कोई प्रभाव नहीं
आर्थिक पहलू-वर्चुअल अटेंडेंस से कोई अतिरिक्त आर्थिक भार नहीं जबकि सम-विषम फार्मले से जेब ढीली होगी।
प्रदूषण का प्रभाव-एक दिन घर पर रहने से स्वास्थ्य पर प्रदूषण का एक्सपोजर कम होगा जबकि नंबर फार्मूले से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।