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प्रदेश में 14 सौ से ज्यादा स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया 15 मई से

रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के तहत नए शिक्षण सत्र से करीब 14 सौ से ज्यादा प्राइमरी व मिडिल स्कूल बंद हो जाएंगे। राज्य सरकार ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। 15 मई को युक्तियुक्तकरण किए गए स्कूलों की सूची का प्रकाशन कर दावा-आपत्ति मंगाई जाएगी।

30 मई को स्कूलों की अंतिम सूची जारी की जाएगी और 16 जून से स्कूलों की स्थापना व संचालन किया जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकािरयों का दावा है कि मापदंड के अनुसार ही स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है और प्राइमरी के बच्चों को एक किलोमीटर से अधिक की दूरी तय नहीं करना पड़ेगी।

स्कूल शिक्षा विभाग ने जिला कलेक्टरों, शिक्षा अधिकारियों व सहायक आयुक्तों को स्कूलों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर उनसे प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में संचालित स्कूलों की पूरी जानकारी मांगी है। इसके तहत प्रदेश के सभी स्कूलों का चिन्हांकन किया गया है। अप्रैल में शाल विकास समितियों की बैठक कर उनसे राय मांगी जा चुकी है।

इस दौरान यह पता चला कि प्रदेश में करीब 14 सौ छोटे-बड़े स्कूल ऐसे हैं जो मापदंड के अनुरूप नहीं है। इन स्कूलों का युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। मापदंड के अनुसार गांवों में एक किलोमीटर के दायरे में प्राइमरी स्कूल, तीन किलोमीटर के दायरे में मिडिल स्कूल, पांच से सात किलोमीटर के दायरे में हाई या हायर सेकेंडरी स्कूल होना जरूरी है।

शहरी क्षेत्रों में बच्चों के पहुंच के आधे किलोमीटर की परिधि में प्राइमरी, एक किलोमीटर की परिधि में मिडिल व दो किलोमीटर की परिधि में हाई या हायर सेकेंडरी स्कूल होने का मापदंड माना गया है। दर्ज संख्या न्यूनतम दस या उससे कम छात्रों का शाला में दर्ज होना है। एक ही परिसर में या मुख्य शाला से अधिकतम 300 मीटर या उससे कम दूरी पर संचालित स्कूलों को भी बंद किया जा सकता है। इन स्कूलों में यह देखा जाएगा कि वहां दर्ज संख्या कम से कम दस हो। यह व्यवस्था बच्चों की दिक्कतों को देखते हुए की जा रही है, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। प्रदेश में वर्तमान में कुल 61 हजार 454 विद्यालय संचालित है।

युक्तियुक्तकरण बच्चों के हित में : स्कूल शिक्षा सचिव

स्कूल शिक्षा सचिव सुब्रत साहू का कहना है कि युक्तियुक्तकरण के तहत स्कूलों की सूची तैयार की जा रही है। लगभग 14 सौ स्कूल बंद होने का अनुमान है। मापदंड के अनुसार ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्राइमरी, मिडिल व हाई व हायर सेकेंडरी स्कूल रहेंगे। ऐसे किसी स्कूल को बंद नहीं किया जाएगा, जिससे बच्चों को किसी प्रकार की दिक्कत हो। स्कूलों का युक्तियुक्तकरण बच्चों के हित में की जा रही है, ताकि सभी स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था हो सके। युक्तियुक्तकरण से शहरी क्षेत्रों के ज्यादा स्कूल बंद होंगे, जबकि दूरस्थ आदिवासी क्षेत्रों में बहुत कम स्कूल प्रभावित होंगे।

स्कूलों का बंद करना उचित नहीं : अमरजीत

कांग्रेस विधायक अमरजीत भगत का कहना है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर प्रदेश के किसी भी स्कूल को बंद करना उचित नहीं है। विशेषकर अनुसूचित क्षेत्रों में स्कूलों को बंद नहीं किया जाना चाहिए। आदिमजाति विकास विभाग के स्कूलों का स्कूल शिक्षा विभाग में मर्ज किए जाने से भी कई प्रकार की दिक्कतें हैं। आदिवासी क्षेत्रों में केंद्र सरकार से मिलने वाली धनराशि में भी कमी आएगी। इसके अलावा दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में पदस्थ शिक्षक शहरी क्षेत्रों में आने की कोशिश करेंगे। इससे बच्चों की पढ़ाई में प्रतिकूल असर पड़ेगा।

कर्मचारी संगठनों ने लगाया निजीकरण के षड्यंत्र का आरोप

छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ के प्रांतीय अध्यक्ष राकेश शर्मा और तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री चंद्रशेखर तिवारी का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण से सरकार स्कूलों का संचालन पीपीपी मॉडल पर करेगी। यह निजीकरण का एक षड्यंत्र है। युक्तियुक्तकरण से शासन को प्रतिमाह 120 करोड़ रुपए की बचत होगी। आगामी पांच सालों में शिक्षकों की भर्ती भी बंद हो जाएगी और बेरोजगारी बढ़ेगी।