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प्लास्टिक कचरे से मुक्ति का फायदेमंद विकल्प

भोपाल। खतरनाक प्लास्टिक कचरे से मुक्ति के लिए मध्य प्रदेश की राजधानी में अनूठा अभियान छेड़ा गया है। राज्य के सात सीमेंट कारखानों की भंिट्टयां इन दिनों भोपाल नगर निगम द्वारा भेजी गई प्लास्टिक की थैलियों से धधक रही हैं। प्लास्टिक थैलियों से निकलने वाली ऊष्मा कोयले से कहीं अधिक होती है, इसलिए उन्हें जलाना कारखानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है।

इन प्लास्टिक थैलियों को 1400 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर भंिट्टयों में जलाया जा रहा है। इस तापमान पर प्लास्टिक कचरा जलाने से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं होता। उल्लेखनीय है कि इस तापमान से पहले प्लास्टिक कचरा जलाना पर्यावरण के लिए खतरनाक माना जाता है। भोपाल नगर निगम और स्वयंसेवी संस्था [एनजीओ] सार्थक द्वारा खोजे गए इस विकल्प से जहां राजधानी को प्लास्टिक कचरे से मुक्ति मिलेगी, वहीं पन्नी बीनने के काम में लगे लोगों को वैकल्पिक रोजगार भी मिल रहा है।

पन्नी बीनने वालों के उत्थान के लिए रेग पिकर्स परियोजना शुरू की गई है। इन योजना के तहत करीब 250 पन्नी बीनने वालों को सुरक्षा की दृष्टि से टोपी, एप्रेन, जूते, दस्ताने, उपचार किट, खुरपी आदि प्रदान किए गए हैं। योजना के अंतर्गत सार्थक संस्था पन्नी बीनने वालों के जरिए प्लास्टिक कचरा एकत्रित कर नगर निगम को उपलब्ध कराएगी। निगम इस कचरे को संपीड़ित कर कैमोर स्थित एसीसी, डायमंड सीमेंट दमोह, विक्रम सीमेंट नीमच, सतना सीमेंट, मैहर सीमेंट, प्रिज्म सीमेंट और जेपी सीमेंट रीवा को उपलब्ध करा रहा है। नगर निगम अब तक 535 टन प्लास्टिक कचरा सीमेंट कारखानों को भेज चुका है।

जानकारी के मुताबिक सीमेंट कारखाने सार्थक संस्था को तीन रुपये किलो और संस्था पन्नी बीनने वालों को दो रुपये किलो की दर से राशि का भुगतान कर रही है। नगर निगम की महापौर कृष्णा गौर कहती हैं कि पन्नी बीनने वालों की पर्यावरण सुरक्षा और स्वच्छता में महत्वपूर्ण भूमिका है। लिहाजा उनके आर्थिक उत्थान व पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था की जाएगी। नगर निगम के आयुक्त मनीष सिंह ने बताया कि पन्नी बीनने वालों को घरों से कचरा इकट्ठा करने के काम में भी लगाया जाएगा। इससे उन्हें अतिरिक्त आय होगी।