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प्रदेश में परियों को पढ़ाने से है परहेज

नई दिल्ली. हरियाणा की जमीनी हकीकत क्या है इसे योजना आयोग ने साफ कर दिया है। कल हमने हेल्थ के हालात पर आंकड़ों के जरिए हकीकत बयान की थी। जन सरोकारों वाली इस रिपोर्ट में आज प्रदेश में महिला शिक्षा की स्थिति का जायजा लीजिए।

प्रदेश में रोज खुल रहे नए विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय शिक्षण संस्थानों की स्थापना शिक्षा के क्षेत्र में नई सुबह ला रही है। लेकिन इस सुबह की रोशनी का अधिकांश हिस्सा सिर्फ शहजादों के लिए है, परियों के हिस्से में तो बची-
खुची किरणो ही आती हैं। जी हां। यह सच है।

शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वाकांक्षी पहल करने के बावजूद प्रदेश में महिलाओं व पुरुषों के बीच साक्षरता दर में बड़ा अंतर है। यह अंतर क्षेत्रीय तथा धार्मिक आधार पर और भी विकराल नजर आता है। इस आशय का खुलासा केंद्रीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की तरफ से मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लिखे गए पत्र से हुआ है। नौ पृष्ठों के इस पत्र में (प्रति दैनिक भास्कर के पास मौजूद) मोंटेक ने राष्ट्रीय सैंपल सर्वे 2007-08 के आंकड़ों का हवाला देते हुए इन अंर्तविरोधों को दूर करने के सुझाव भी दिए हैं।

मोंटेक ने राज्य सरकार का ध्यान प्रदेश के 1,क्4,क्क्क् ऐसे बच्चों की ओर भी दिलाया है जो आज भी औपचारिक स्कूली शिक्षा के दायरे से बाहर हैं। गौरतलब है कि इनमें बच्चियां ज्यादा हैं। बीच में स्कूल छोड़ने की प्रवृति की ओर सरकार का ध्यान खींचते हुए उन्होंने कहा है कि मेवात क्षेत्र में बच्चियों के स्कूल छोड़कर जाने पर ज्यादा ध्यान की जरूरत है।

आंकड़े बोलते हैं

प्रदेश में साक्षरता दर 73.5 फीसदी होने के बावजूद पुरुष व महिला साक्षरता दर में 22.8 फीसदी का भारी अंतर मौजूद है। पंजाब में यह अंतर केवल 10.9 और हिमाचल में केवल 14.5 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय औसत 18.2 फीसदी का है। प्रदेश में सर्वाधिक पुरुष व महिला साक्षरता दर जैन समुदाय (पुरुषों में 94.18, महिलाओं में 90.67 फीसदी) में और सबसे कम मुस्लिम समुदाय (पुरुष 39.97 व महिलाएं केवल 21.55 फीसदी) में है।

कितने विकलांग

आयोग की नजर में प्रदेश में विकलांग बच्चों की संख्या जहां 82 हजार 691 है वहीं राज्य सरकार की नजरों में यह आंकड़ा केवल 33191 का है। इस तरह विकलांग बच्चों की गणना में भी 49 हजार 500 का अंतर है।

प्रभावी रणनीति बनाएं

योजना आयोग ने सरकार को शिक्षा के लिए प्रभावी रणनीति बनाने, शिक्षा के अधिकार कानून की समय रहते तैयारियां करने और शिक्षकों की अविलंब भर्ती पर जोर दिया है। आयोग ने प्रदेश में सबसे पहले सेमेस्टर शिक्षा प्रणाली लागू करने और नार्थ इंडिया सेंटर फार एक्सीलेंस इन हायर लर्निग एंड़ रिसर्च की स्थापना करने के लिए सरकार की पीठ भी थपथपाई है।

ये कैसा विरोधाभास

साक्षरता दर का यह अंतर केवल धार्मिक आधार तक सीमित न होकर क्षेत्रीय आधार पर भी है। सर्वाधिक साक्षरता दर 75.31 फीसदी अम्बाला में, सोनीपत में 72.80, भिवानी में 67.4, हिसार में 65, सिरसा में 60.5, फतेहाबाद में 58 फीसदी है। महिलाओं और पुरुषों के बीच सर्वाधिक साक्षरता दर का अंतर महेंद्रगढ़ में (30.64 फीसदी) है, जबकि गुड़गांव में यह अंतर 28.39, रेवाड़ी में 27.62, पंचकूला में 15.22 और अम्बाला में 14.92 फीसदी है। हैरानी की बात है कि अधिक साक्षरता दर वाले क्षेत्रों में लिंग अनुपात का अंतर भी ज्यादा है।